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Friday, December 7, 2012

कुछ हाइकु

मित्र मित्रता
शिव भोले श्री राम
सत्य सत्यता

गंगा स्नान
सुन्दर हो विचार
अंतर ध्यान

व्याकुल मन
अशांत सरोवर
राम भजन

कर्म प्रधान
सम्पूर्ण परमात्मा
आत्म सम्मान

भीषण ज्वर
होनी हो अनहोनी
श्री गिरधर

गीता का सार
लोक व परलोक
 जीत में हार

जग कल्याण
ब्रम्हा - विष्णु - महेश
आत्मा है प्राण 

12 comments:

  1. वाह ... बहुत बढिया।

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    1. बहुत-2 शुक्रिया रोहित भाई

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    1. शुक्रिया धीरेन्द्र सर

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  4. ऐसे हाइकू
    कैसे रच लेते हो
    अरुण शर्मा |

    जब भी पढ़ूँ
    हृदय आनंदित
    होता बहुत |

    कविता है क्या
    सत्यं शिवं सुंदरं
    का एक रूप |

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    1. आदरणीय अरुण सर जैसा आपका लिखते है वैसा कोई भी नहीं लिखता आपकी रचनाएँ मुझे बेहद प्रभावित करती हैं.

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  5. बहुत खूब .. तुक मिलते हुवे हाइकू कम ही मिलते हैं पढ़ने को ...
    लाजवाब ...

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    1. बहुत-2 शुक्रिया दिगम्बर सर

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  6. गजलों के उस्ताद हैं ही आप .
    अब हाइकु में भी जम गए है सर जी..
    बहुत बढियां...
    शुभकामनाएं...
    :-)

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