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Friday, January 18, 2013

खरामा - खरामा

खरामा - खरामा चली जिंदगी,
खरामा - खरामा घुटन बेबसी,

भरी रात दिन है नमी आँख में,
खरामा - खरामा लुटी हर ख़ुशी,

अचानक से मेरा गया बाकपन,
खरामा - खरामा गई सादगी,

शरम का ख़तम दौर हो सा गया,
खरामा - खरामा मची गन्दगी,

जमाना भलाई का गुम हो गया,
खरामा - खरामा बुरा आदमी,

जुबां पे रखी स्वाद की गोलियां,
खरामा - खरामा जहर सी लगी.

17 comments:

  1. कहे बात मन की खरामा खरामा |
    जमाने वतन की खरामा खरामा ||
    अरुण जब अकेले गजल पढ़ रहा है-
    चला कौन आये खरामा खरामा ||

    मात्रा का दोष नहीं है ना -

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    1. वाह कमाल धमाल बेमिसाल गुरुदेव मज़ा आ गया क्या बात है, अनेक-अनेक धन्यवाद. मात्रा का दोष बिलकुल नहीं है सर.सादर

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  2. धन्यवाद सर अनेक-अनेक धन्यवाद लिंक - लिक्खाड़ पर स्थान देने हेतु.

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  3. कमाल की प्रस्तुति अरुनजी,,,क्याबात है

    recent post : बस्तर-बाला,,,

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    1. आभार आदरणीय धीरेन्द्र सर

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  4. जुबां पे रखी स्वाद की गोलियां,
    खरामा - खरामा जहर सी लगी.
    भाई सही लिखा कभी कभी मीठी गोली भी कडवी लगती है,खरामा खरामा बहुत ही सुंदर।

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  5. वाह ... बेहतरीन

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  6. शरम का ख़तम दौर हो सा गया,
    खरामा - खरामा मची गन्दगी,..

    बहुत खूब ... सच है की शर्म खत्म हो गई है अब ...
    सार्थक लिखा है ...

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    1. आभार आदरणीय दिगम्बर सर

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  7. जुबां पे रखी स्वाद की गोलियां,
    खरामा - खरामा जहर सी लगी.

    बहुत सुन्दर प्रस्तुति ,खरामा खरामा है दिल को लगी ,ये दिल की लगी ,कही अनकही ,सभी बतकही ,

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    1. बहुत-बहुत धन्यवाद आदरणीय वीरेंद्र सर

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  8. क्या बात है अरुन जी वाह
    खरामा - खरामा

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    1. हार्दिक आभार भ्राताश्री संजय जी

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  9. जुबां पे रखी स्वाद की गोलियां,
    खरामा - खरामा जहर सी लगी.

    बहुत खूब ,,,,,,
    खरामा-खरामा आपने कितना कुछ कह दिया ,,,
    सार्थक रचना !

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    1. धन्यवाद शिवनाथ कुमार जी

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