मित्र मित्रता
शिव भोले श्री राम
सत्य सत्यता
गंगा स्नान
सुन्दर हो विचार
अंतर ध्यान
व्याकुल मन
अशांत सरोवर
राम भजन
कर्म प्रधान
सम्पूर्ण परमात्मा
आत्म सम्मान
भीषण ज्वर
होनी हो अनहोनी
श्री गिरधर
गीता का सार
लोक व परलोक
जीत में हार
जग कल्याण
ब्रम्हा - विष्णु - महेश
आत्मा है प्राण
शिव भोले श्री राम
सत्य सत्यता
गंगा स्नान
सुन्दर हो विचार
अंतर ध्यान
व्याकुल मन
अशांत सरोवर
राम भजन
कर्म प्रधान
सम्पूर्ण परमात्मा
आत्म सम्मान
भीषण ज्वर
होनी हो अनहोनी
श्री गिरधर
गीता का सार
लोक व परलोक
जीत में हार
जग कल्याण
ब्रम्हा - विष्णु - महेश
आत्मा है प्राण
वाह ... बहुत बढिया।
ReplyDeleteबहुत-2 शुक्रिया सदा दी
Deleteगजब के हाइकू
ReplyDeleteबहुत-2 शुक्रिया रोहित भाई
Deleteवाह,,,लाजबाब हाइकू,,,,
ReplyDeleterecent post: बात न करो,
शुक्रिया धीरेन्द्र सर
Deleteऐसे हाइकू
ReplyDeleteकैसे रच लेते हो
अरुण शर्मा |
जब भी पढ़ूँ
हृदय आनंदित
होता बहुत |
कविता है क्या
सत्यं शिवं सुंदरं
का एक रूप |
आदरणीय अरुण सर जैसा आपका लिखते है वैसा कोई भी नहीं लिखता आपकी रचनाएँ मुझे बेहद प्रभावित करती हैं.
Deleteबहुत खूब .. तुक मिलते हुवे हाइकू कम ही मिलते हैं पढ़ने को ...
ReplyDeleteलाजवाब ...
बहुत-2 शुक्रिया दिगम्बर सर
Deleteगजलों के उस्ताद हैं ही आप .
ReplyDeleteअब हाइकु में भी जम गए है सर जी..
बहुत बढियां...
शुभकामनाएं...
:-)
आभार रीना जी
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