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Thursday, December 6, 2012

प्यार से तस्वीर मेरी पोंछना आंसू बहाके

प्यार से तस्वीर मेरी, पोंछना आंसू बहाके।
शीश खटिये पे टिकाकर, सोंचना आंसू बहाके।।

चैन से जी भी न पाये,चैन से मर भी न पाये।
याद के टुकड़े पुराने, नोंचना आंसू बहाके।।

इस कदर मेरी मुहब्बत, कर गई बर्बाद उसको।
नाम लिख मेरा हँथेली, गोंचना आंसू बहाके।।

जब कभी मेरी कमी खलती, उसे है खामखा तब।
दर्द में दुखती रगों को कोंचना आंसू बहाके।।

जख्म से मजबूर होके, घाव ले जीती रही।
क्या करे तकदीर को है, कोसना आंसू बहाके।।

चाँद से हो खूबसूरत, जब कभी उसको कहूँ मैं।
शर्म से फिर मुस्कुराना, रोकना आंसू बहाके।।

17 comments:

  1. एक बेहतरीन गज़ल की रचना की है भाई साहब आपने ... मेरे भी दो शेर साँझा करना चाहता हूँ...

    विरह में दर्द जब हद अपनी पार करे
    सिसक-सिसक कर बोलना आंसू बहाके.

    थोड़े से दर्द में भी आंसू चले आते है,इसी आड़ में
    वो तेरा जानलेवा दर्द छुपाना आंसू बहाके.

    आप मेरे ब्लॉग पर पधारे,आपका कोटि कोटि आभार !!

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    1. बहुत - शुक्रिया मित्र रोहित

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  2. इस कदर मेरी मुहब्बत, कर गई बर्बाद उसको।
    नाम लिख मेरा हँथेली, गोंचना आंसू बहा

    बेहतरीन अंदाज़ की गजल है पिक्चर परफेक्ट .

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    1. तहे दिल से आभार वीरेंद्र सर

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  3. वाह ... बेहतरीन प्रस्‍तुति

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  4. बहुत-2 शुक्रिया आदरणीय रविकर सर

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  5. इक हूक़ सी दिल में उठती है इक दर्द जिगर में होता है.
    मै रात को उठ कर रोता हूँ जब सारा आलम सोता है,,,


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    1. शुक्रिया धीरेन्द्र सर

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  6. बहुत खुब. शानदार गज़ल.

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  7. बेहतरीन गज़ल...है अरुण जी
    जवाब नहीं आपका

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    1. अनेक-2 धन्यवाद संजय भाई सराहना व हौंसला आफजाई हेतु

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  8. इस कदर मेरी मुहब्बत, कर गई बर्बाद उसको।
    नाम लिख मेरा हँथेली, गोंचना आंसू बहाके ..

    क्या बात है ... कमाल का शेर है इस गज़ल का ...

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    1. अनेक-2 धन्यवाद दिगम्बर सर

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  9. बहुत बढियां ...
    संवेदनशील गजल है...
    बेहतरीन शेर...

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