जीने के आसार ले गए,
जीवन का आधार ले गए,
भूखों की पतवार ले गए,
लूटपाट घरबार ले गए,
छीनछान व्यापार ले गए,
दौलत देश के पार ले गए,
खुशियों के बाज़ार ले गए,
औषधि और उपचार ले गए,
सारा आदर सत्कार ले गए,
प्रेम भाव त्यौहार ले गए,
पेट्रोल बढ़ाया कार ले गए,
गाड़ी मेरी मार ले गए,
खुद्दारी खुद्दार ले गए,
दानव का किरदार ले गए.
ReplyDeleteअलग ही अंदाज |
आभार अरुण ||
आदरणीय रविकर सर अनेक-२ धन्यवाद
Delete
ReplyDeleteसंसदीय व्यवहार ले गए ,
तहे दिल से शुक्रिया आदरणीय वीरेंद्र सर
Deleteबहुत बढिया ...
ReplyDeleteआभार सदा दी
Deleteअच्छा प्रयास अरुण जी...
ReplyDeleteतहे दिल से शुक्रिया शालिनी जी
Deleteसारा आदर सत्कार ले गये।
ReplyDeleteबिलकुल सही है वरुण।
अबकी बार काफी अलग और नए अंदाज़ में लिखा ,और बड़ा अच्छा लिखा।
बहुत-२ शुक्रिया आमिर भाई
Deleteलोगो की ब्यथा को दर्शाने का एक सुन्दर अंदाज,धन्यवाद।
ReplyDeleteराजेन्द्र ब्लॉग
राजेंद्र सर आपको अंदाज भाया आभार
Deleteसुंदर अंदाज़ में आजके हालत को बयाँ कर दिया. सुंदर कविता.
ReplyDeleteशुभकामनायें.
आभार आदरणीया रचना जी
Deleteबहुत खूब .. आज के हालात पे तप्सरा ...
ReplyDeleteऐसा ही रहा तो पता नहीं क्या क्या लूट लेंगे ये ...
आभार आदरणीय दिगम्बर सर
Deleteआजके हालत को बड़ी ही सुन्दरता से प्रस्तुत किया है आपने अरुण भाई
ReplyDeleteआभार संजय भाई
Deleteआय-हाय ...मजा आ गया ... भाई बहुत खूब
ReplyDelete