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Saturday, December 15, 2012

टूटता ये दिल रहा है जिंदगी भर

टूटता ये दिल रहा है जिंदगी भर,
दर्द ही हासिल रहा है जिंदगी भर,
 
अधमरा हर बार मुझको छोड़ देना,
मारता तिल-2 रहा है जिंदगी भर,
 
देखकर मुझको निगाहें फेर लेना,
दौर ये मुश्किल रहा है जिंदगी भर,
 
बेवजह मुझको मिली बदनामियाँ हैं,
जबकि वो कातिल रहा है जिंदगी भर,
 
नींद से मैं जाग जाता हूँ अचानक,
खौफ यूँ शामिल रहा है जिंदगी भर,
 
चाह है मैं चाहता उसको रहूँ बस,
इक यही आदिल रहा है जिंदगी भर.

16 comments:

  1. वाह ... बेहतरीन अभिव्‍यक्ति

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  2. माफ़ी चाहता हूँ इतने दिनों से आपके ब्लॉग पर नही आ सका।
    4 व 5 न. शेर बेहद लाजवाब लगा ...इन्ही शेरों पर दो शेर पेश कर रहा हूँ ...
    प्यार बिन रोम रोम प्यासा है मेरा
    तू दरिया रहा है जिन्दगी भर

    लोग मांगते है प्यार मुझ से
    तू ही ईशारा रहा है जिन्दगी भर.

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  3. देखकर मुझको निगाहें फेर लेना,
    दौर ये मुश्किल रहा है जिंदगी भर,
    वैरी नाइस वरुण.ख़ास कर ये पंक्तियाँ .

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    1. शुक्रिया-शुक्रिया आमिर भाई

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  4. शोख नज़रों में सवाल बाकी हैं,
    लाजवाब उम्र हुई जिंदगी भर...
    वाह बहुत खूब... शुक्रिया अरुण

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  5. बेवजह मुझको मिली बदनामियाँ हैं,
    जबकि वो कातिल रहा है जिंदगी भर,

    नींद से मैं जाग जाता हूँ अचानक,
    खौफ यूँ शामिल रहा है जिंदगी भर,... behatareen sher arun ji!

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  6. बहुत बढियाँ हर शेर खास है
    बेहतरीन ...बेहतरीन....
    :-)

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  7. बहुत उम्दा प्रस्तुति,,,, बधाई।

    ये भी एक तमाशा है कारजारे-उल्फत का
    दिल किसी का होता है,बस किसी का चलता,,,,

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    1. वाह आदरणीय धीरेन्द्र सर क्या बात है आभार.

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