बढ़िया गजल छोटी बहर ,गजब का कहर दुखे दिल जो यारों न आंसू बहाना बनाकर मिटाना है किस्सा पुराना
बढ़िया गजल छोटी बहर ,गजब का कहर है हिम्मत तुम्हारी तो आँखें मिलाना ,मिलाकर झुकाना ,झुका कर उठाना .
वाह .... क्या बात है ... इतने कम शब्दों में भी उम्दा प्रस्तुति
bahut khoob...
नहीं प्रेम रस तो,जहर ही पिलाना.बहुत ही सुन्दर अभिव्यक्ति,शब्द कम भाव ज्यादा।
बढ़िया गजल*** नहीं प्रेम रस तो,जहर ही पिलाना.
बहुत बढ़ियाँ...कम शब्दों में बेहतरीन भाव...:-)
छोटी बहर में बहुत उम्दा प्रस्तुति,,,RECENT POST: रिश्वत लिए वगैर...
वाह...इसे कहते है गागर में सागर भरना...शुभकामनायें
गज़ब की गज़ल हैगज़ब का तरानाहै छोटी सी मुट्ठीभरा है खजानामेहनत से अपनीयूँ रंगत जमानाअचम्भा करेदेख सारा जमाना.....
आपकी उत्कृष्ट प्रस्तुति आज शुक्रवार के चर्चा मंच पर ।।
Bahut Umda...
bahut khub arun,jari rakhenगुज़ारिश : ''......यह तो मौसम का जादू है मितवा......''
बेहतरीन रचना के लिए बधाई !
इक संक्षिप्त किन्तु गहरी भावाभिव्यक्ति!
कहो ठोकरों से,कि चलना सिखाना,बही हैं निगाहें,समंदर बचाना,दोनों शैर बहुत ऊंचे पाए के हैं दोस्त .समुन्दर न डूब जाए कहीं आंसुओं में वल्लाह क्या बात है .देखे तुम्हें चाँद तो भूल जाए शुक्ल पक्ष में कदम रखना .शुक्रिया दोस्त हमें चर्चा मंच में बिठाने का .
आपकी हर रचना की तरह यह रचना भी बेमिसाल है !
छोटी बहर की मस्त गज़ल ... लाजवाब शेर ...
आइये आपका स्वागत है, इतनी दूर आये हैं तो टिप्पणी करके जाइए, लिखने का हौंसला बना रहेगा. सादर
ReplyDeleteबढ़िया गजल छोटी बहर ,गजब का कहर
दुखे दिल जो यारों न आंसू बहाना
बनाकर मिटाना है किस्सा पुराना
ReplyDeleteबढ़िया गजल छोटी बहर ,गजब का कहर
है हिम्मत तुम्हारी तो आँखें मिलाना ,
मिलाकर झुकाना ,झुका कर उठाना .
वाह .... क्या बात है ... इतने कम शब्दों में भी उम्दा प्रस्तुति
ReplyDeletebahut khoob...
ReplyDeleteनहीं प्रेम रस तो,
ReplyDeleteजहर ही पिलाना.
बहुत ही सुन्दर अभिव्यक्ति,शब्द कम भाव ज्यादा।
बढ़िया गजल*** नहीं प्रेम रस तो,जहर ही पिलाना.
ReplyDeleteबहुत बढ़ियाँ...
ReplyDeleteकम शब्दों में बेहतरीन भाव...
:-)
छोटी बहर में बहुत उम्दा प्रस्तुति,,,
ReplyDeleteRECENT POST: रिश्वत लिए वगैर...
वाह...इसे कहते है गागर में सागर भरना...शुभकामनायें
ReplyDeleteगज़ब की गज़ल है
ReplyDeleteगज़ब का तराना
है छोटी सी मुट्ठी
भरा है खजाना
मेहनत से अपनी
यूँ रंगत जमाना
अचम्भा करे
देख सारा जमाना.....
आपकी उत्कृष्ट प्रस्तुति आज शुक्रवार के चर्चा मंच पर ।।
ReplyDeleteBahut Umda...
ReplyDeletebahut khub arun,jari rakhen
ReplyDeleteगुज़ारिश : ''......यह तो मौसम का जादू है मितवा......''
बेहतरीन रचना के लिए बधाई !
ReplyDeleteइक संक्षिप्त किन्तु गहरी भावाभिव्यक्ति!
ReplyDeleteकहो ठोकरों से,
ReplyDeleteकि चलना सिखाना,
बही हैं निगाहें,
समंदर बचाना,
दोनों शैर बहुत ऊंचे पाए के हैं दोस्त .समुन्दर न डूब जाए कहीं आंसुओं में वल्लाह क्या बात है .देखे तुम्हें चाँद तो भूल जाए शुक्ल पक्ष में कदम रखना .शुक्रिया दोस्त हमें चर्चा मंच में बिठाने का .
आपकी हर रचना की तरह यह रचना भी बेमिसाल है !
ReplyDeleteछोटी बहर की मस्त गज़ल ... लाजवाब शेर ...
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