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Saturday, December 29, 2012

जिंदगी मौत के कदमो पे सफ़र करती है

"ओ बी ओ तरही मुशायरा" अंक ३० में शामिल मेरी पहली ग़ज़ल.

दिल्लगी यार की बेकार हुनर करती है,
मार के चोट वो गम़ख्व़ार फ़िकर करती है,

इन्तहां याद की जब पार करे हद यारों,
रात अंगारों के बिस्तर पे बसर करती है,

आरजू है की तुझे भूल भुला मैं जाऊं,
चाह हर बार तेरी पास मगर करती है,

देखने की तुझे न चाह न कोई हसरत,
माफ़ करना जो ये गुस्ताख नज़र करती है,

मुश्किलें दूर कहीं छोड़ मुझे ना जाएँ,
जिंदगी मौत के कदमो पे सफ़र करती है,

सामने प्यार बहुत और बुराई पीछे,
इक यही बात तेरी दिल पे असर करती है.


गम़ख्व़ार - दिलासा देते हुए

21 comments:

  1. ह्रदय के अन्तःस्थल से आभार सर

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  2. बढ़िया गजल कही है .

    मुश्किलें दूर कहीं छोड़ मुझे ना जाएँ,
    जिंदगी मौत के कदमो पे सफ़र करती है,

    सामने प्यार बहुत और बुराई पीछे,
    इक यही बात तेरी दिल पे असर करती है.

    गम़ख्व़ार - दिलासा देते हुए

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    1. आदरणीय वीरेंद्र सर आपका बढ़िया कहना ही हौसला बढ़ा देता है हार्दिक बधाई

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  3. सामने प्यार बहुत और बुराई पीछे,
    इक यही बात तेरी दिल पे असर करती है

    ये शेर बड़ा ही दिलकश है। बहुत सुन्दर अरुण।

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    1. शुक्रिया भाई जान बहुत बहुत शुक्रिया

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  4. लाजवाब ग़ज़ल... सच है... ज़िन्दगी मौत के क़दमों पे सफ़र करती है...

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    1. धन्यवाद आदरणीय धीरेन्द्र सर

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  6. बहुत सुन्दर प्रस्तुति.

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    1. मधु जी तहे दिल शुक्रिया

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  7. आपकी कविता मन के संवेदनशील तारों को झंकृत कर गई। मेरी कामना है कि आप अहर्निश सृजनरत रहें। मेरे नए पोस्ट पर आपका इंतजार रहेगा। न्यवाद।

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    1. आदरणीय आप यहाँ आये मेरा मनोबल बढ़ा है, आपका कथन सुखद एवं प्रेरणादाई है हार्दिक आभार.

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  8. अरुण ब्लॉग स्पेम चेक रहा करो। कई कमेंट्स उसमे रोजाना चले जाते हैं।

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    1. भाईजान रोजाना चेक करता हूँ

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  9. देखने की तुझे न चाह न कोई हसरत,
    माफ़ करना जो ये गुस्ताख नज़र करती है ..

    वाह क्या बट है ... लाजवाब शेर ... कसूर तो नज़रों का ही होता है ...

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    1. तहे दिल से आभार आदरणीय नासवा सर

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  10. कई दिनों से मैं ब्लॉग की दुनियां से कटा कटा रहा ... तो मैं आपकी पोस्ट पर नही आ पाया ...
    वीर जी आपकी गजल बड़ी शानदार लगी ...

    सामने प्यार बहुत और बुराई पीछे
    इक यही बात तेरी दिल प' असर करती है।

    कितनी चुभने वाली बात किस शालीनता से कह डाली। ..वाह

    यहाँ पर आपका इंतजार रहेगा : शहरे-हवस

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    1. रोहित भाई आपका तहे दिल से शुक्रिया, आपको सापरिवर सहित नव वर्ष की ढेरों शुभकामनायें

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  11. मुश्किलें दूर कहीं छोड़ मुझे ना जाएँ,
    जिंदगी मौत के कदमो पे सफ़र करती है,

    ...वाह! बहुत ख़ूबसूरत ग़ज़ल..

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    1. आभार आदरणीय कैलाश सर आपको सापरिवर सहित नव वर्ष की ढेरों शुभकामनायें

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