ओ. बी. ओ. तरही मुशायरा अंक ३० में शामिल मेरी दूसरी ग़ज़ल
मौत को दूर, मुसीबत बेअसर करती है,
गर दुआ प्यार भरी, साथ सफ़र करती है,
जान लेवा ये तेरी, शोख़ अदा है कातिल,
वार पे वार, कई बार नज़र करती है,
देख के तुम न डरो, तेज हवा का झोंका,
राज की बात हवा, दिल को खबर करती है,
फासले बीच भले, लाख रहे हों हरदम,
फैसला प्यार का, तकदीर मगर करती है,
जख्म से दर्द मिले, पीर मिले चाहत से,
प्यार की मार सदा, घाव जबर करती है,
जब बुढ़ापे का, खुदा दे के सहारा छीने,
रात अंगारों के, बिस्तर पे बसर करती है...
गर दुआ प्यार भरी, साथ सफ़र करती है,
जान लेवा ये तेरी, शोख़ अदा है कातिल,
वार पे वार, कई बार नज़र करती है,
देख के तुम न डरो, तेज हवा का झोंका,
राज की बात हवा, दिल को खबर करती है,
फासले बीच भले, लाख रहे हों हरदम,
फैसला प्यार का, तकदीर मगर करती है,
जख्म से दर्द मिले, पीर मिले चाहत से,
प्यार की मार सदा, घाव जबर करती है,
जब बुढ़ापे का, खुदा दे के सहारा छीने,
रात अंगारों के, बिस्तर पे बसर करती है...
बहुत ही सुन्दर प्रस्तुती। भगवान न करे किसी का बुढ़ापे का सहारा छीन जाय।नवबर्ष की हार्दिक शुभकामनायें।
ReplyDeleteराजेन्द्र ब्लॉग
वेब मीडिया
भूली -बिसरी यादें
आभार आदरणीया राजेंद्र कुमार जी
Deleteप्रभावी लेखन,
ReplyDeleteजारी रहें,
बधाई !!
शुक्रिया आदरणीया रजनीश जी
Deleteदेख के तुम न डरो, तेज हवा का झोंका,
ReplyDeleteराज की बात हवा, दिल को खबर करती है,
शानदार शेर , के साथ नए साल की मुबारक बाद कबूल करें।
शुक्रिया भाई जान आपको भी नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनायें
Deleteसुन्दर प्रस्तुति
ReplyDeleteनव वर्ष पर बधाइयाँ !!
संजय भाई नमस्कार आपको भी नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनायें
Deleteबेहतरीन ग़ज़ल..नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनायें!
ReplyDeleteअनेक-२ धन्यवाद आदरणीय कैलाश सर आपको भी नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनायें
Deleteप्रतीक्षा है सूर्योदय की... नव वर्ष की शुभकामनाओं के साथ....
ReplyDeleteआभार संध्या दी आपको भी नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनायें
Deleteजब बुढ़ापे का, खुदा दे के सहारा छीने,
ReplyDeleteरात अंगारों के, बिस्तर पे बसर करती है...
भावपूर्ण गजल..
आपको सहपरिवार नववर्ष की हार्दिक शुभकामनाएँ...
:-)
शुक्रिया रीना जी आपको भी नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनायें
Deleteनया साल मुबारक हो
ReplyDeleteविनोद भाई आपको भी नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनायें
Deleteमंगलमय नव वर्ष हो, फैले धवल उजास ।
ReplyDeleteआस पूर्ण होवें सभी, बढ़े आत्म-विश्वास ।
बढ़े आत्म-विश्वास, रास सन तेरह आये ।
शुभ शुभ हो हर घड़ी, जिन्दगी नित मुस्काये ।
रविकर की कामना, चतुर्दिक प्रेम हर्ष हो ।
सुख-शान्ति सौहार्द, मंगलमय नव वर्ष हो ।।
आदरणीय रविकर नमस्कार आप आये टिप्पणियों की बहार लाये अनेक-२ धन्यवाद, नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनायें.
Deleteआभार धीरेन्द्र सर आपको भी नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनायें
ReplyDeleteकमेंट में देरी करने की क्षमा चाहता हूँ ..
ReplyDeleteमैं आपके ब्लॉग पर आता तो हूँ पर समय की किल्लत रहते कमेंट नहीं कर पाता हूँ ...
लास्ट वाले शेर में कितना दर्द भर आया है ...सारी गजल काबिले-तारीफ़ है
waah bhai saahab waah kya baat hai
ReplyDeleteमौत को दूर, मुसीबत बेअसर करती है,
गर दुआ प्यार भरी, साथ सफ़र करती है,
जान लेवा ये तेरी, शोख़ अदा है कातिल,
वार पे वार, कई बार नज़र करती है,
laajwaab badhaai ho