नयन झुकाए मोहिनी, मंद मंद मुस्काय ।
रूप अनोखा देखके, दर्पण भी शर्माय ।।
नयन चलाते छूरियां, नयन चलाते बाण ।
नयनन की भाषा कठिन, नयन क्षीर आषाण ।।
दो नैना हर मर्तबा, छीन गए सुख चैन ।
मन वैरागी कर गए, भटकूँ मैं दिन रैन ।।
आंसू के मोती कभी, मिलते कभी बवाल ।
नैनों की पहचान में, ज्ञानी भी कंगाल ।।
नयना शर्मीले बड़े, नयना नखरे बाज ।
नयनो का खुलता नहीं, सालों सालों राज ।।
नैनो से नैना मिले, बसे नयन में आप ।
नैना करवाएं सदा, मन का मेल मिलाप ।।
जो नैना नीरज भरें, जीतें मन संसार ।
नैना करके छोड़ दें, सज्जन को बेकार ।।
पल पल मैं व्याकुल हुआ, किया नयन ने वार ।
दो नैनो की जीत थी, दो नैनो की हार ।।
रूप अनोखा देखके, दर्पण भी शर्माय ।।
नयन चलाते छूरियां, नयन चलाते बाण ।
नयनन की भाषा कठिन, नयन क्षीर आषाण ।।
दो नैना हर मर्तबा, छीन गए सुख चैन ।
मन वैरागी कर गए, भटकूँ मैं दिन रैन ।।
आंसू के मोती कभी, मिलते कभी बवाल ।
नैनों की पहचान में, ज्ञानी भी कंगाल ।।
नयना शर्मीले बड़े, नयना नखरे बाज ।
नयनो का खुलता नहीं, सालों सालों राज ।।
नैनो से नैना मिले, बसे नयन में आप ।
नैना करवाएं सदा, मन का मेल मिलाप ।।
जो नैना नीरज भरें, जीतें मन संसार ।
नैना करके छोड़ दें, सज्जन को बेकार ।।
पल पल मैं व्याकुल हुआ, किया नयन ने वार ।
दो नैनो की जीत थी, दो नैनो की हार ।।
ReplyDeleteसुंदर रचना
बहुत सार्थक और उत्कृष्ट प्रस्तुति
बधाई
नयनों की माया कोई नही समझ पाया ...
ReplyDeleteवाह ...बहुत खूब
पधारिये आजादी रो दीवानों: सागरमल गोपा (राजस्थानी कविता)
सार्थक दोहे!
ReplyDeleteआँखों में समा गये!
नयनो की भाषा समझ,लगे नैन के तीर
ReplyDeleteभले बली हों सूरमा,जाते होय फ़कीर ,,,,,
बहुत सुंदर दोह,,,अरुन जी,,,
अरुण जी ... लाजवाब दोहे ... आपके दोहों ने तो नयनों की झील में ही डुबो दिया .. सुन्दर लेखन के लिए बधाई !
ReplyDeleteबहुत अच्छा लिखा है . बधाई.
ReplyDeleteउम्दा..
ReplyDeleteबिना बोले ही नयनों का जादू सारी दुनिया को समा लेता है -बढ़िया दोहे!
ReplyDeleteनैन ही समझे नैनो की भाषा .. जो बात लैब न कह सके वो नैन कह देते हैं ..
ReplyDeleteनैनों पर पूरी रामायण लिख दी आपने .. बहुत बढ़िया बधाई लीजिये !
आपकी इस प्रविष्टी की चर्चा शनिवार (6-4-2013) के चर्चा मंच पर भी है ।
ReplyDeleteसूचनार्थ!
बहुत भावपूर्ण खुबसूरत रचना
ReplyDeleteLATEST POST सुहाने सपने
my post कोल्हू के बैल
नयनो का जादू,बहुत ही सुन्दर प्रस्तुतीकरण,आभार.
ReplyDeleteजिन नयनों से नयन मिलें हैं
उन नयनों का हाल न पूछिये
हम तो ठगे रह गए ऐसे
क्या था दिल का हाल न पूछिये
ओह! बहुत सुन्दर… पता नहीं बहकर पढ़े जायें ये दोहे, या बहककर… :)
ReplyDeleteआपने इतनी कसी हुई और सुन्दर शब्द चयन और संयोजन के साथ ये रचना प्रस्तुत की है कि पाठक के पास वाह और आह करने के अलावा कुछ बचता नहीं। बार बार, फिर फिर पढ़ेगा। क्या कहूं? कुछ गुंजाइश है ही नहीं कहने को। मुंह बंद कर दिया पाठक का।
ReplyDeleteढेरों बधाई।
सुंदर नैनों पर उत्कृष्ट रचना...बधाई अन्नत जी...
ReplyDeleteसुंदर नैनों पर उत्कृष्ट रचना...बधाई अन्नत जी...
ReplyDeleteखूबसूरत
ReplyDeleteआंसू के मोती कभी, मिलते कभी बवाल ।
ReplyDeleteनैनों की पहचान में, ज्ञानी भी कंगाल ...
वाह क्या बात है ... सभी दोहे कमाल हैं ... नैनों की भाषा बोलते ..
वह बहुत सुंदर नैनों का दोहत्मक चित्रण
ReplyDeleteगिरा अनयन नयन बिनु बानी
ReplyDeleteइन नैनन का कहां कोई सानी ।
हिंदी लेखनी भी बड़ी कमाल की है आपकी ,जवाब नही लाजवाब।
ReplyDeleteआपकी यह रचना दिनांक 07.06.2013 को http://blogprasaran.blogspot.in/ पर लिंक की गयी है। कृपया इसे देखें और अपने सुझाव दें।
ReplyDeletelajajab dohe...
ReplyDeletenain barasne lage :)