खरामा - खरामा चली जिंदगी,
खरामा - खरामा घुटन बेबसी,
भरी रात दिन है नमी आँख में,
खरामा - खरामा लुटी हर ख़ुशी,
अचानक से मेरा गया बाकपन,
खरामा - खरामा गई सादगी,
शरम का ख़तम दौर हो सा गया,
खरामा - खरामा मची गन्दगी,
जमाना भलाई का गुम हो गया,
खरामा - खरामा बुरा आदमी,
जुबां पे रखी स्वाद की गोलियां,
खरामा - खरामा जहर सी लगी.
कहे बात मन की खरामा खरामा |
ReplyDeleteजमाने वतन की खरामा खरामा ||
अरुण जब अकेले गजल पढ़ रहा है-
चला कौन आये खरामा खरामा ||
मात्रा का दोष नहीं है ना -
वाह कमाल धमाल बेमिसाल गुरुदेव मज़ा आ गया क्या बात है, अनेक-अनेक धन्यवाद. मात्रा का दोष बिलकुल नहीं है सर.सादर
Deleteधन्यवाद सर अनेक-अनेक धन्यवाद लिंक - लिक्खाड़ पर स्थान देने हेतु.
ReplyDeleteकमाल की प्रस्तुति अरुनजी,,,क्याबात है
ReplyDeleterecent post : बस्तर-बाला,,,
आभार आदरणीय धीरेन्द्र सर
Deleteजुबां पे रखी स्वाद की गोलियां,
ReplyDeleteखरामा - खरामा जहर सी लगी.
भाई सही लिखा कभी कभी मीठी गोली भी कडवी लगती है,खरामा खरामा बहुत ही सुंदर।
धन्यवाद राजेंद्र जी
Deleteवाह ... बेहतरीन
ReplyDeleteआभार सदा दी
Deleteशरम का ख़तम दौर हो सा गया,
ReplyDeleteखरामा - खरामा मची गन्दगी,..
बहुत खूब ... सच है की शर्म खत्म हो गई है अब ...
सार्थक लिखा है ...
आभार आदरणीय दिगम्बर सर
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ReplyDeleteजुबां पे रखी स्वाद की गोलियां,
खरामा - खरामा जहर सी लगी.
बहुत सुन्दर प्रस्तुति ,खरामा खरामा है दिल को लगी ,ये दिल की लगी ,कही अनकही ,सभी बतकही ,
बहुत-बहुत धन्यवाद आदरणीय वीरेंद्र सर
Deleteक्या बात है अरुन जी वाह
ReplyDeleteखरामा - खरामा
हार्दिक आभार भ्राताश्री संजय जी
Deleteजुबां पे रखी स्वाद की गोलियां,
ReplyDeleteखरामा - खरामा जहर सी लगी.
बहुत खूब ,,,,,,
खरामा-खरामा आपने कितना कुछ कह दिया ,,,
सार्थक रचना !
धन्यवाद शिवनाथ कुमार जी
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