दिल का जिसको दारोमदार बख्शा,
दिल को उसने मेरे मज़ार बख्शा,
दिल को उसने मेरे मज़ार बख्शा,
दिल से ऐसे है दुश्मनी निभाई,
जख्मी गम का मुझको करार बख्शा,
जख्मी गम का मुझको करार बख्शा,
अपनी जिसको की जिंदगी हवाले,
काँटों को मेरा सब उधार बख्शा,
काँटों को मेरा सब उधार बख्शा,
साँसों का जिसको था खुदा बनाया,
धोखा उसने मुझको हज़ार बख्शा....
धोखा उसने मुझको हज़ार बख्शा....
वाह ... बेहतरीन प्रस्तुति।
ReplyDeleteशुक्रिया सदा जी
Deleteबहुत खूब लिखा है आपने | आभार |
ReplyDeleteनई पोस्ट:- हे माँ दुर्गा
शुक्रिया प्रदीप भाई नवरात्री की हार्दिक शुभकामनाएं
Deleteबहुत अच्छे अरुण |
ReplyDeleteनए नए विषय-
बधाई ||
शुक्रिया रविकर सर ये सब आप सभी के आशीर्वाद का फल है, नवरात्री की हार्दिक शुभकामनाएं
Deleteसाँसों का जिसको था खुदा बनाया,
ReplyDeleteधोखा उसने मुझको हज़ार बक्शा.... bahut badhiya sher..kya baat hai... bahut khoob!
बहुत-२ शुक्रिया शालिनी जी
Deleteधोखा मुझको हज़ार बक्शा(बख्शा )...बख्शीश
ReplyDeleteदिल का जिसको दामोमदार बक्शा,........दारोमदार ...........
दिल को उसने मेरे मजार बक्शा,........मज़ार बख्शा ..............
दिल से ऐसे है दुश्मनी निभाई,
जख्मी गम का मुझको करार बक्शा,
अपनी जिसको की जिंदगी हवाले,
काँटों को मेरा सब उधार बक्शा,
साँसों का जिसको था खुदा बनाया,
धोखा उसने मुझको हज़ार बक्शा....
Posted by "अनंत" अरुन शर्मा at Tuesday, October 16, 2012बहुत बढ़िया गजल है दोस्त ये चूक वर्तनी की किसी से भी हो जाती है .हमें भाषा आती है व्याकरण नहीं .
आदरणीय वीरेंद्र सर आपको नमन आपसे इसी तरह के स्नेह की जरुरत है, अगर आप जैसे महान कलाकार हमे संभालेंगे तो एक दिन जरुर संभल जायेंगे. आपके द्वारा दिए गए निर्देशों का पालन कर लिया है सर.
Deletewaah bahut hi sundar har baat sahi matlab kah rahi hai shukriya
ReplyDeleteशुक्रिया रंजू जी बहुत-२ शुक्रिया
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