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Monday, December 31, 2012

जब बुढ़ापे का - खुदा दे के सहारा छीने

ओ. बी. ओ. तरही मुशायरा अंक ३० में शामिल मेरी दूसरी ग़ज़ल

मौत को दूर, मुसीबत बेअसर करती है,
गर दुआ प्यार भरी, साथ सफ़र करती है,

जान लेवा ये तेरी, शोख़ अदा है कातिल,
वार पे वार, कई बार नज़र करती है,

देख के तुम न डरो, तेज हवा का झोंका,
राज की बात हवा, दिल को खबर करती है,

फासले बीच भले, लाख रहे हों हरदम,
फैसला प्यार का, तकदीर मगर करती है,

जख्म से दर्द मिले, पीर मिले चाहत से,
प्यार की मार सदा, घाव जबर करती है,

जब बुढ़ापे का, खुदा दे के सहारा छीने,
रात अंगारों के, बिस्तर पे बसर करती है...

21 comments:

  1. बहुत ही सुन्दर प्रस्तुती। भगवान न करे किसी का बुढ़ापे का सहारा छीन जाय।नवबर्ष की हार्दिक शुभकामनायें।
    राजेन्द्र ब्लॉग
    वेब मीडिया
    भूली -बिसरी यादें

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    1. आभार आदरणीया राजेंद्र कुमार जी

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  2. प्रभावी लेखन,
    जारी रहें,
    बधाई !!

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    1. शुक्रिया आदरणीया रजनीश जी

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  3. देख के तुम न डरो, तेज हवा का झोंका,
    राज की बात हवा, दिल को खबर करती है,
    शानदार शेर , के साथ नए साल की मुबारक बाद कबूल करें।

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    1. शुक्रिया भाई जान आपको भी नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनायें

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  4. सुन्दर प्रस्तुति
    नव वर्ष पर बधाइयाँ !!

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    1. संजय भाई नमस्कार आपको भी नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनायें

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  5. बेहतरीन ग़ज़ल..नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनायें!

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    1. अनेक-२ धन्यवाद आदरणीय कैलाश सर आपको भी नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनायें

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  6. प्रतीक्षा है सूर्योदय की... नव वर्ष की शुभकामनाओं के साथ....

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    1. आभार संध्या दी आपको भी नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनायें

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  7. जब बुढ़ापे का, खुदा दे के सहारा छीने,
    रात अंगारों के, बिस्तर पे बसर करती है...
    भावपूर्ण गजल..
    आपको सहपरिवार नववर्ष की हार्दिक शुभकामनाएँ...
    :-)

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    1. शुक्रिया रीना जी आपको भी नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनायें

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  8. नया साल मुबारक हो

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    1. विनोद भाई आपको भी नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनायें

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  9. मंगलमय नव वर्ष हो, फैले धवल उजास ।
    आस पूर्ण होवें सभी, बढ़े आत्म-विश्वास ।

    बढ़े आत्म-विश्वास, रास सन तेरह आये ।
    शुभ शुभ हो हर घड़ी, जिन्दगी नित मुस्काये ।

    रविकर की कामना, चतुर्दिक प्रेम हर्ष हो ।
    सुख-शान्ति सौहार्द, मंगलमय नव वर्ष हो ।।

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    1. आदरणीय रविकर नमस्कार आप आये टिप्पणियों की बहार लाये अनेक-२ धन्यवाद, नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनायें.

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  10. आभार धीरेन्द्र सर आपको भी नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनायें

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  11. कमेंट में देरी करने की क्षमा चाहता हूँ ..
    मैं आपके ब्लॉग पर आता तो हूँ पर समय की किल्लत रहते कमेंट नहीं कर पाता हूँ ...

    लास्ट वाले शेर में कितना दर्द भर आया है ...सारी गजल काबिले-तारीफ़ है

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  12. waah bhai saahab waah kya baat hai

    मौत को दूर, मुसीबत बेअसर करती है,
    गर दुआ प्यार भरी, साथ सफ़र करती है,

    जान लेवा ये तेरी, शोख़ अदा है कातिल,
    वार पे वार, कई बार नज़र करती है,

    laajwaab badhaai ho

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