आइये आपका स्वागत है

Thursday, December 13, 2012

चाह है उसकी मुझे पागल बनाये

चाह है उसकी मुझे पागल बनाये,
बेवजह उड़ता हुआ बादल बनाये,

लोग देखेंगे जमीं से आसमां तक,
रेत में सूखा घना जंगल बनाये,

जान के दुखती रगों को छेड़कर,
दर्द की थोड़ी बहुत हलचल बनाये,

पास रखना है मुझे हर हाल में,
आँख का सुरमा कभी काजल बनाये,

दौर आया मुश्किलों की ओढ़ चादर,
और वो पत्थर मुझे दलदल बनाये,

मैं रहा तन्हा अकेला जिंदगी भर,
दूर सब अपने खड़े थे दल बनाये,

जान लो वो मार देगा जान से जो,
चासनी लब पर रखे हरपल बनाये....

24 comments:

  1. अनुपम भाव लिये उत्‍कृष्‍ट प्रस्‍तुति

    ReplyDelete
  2. बहुत खूबसूरत नज्‍म

    ReplyDelete

  3. मैं रहा तन्हा अकेला जिंदगी भर,
    दूर सब अपने खड़े थे दल बनाये,

    Very nice arun brother.

    ReplyDelete
  4. बहुत खूबसूरत शेर हैं ... दिल को छूते हुवे ...

    ReplyDelete
    Replies
    1. अनेक-2 धन्यवाद दिगम्बर सर

      Delete
  5. लोग देखेंगे जमीं से आसमां तक,
    रेत में सूखा घना जंगल बनायें .
    वाह क्या बात है, बहुत सुन्दर भाव... शुभकामनायें

    ReplyDelete
    Replies
    1. आभार संध्या दी बहुत-2 शुक्रिया

      Delete
  6. सादर आमंत्रण,
    आपका ब्लॉग 'हिंदी चिट्ठा संकलक' पर नहीं है,
    कृपया इसे शामिल कीजिए - http://goo.gl/7mRhq

    ReplyDelete
  7. सुंदर नज्म।।।
    कई बार किसी के लिए पागल होने की हसरत भी कितनी रुमानी होती है।

    ReplyDelete
  8. प्यार सच्चा हो तो कच्ची डोर काफी
    कौन पागल फिर इसे साँकल बनाये |
    आसमां पे मत उड़ाये चाह कोई
    पाँव के नीचे रखो भूतल बनाये |
    आँख का जल आँजता है आँख काजल
    क्यों भटकते हो हृदय मरुथल बनाये |
    खूब कहते हैं गज़ल शर्मा अरुण जी
    भाव को रखते सदा संदल बनाये |

    ReplyDelete
    Replies
    1. हार्दिक आभार अनेक-2 धन्यवाद आदरणीय अरुण सर

      Delete
  9. Replies
    1. आभार आदरणीया संगीता जी सादर

      Delete
  10. सारी की सारी गज़ल बड़ी शानदार है पर ये शेर तो कमाल कर गया ...

    "जान लो वो मार देगा जान से जो
    चासनी लब पर रखे हरपल बनाये."

    क्या गजब का शेर है .... वाह भई वाह ...

    ReplyDelete
  11. बहुत बढियाँ....
    बहुत खूब....
    :-)

    ReplyDelete

आइये आपका स्वागत है, इतनी दूर आये हैं तो टिप्पणी करके जाइए, लिखने का हौंसला बना रहेगा. सादर