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Thursday, October 4, 2012

पागल आशिक हूँ मैं दिलजला दिल का

टूटा टूटा सा है ----- हौंसला दिल का,
जाने कैसा है ये --- सिलसिला दिल का, 

होता खुशियों से है --- फासला दिल का,
सोंचे जब-2 भी दिल है -- भला दिल का,
 
तिनका-तिनका बिखरी -- जिंदगी मेरी,
गम ये दिल को है, दिल से खला दिल का,
 
जीता - मरता हूँ ------ तेरे खयालों में,
पागल आशिक हूँ मैं - दिलजला दिल का,
 
साँसे ठहरीं हैं ------ धड़कन जुदा सी है,
बहता आँखों से है ---- जलजला दिल का,
 
जिद करता है दिल --- भूलूं न तुझको मैं,
चुभता मुझको है ये ----फैसला दिल का,
 
ढूंढा पर दिल का --- मिलता नहीं है हल, 
कितना मुस्किल है ये -- मामला दिल का,
 
फिरता रहता हूँ ------ मैं बावरा होकर,
जादू ऐसा है दिल पर --- चला दिल का,

उगता सूरज है दिल में --  ढला दिल का,
कोना-कोना है बुझके --- जला दिल का,

22 comments:

  1. वाह
    क्या पागलपन है |
    यहाँ तो जन जन है |
    यही दस्तूर है रविकर
    है ना,
    तू सजन है ||

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    1. वाह रविकर सर क्या बात है उम्दा पंक्तियाँ कही हैं आपने, मेरी रचना को एक नया आयाम मिल गया

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  2. होय पेट में रेचना, चना काबुली खाय ।

    उत्तम रचना देख के, चर्चा मंच चुराय ।

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    1. शुक्रिया सर बहुत-२ शुक्रिया

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  3. सुंदर मनभावन प्रस्तुति |
    मेरी नई पोस्ट:-
    करुण पुकार

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  4. Replies
    1. बहुत-२ शुक्रिया संध्या जी

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  5. बहुत सुन्दर पंक्तिया |
    आशा

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  6. जिद करता है दिल --- भूलूं न तुझको मैं,
    चुभता मुझको है ये ----फैसला दिल का,
    बहुत खूब अरुण जी,
    न भूल पाने की तड़प या याद उन्हें करने की जिद
    तडपेगा फकत तू ही,फैसला कोई भी कर ए दिल

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    1. वाह शालिनी जी क्या बात है बेहतरीन सराहना के लिए तहे दिल से शुक्रिया

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  7. वाह...बहुत सुंदर रचना..

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  8. वाह||||
    बहुत ही बेहतरीन रचना..
    बेहतरीन अंदाज में प्रस्तुति..
    बहुत खूब...
    :-)

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  9. आदमी फिर भी है भला दिल का :)

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  10. ... बेहद प्रभावशाली अभिव्यक्ति है ।

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