शीतल जल
रविकर किरण
हिम पिघल
आग जलाई
कहर निरंतर
ओढ़ रजाई
चौपट धंधे
हैं चिंतित किसान
छुपे परिंदे
गर्म तसला
मुरझाई फसल
सूर्य निकला
घना कुहासा
खिलखिले सुमन
शीतल भाषा
पौष से माघ
सुरसुरी पवन
पानी सी आग
शुरू गुलाबी
मानव भयभीत
शिशिर बाकी
रविकर किरण
हिम पिघल
आग जलाई
कहर निरंतर
ओढ़ रजाई
चौपट धंधे
हैं चिंतित किसान
छुपे परिंदे
गर्म तसला
मुरझाई फसल
सूर्य निकला
घना कुहासा
खिलखिले सुमन
शीतल भाषा
पौष से माघ
सुरसुरी पवन
पानी सी आग
शुरू गुलाबी
मानव भयभीत
शिशिर बाकी
वाह!!!!!बहुत शानदार सुंदर हाइकू!!
ReplyDeleterecent post: रूप संवारा नहीं...
धन्यवाद धीरेन्द्र सर
Deleteहेमंत ऋतू का सारा वर्तांत आ जाता है इन हाइकू में ... गजब के हाइकू की रचना कर डाली है आपने ..
ReplyDeleteबधाई स्वीकार करें।
धन्यवाद मित्र रोहित
Deleteबिलकुल सही नक्षा खिंचा है।
ReplyDeleteशुक्रिया आमिर भाई
Deleteवाह ... बहुत ही बढिया।
ReplyDeleteधन्यवाद सदा दी
Deletewah arun bhai.......haeku me apki kalam badhiya chal rahi hai
ReplyDeleteधन्यवाद संजय भाई
Deleteगुलाबी ठण्ड
ReplyDeleteपिक्चर अभी बाकी
तैयारी करें |
स्वीकार करें
अनंत बधाइयाँ
मस्त हाइकू |
धन्यवाद अरुण सर
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