चाह है उसकी मुझे पागल बनाये,
बेवजह उड़ता हुआ बादल बनाये,
लोग देखेंगे जमीं से आसमां तक,
रेत में सूखा घना जंगल बनाये,
जान के दुखती रगों को छेड़कर,
दर्द की थोड़ी बहुत हलचल बनाये,
पास रखना है मुझे हर हाल में,
आँख का सुरमा कभी काजल बनाये,
दौर आया मुश्किलों की ओढ़ चादर,
और वो पत्थर मुझे दलदल बनाये,
मैं रहा तन्हा अकेला जिंदगी भर,
दूर सब अपने खड़े थे दल बनाये,
जान लो वो मार देगा जान से जो,
चासनी लब पर रखे हरपल बनाये....
अनुपम भाव लिये उत्कृष्ट प्रस्तुति
ReplyDeleteशुक्रिया सदा दी
Deleteबहुत खूबसूरत नज्म
ReplyDeleteशुक्रिया रश्मि जी
Delete
ReplyDeleteमैं रहा तन्हा अकेला जिंदगी भर,
दूर सब अपने खड़े थे दल बनाये,
Very nice arun brother.
शुक्रिया आमिर भाई
Deleteबहुत खूबसूरत शेर हैं ... दिल को छूते हुवे ...
ReplyDeleteअनेक-2 धन्यवाद दिगम्बर सर
Deleteलोग देखेंगे जमीं से आसमां तक,
ReplyDeleteरेत में सूखा घना जंगल बनायें .
वाह क्या बात है, बहुत सुन्दर भाव... शुभकामनायें
आभार संध्या दी बहुत-2 शुक्रिया
Deleteसादर आमंत्रण,
ReplyDeleteआपका ब्लॉग 'हिंदी चिट्ठा संकलक' पर नहीं है,
कृपया इसे शामिल कीजिए - http://goo.gl/7mRhq
आभार शामिल कर दिया है.
Deleteउम्दा भाव लिए बढिया सृजन , बधाई।
ReplyDeleterecent post हमको रखवालो ने लूटा
आभार धीरेन्द्र सर
Deleteसुंदर नज्म।।।
ReplyDeleteकई बार किसी के लिए पागल होने की हसरत भी कितनी रुमानी होती है।
सत्य है मित्र अंकुर
Deleteप्यार सच्चा हो तो कच्ची डोर काफी
ReplyDeleteकौन पागल फिर इसे साँकल बनाये |
आसमां पे मत उड़ाये चाह कोई
पाँव के नीचे रखो भूतल बनाये |
आँख का जल आँजता है आँख काजल
क्यों भटकते हो हृदय मरुथल बनाये |
खूब कहते हैं गज़ल शर्मा अरुण जी
भाव को रखते सदा संदल बनाये |
हार्दिक आभार अनेक-2 धन्यवाद आदरणीय अरुण सर
Deleteबहुत खूब ....
ReplyDeleteआभार आदरणीया संगीता जी सादर
Deleteसारी की सारी गज़ल बड़ी शानदार है पर ये शेर तो कमाल कर गया ...
ReplyDelete"जान लो वो मार देगा जान से जो
चासनी लब पर रखे हरपल बनाये."
क्या गजब का शेर है .... वाह भई वाह ...
रोहित भाई आभार
Deleteबहुत बढियाँ....
ReplyDeleteबहुत खूब....
:-)
umda bahut badhiya
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