मेरा दिल है पागल,
मेरा दिल है सनकी,
मेरा दिल है सनकी,
करता है हरदम ही,
ये दिल अपने मन की,
खतरा है दिल जैसे,
दोस्ती है दुश्मन की,
दोस्ती है दुश्मन की,
सूरत है तुझ जैसी,
इस दिल में दुल्हन की,
इस दिल में दुल्हन की,
मेरा ये पागलपन,
चाहत है धड़कन की,
चाहत है धड़कन की,
मज़बूरी में जीना,
आदत है जीवन की,
आदत है जीवन की,
किस्मत टूटी जैसे,
टूटे हर बरतन की,
टूटे हर बरतन की,
यादों में है अब भी,
माँ मेरे बचपन की,
माँ मेरे बचपन की,
साँसों की बेबसी,
खातिर है यौवन की,
खातिर है यौवन की,
रिमझिम सी बौछारें,
गिरती हैं सावन की,
गिरती हैं सावन की,
नम-२ सी हैं पलकें,
बारिश में नयनन की.
बारिश में नयनन की.
बहुत खूब सूरत बेहतरीन रचना,,,,
ReplyDeleteअरुणजी,,,वाह क्या बात है,,,,,
MY RECENT POST: माँ,,,
आदरणीय धीरेन्द्र सर तहे दिल से शुक्रिया
Deleteवाह बहुत ही खूबसूरत रचना सुन्दर शब्द संयोजन |
ReplyDeleteबहुत-२ शुक्रिया मिनाक्षी जी
Deleteबहुत सुन्दर प्रस्तुति!
ReplyDeleteआपकी इस उत्कृष्ट प्रविष्टी की चर्चा कल शनिवार (13-10-2012) के चर्चा मंच पर भी होगी!
सूचनार्थ!
आदरणीय शास्त्री आपको प्रणाम मेरी रचना तो स्थान मिला चर्चा मंच पर सर आपका तहे दिल से शुक्रिया
Deleteदिल तो ऐसा ही है..सुंदर प्रस्तुति !
ReplyDeleteशुक्रिया अनीता जी
Deleteबेहतरीन अभिव्यक्ति
ReplyDeleteतहे दिल से शुक्रिया आदरणीया संगीता जी
Deleteबहुत खूब अरुण जी..... दिल के अनेक रंग दिखा दिए आपने...
ReplyDeleteबेवज़ह इल्ज़ाम पे इल्ज़ाम लगाये जाते हैं आप
कभी सनकी तो कभी पागल, इसे बताए जाते हैं आप
चेहरे पे मरता है तेरे, माजबूरी में धड़कता है
लाचार दिल को, गुनहगार बताए जाते हैं आप
वाह क्या बात है शालिनी जी शुक्रिया
Deleteक्या करूँ दिल ही मजबूर करता है,
चाह के चाहत से दूर करता है,
लाख कोशिश की औ समझाया भी,
मगर मुझको गुस्से में चूर करता है.
किस्मत टूटी जैसे,
ReplyDeleteटूटे हर बरतन की,
यादों में है अब भी,
माँ मेरे बचपन की,
..बहुत सुंदर प्रस्तुति !
तहे दिल से शुक्रिया कविता जी
Deletelajwaaab
ReplyDeleteबहुत-२ शुक्रिया अनामिका जी
Deleteये पागल दिल....
ReplyDeleteलेकिन है खूबसूरत...!
तहे दिल से शुक्रिया पूनम जी
Deleteग़ज़ब की कविता ... कोई बार सोचता हूँ इतना अच्छा कैसे लिखा जाता है
ReplyDeleteसंजय भाई ये सब आपका स्नेह है.
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