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Wednesday, April 10, 2013

बच्चों को समर्पित दो रचनाएं

बच्चों को समर्पित दो रचनाएं
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प्रथम रचना : 'मत्तगयन्द' सवैया : 7 भगण व अंत में दो दीर्घ
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नाच नचाय रहा सबको हर ओर चलाय रहा मनमानी,
चूम ललाट रही जननी जब बोल रहा वह तोतल वानी,
धूल भरे तन माटि चखे चुपचाप लखे मुसकान सयानी,
रूप स्वरुप निहार रही सब भूल गयी यह लाल दिवानी...


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द्वतीय  रचना : कविता

मुझको नहीं होना बड़ा - वड़ा
पैरों पर अपने खड़ा - वड़ा
मैं बच्चा - बच्चा अच्छा हूँ ।

गोदी में सोने की हसरत मेरे जीवन से जायेगी,
माँ अपनी सुन्दर वाणी से लोरी भी नहीं सुनाएगी,
अच्छा है उम्र में कच्चा हूँ ।
मैं बच्चा - बच्चा अच्छा हूँ ।।

मैं फूलों संग मुस्काता हूँ, मैं कोयल के संग गाता हूँ,
चिड़िया रानी संग यारी है, मुझको लगती ये प्यारी है,
मैं मित्र सभी का सच्चा हूँ ।
मैं बच्चा - बच्चा अच्छा हूँ ।।

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                    अरुन शर्मा 'अनन्त'
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12 comments:

  1. अनुपम भाव संयोजित किये हैं आपने .... बहुत ही बढिया।

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  2. दोनों ही सुन्दर बाल रचनाएँ,बचपन का समय बहुत ही निराला होता है.

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  3. सुन्दर प्रस्तुति-
    शुभकामनायें-

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  4. bachpan kahan bhul paate hain ..dono hi rachnaaye aapki bahut badhiya lagi arun ..sundar abhiwykti

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  5. इन बाल रचनाओं का जवाब नहीं ...
    भई वाह ..

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  6. आपकी यह प्रस्तुति कल के चर्चा मंच पर है
    कृपया पधारें

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  7. बहुत सुन्दर प्रस्तुति!
    दोनों रचनाएँ बहुत बढ़िया हैं!
    साझा करने के लिए आभार!

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  8. बहुत सुन्दर प्रस्तुति!
    नवसम्वत्सर-२०७० की हार्दिक शुभकामनाएँ स्वीकार करें!

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  9. बहुत अच्छी प्रस्तुति!

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  10. अनन्त भाई बहुत सुन्दर! मजा आ गया पढ़कर! बधाई!

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  11. द्वतीय रचना : कविता

    मुझको नहीं होना बड़ा - वड़ा
    पैरों पर अपने खड़ा - वड़ा
    मैं बच्चा - बच्चा अच्छा हूँ ।

    गोदी में सोने की हसरत मेरे जीवन से जायेगी,
    माँ अपनी सुन्दर वाणी से लोरी भी नहीं सुनाएगी,
    अच्छा है उम्र में कच्चा हूँ ।
    मैं बच्चा - बच्चा अच्छा हूँ ।।

    मैं फूलों संग मुस्काता हूँ, मैं कोयल के संग गाता हूँ,
    चिड़िया रानी संग यारी है, मुझको लगती ये प्यारी है,
    मैं मित्र सभी का सच्चा हूँ ।
    मैं बच्चा - बच्चा अच्छा हूँ ।।

    वाह अभिनव रंग और खुशबू लिए बच्चों को समर्पित रचना .

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