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Monday, December 3, 2012

कुछ - हाइकु

पराया धन
बढ़ाता परेशानी
मन में चिंता 

बुरी नज़र
जलाती तिल तिल
प्रेम संसार

क्रोधित मन
समझता कब है
अपनी भूल

ज्ञानी ह्रदय
बड़ा शांत स्वभावी
प्रकृति जैसा

फूल के पीछे
पड़ी हवा दिवानी
भौंरा पागल

शाम - सबेरे
है ठण्ड झकझोरे
शीत ऋतु की 

घूमा मंदिर
भगवान को पाया
मन भीतर

माँ की ममता
अथाह पारावार
पार न पाए

17 comments:

  1. सब एक से बढ़कर एक हैं हाइकु। बहुत सुन्दर।

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  2. बहुत खूब सुंदर हाइकू,,,,अरुन जी बहुत अच्छा प्रयास,,,बधाई,,

    recent post: बात न करो,

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    Replies
    1. शुक्रिया धीरेन्द्र सर

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  3. मां की ममता

    अथाह पारावार

    पार न पाये

    बहुत ही बढिया हाइकू ... सभी एक से बढ़कर एक

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  4. बहुत ही बढ़ियाँ हाइकु
    बेस्ट है :-)
    :-)

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  5. सुंदर हाइकु ...
    शुभकामनायें ...

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  6. फूल के पीछे
    पड़ी हवा दीवानी
    भौंरा पागल.

    बेहद उम्दा हाइकु. :)

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  7. सुंदर हाइकु ......भाई साहब

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  8. भावमय हैं सभी हाइकू ...

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