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Friday, October 19, 2012

इश्क की मांग में

दिलों के खेल में,
धोखा भरपूर भरा है,
 

इश्क की मांग में,
गम का सिंदूर भरा है,
 

दर्द में टूटता,
आशिक मजबूर भरा है,
 

वफ़ा की राह में,
काँटों का चूर भरा है,
 

लुटी हैं कश्तियाँ,
सागर मगरूर भरा है,
 

जुबां पे प्यार की,
जख्मी दस्तूर भरा है,
 

गुलों के बाग़ में,
भौंरा मशहूर भरा है,
 

उम्र की दौड़ में,
दिक्कत नासूर भरा है......

25 comments:

  1. बहुत ही बढिया लिखा है आपने ... लाजवाब प्रस्‍तुति।

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    1. तहे दिल से शुक्रिया सदा जी

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    2. bahut sundar abhivyakti hai ..........waah

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    1. बहुत-२ शुक्रिया प्रदीप भाई

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  3. स्तरीय प्रस्तुति |
    बधाई स्वीकारे ||

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    1. आदरणीय रविकर सर आपकी बधाई ह्रदय से स्वीकार्य है इसके लिए आपका हार्दिक आभार, आपकी टिपण्णी से सदैव मुझे प्रेरणा मिलती है.

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    1. रंजना जी बहुत-२ शुक्रिया

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  5. बहुत खूब अरुण जी...इशक कि पेचीदगी से रू ब रू कराती रचना
    ये सच है कि इश्क की राह में, ग़मों के अंगारे होंगे
    मगर इस पर चलने वालों के ही, ज़िक्र निराले होंगे..

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    1. शालिनी जी आपका जवाब है क्या बात है, आपका तहे दिल से शुक्रिया आपको रचना पसंद आई
      सुर्ख होंठ प्यासे-प्यासे होके सिल जायेंगे,
      दर्द आपको भी होगा जब वो मिल जायेंगे.

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  6. बहुत अच्छी प्रस्तुति!
    इस प्रविष्टी की चर्चा कल शनिवार (20-10-2012) के चर्चा मंच पर भी होगी!
    सूचनार्थ! नमस्ते जी!

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    1. आदरणीय शास्त्री सर आपको प्रणाम और नवरात्री की हार्दिक शुभकामनाएं, मेरी रचना को चर्चामंच पर स्थान दिया आपका सदैव आभारी रहूँगा.

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  7. उम्र की दौड़ में,
    दिक्कत नासूर भरा है......waakai

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    1. शुक्रिया आदरेया रश्मि प्रभा जी

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  8. इश्क की मांग में,
    गम का सिंदूर भरा है,

    ...बहुत खूब! बहुत सुन्दर संवेदनशील प्रस्तुति...

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    1. आदरणीय कैलाश सर आपके तहे दिल से शुक्रिया

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  9. बहुत सुंदर रचना ! नवरात्रि की आपको भी शुभकामनाएँ !:)
    ~आँखों में इश्क़ के.. सपने कितने सजे हैं..
    फिर भी देखो ना ! आँसू कितने भरे हैं...~

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    1. अनीता जी तहे दिल शुक्रिया

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  10. शशि जी तहे दिल से शुक्रिया

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  11. बहुत बढियां गजल..
    बहुत खूब...
    :-)

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    1. तहे दिल से शुक्रिया धीरेन्द्र सर

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  13. बहुत खूबसूरत भावों मे लिखी रचना, आभार

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