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Saturday, September 8, 2012

मैंने मुहब्बत कर ली है वो वाली

जाती नहीं मेरी, आँखों की लाली,
आदत निगाहों, को कैसी डाली,

साँसे दीवानी हैं, पागल है धड़कन,
मैंने मुहब्बत कर, ली है वो वाली,
 
दिन रात है यूँ, बेचैनी का आलम,
कर दो न घर, मेरे यादों का खाली,
 
गम से भरा है, मेरे दिल का कोना,
कैसी मुसीबत, ये मैंने है पाली,
 
रिश्ते निभाऊं, या तोडूं हर बंधन,
बजती नहीं है, अब रिश्तों की ताली.

11 comments:

  1. बहुत खूब...सचमुच रिश्ते अब रिश्ते नहीं रहे, औपचारिकता बनकर रह गए हैं....

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    1. तहे दिल से शुक्रिया संध्या जी

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    1. रश्मि जी हौंसल आफजाई के लिए हार्दिक अभिनन्दन

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  3. दिन रात है यूँ, बेचैनी का आलम,
    कर दो न घर, मेरे यादों का खाली ...

    बहुत खूब ... लाजवाब शेर है ...

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    1. आदरणीय दिगम्बर जी बहुत-२ शुक्रिया

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  4. बहुत बेहतरीन रचनाये होती है आपकी..
    सुन्दर और मनभावन...
    :-)

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    1. तहे दिल से शुक्रिया रीना जी, आपकी सराहना मुझे बेहद पसंद आती है.

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  5. बहुत ही खुबसूरत
    और कोमल भावो की अभिवयक्ति....

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