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Monday, February 4, 2013

दुष्कर्म पापियों का भगवान हो रहा है

.................ग़ज़ल.................

(बह्र: बहरे मुजारे मुसमन अखरब)
(वज्न: २२१, २१२२, २२१, २१२२)


दुष्कर्म पापियों का भगवान हो रहा है,
जिन्दा हमारे भीतर शैतान हो रहा है,

जुल्मो सितम तबाही फैली कदम-२ पे,
अपराध आज इतना आसान हो रहा है,

इन्साफ की डगर में उभरे तमाम कांटे,
मासूम मुश्किलों में कुर्बान हो रहा है,

कुदरत दिखा करिश्मा संसार को बचा ले,
जलके तेरा जमाना शमशान हो रहा है,

खामोश देख रब को रोया उदास भी हूँ,
पिघला नहीं खुदा दिल हैरान हो रहा है...

24 comments:

  1. वाह ... बहुत ही जरदस्‍त लिखा है आपने ... बधाई इस बेहतरीन प्रस्‍तुति की

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  2. एक न एक दिन कुदरत का कहर तो आएगा ,मिटाकर पापियों को फिर से रामराज्य बनाएगा। बहुत ही भावपूर्ण अभिव्यक्ति।

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    1. शुक्रिया राजेंद्र भाई

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  3. बहुत ही उम्दा भावपूर्ण गजल,,,,अरुन जी

    RECENT POST बदनसीबी,

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  4. बढ़िया प्रस्तुति |
    बधाई स्वीकारें ||

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    1. तहे दिल से शुक्रिया आदरणीय गुरुदेव श्री रविकर सर

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  5. विचार और भाव का सशक्त सम्प्रेषण .हमारे वक्त की एक प्रासंगिक रचना .

    बे -ईमान हँस रहा है ,ईमान रो रहा है ,

    फुटपाथ पे है मेहनत ,इंसान सो रहा है .

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  6. विचार और भाव का सशक्त सम्प्रेषण .हमारे वक्त की एक प्रासंगिक रचना .

    बे -ईमान हँस रहा है ,ईमान रो रहा है ,

    फुटपाथ पे है मेहनत ,इंसान सो रहा है .

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  7. bahut khoob,behatareen aur samsamyeek gazal,tej dhar

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  8. आपकी इस उत्कृष्ट प्रविष्टि की चर्चा कल मंगलवार 5/2/13 को चर्चा मंच पर राजेश कुमारी द्वारा की जायेगी आपका वहां हार्दिक स्वागत है

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  9. कुदरत दिखा करिश्मा संसार को बचा ले,
    जलके तेरा जमाना शमशान हो रहा है,
    बिलकुल सही कहा है. वक़्त आ गया है अब कुदरत के करिश्मे का. लाजवाब अभिव्यक्ति. शुभकामनायें..

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  10. बेहतरीन अभिव्यक्ति .......

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  11. दर पे हमारे आया,हमने किया भरोसा
    अदना एक प्यादा, सुल्तान हो रहा है ....

    विचारणेय गज़ल....

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  12. सटीक बात कहती सुंदर गज़ल

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  13. बढ़ि‍या रचना..बधाई

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  14. कुदरत दिखा करिश्मा संसार को बचा ले,
    जलके तेरा जमाना शमशान हो रहा है,..

    लाजवाब शेर ... पर ये काम तो बस अब खुदा ही कर सकता है ...

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  15. खामोश देख रब को रोया उदास भी हूँ,
    पिघला नहीं खुदा दिल हैरान हो रहा है....वाह....बेमिसाल शेर!

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  16. खामोश देख रब को रोया उदास भी हूँ,
    पिघला नहीं खुदा दिल हैरान हो रहा है...वाह ...लाजवाव शेर ..बहुत खूब!

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  17. लाजवाब शेर अरुन भाई,
    कैसे लिख जाते हो यार ऐसा सब......!!!!

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