टूटता ये दिल रहा है जिंदगी भर,
दर्द ही हासिल रहा है जिंदगी भर,
दर्द ही हासिल रहा है जिंदगी भर,
अधमरा हर बार मुझको छोड़ देना,
मारता तिल-2 रहा है जिंदगी भर,
मारता तिल-2 रहा है जिंदगी भर,
देखकर मुझको निगाहें फेर लेना,
दौर ये मुश्किल रहा है जिंदगी भर,
दौर ये मुश्किल रहा है जिंदगी भर,
बेवजह मुझको मिली बदनामियाँ हैं,
जबकि वो कातिल रहा है जिंदगी भर,
जबकि वो कातिल रहा है जिंदगी भर,
नींद से मैं जाग जाता हूँ अचानक,
खौफ यूँ शामिल रहा है जिंदगी भर,
खौफ यूँ शामिल रहा है जिंदगी भर,
चाह है मैं चाहता उसको रहूँ बस,
इक यही आदिल रहा है जिंदगी भर.
इक यही आदिल रहा है जिंदगी भर.
वाह ... बेहतरीन अभिव्यक्ति
ReplyDeleteशुक्रिया सदा दी
Deleteमाफ़ी चाहता हूँ इतने दिनों से आपके ब्लॉग पर नही आ सका।
ReplyDelete4 व 5 न. शेर बेहद लाजवाब लगा ...इन्ही शेरों पर दो शेर पेश कर रहा हूँ ...
प्यार बिन रोम रोम प्यासा है मेरा
तू दरिया रहा है जिन्दगी भर
लोग मांगते है प्यार मुझ से
तू ही ईशारा रहा है जिन्दगी भर.
आभार रोहित भाई
Deleteदेखकर मुझको निगाहें फेर लेना,
दौर ये मुश्किल रहा है जिंदगी भर,
वैरी नाइस वरुण.ख़ास कर ये पंक्तियाँ .
शुक्रिया-शुक्रिया आमिर भाई
Deleteशोख नज़रों में सवाल बाकी हैं,
ReplyDeleteलाजवाब उम्र हुई जिंदगी भर...
वाह बहुत खूब... शुक्रिया अरुण
आभार संध्या दी
Deleteबेवजह मुझको मिली बदनामियाँ हैं,
ReplyDeleteजबकि वो कातिल रहा है जिंदगी भर,
नींद से मैं जाग जाता हूँ अचानक,
खौफ यूँ शामिल रहा है जिंदगी भर,... behatareen sher arun ji!
शुक्रिया शालिनी जी
Deleteबहुत बढियाँ हर शेर खास है
ReplyDeleteबेहतरीन ...बेहतरीन....
:-)
बहुत उम्दा प्रस्तुति,,,, बधाई।
ReplyDeleteये भी एक तमाशा है कारजारे-उल्फत का
दिल किसी का होता है,बस किसी का चलता,,,,
वाह आदरणीय धीरेन्द्र सर क्या बात है आभार.
Deletebehad khub Arun ji
ReplyDeletebehad khub Arun ji
ReplyDeleteशुक्रिया आरती जी
Delete