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Sunday, June 16, 2013

ग़ज़ल : शीर्षक पिता

 "पितृ दिवस" पर सभी पिताओं को सादर प्रणाम नमन, सभी पिताओं को समर्पित एक ग़ज़ल.

ग़ज़ल : शीर्षक पिता
बह्र :हजज मुसम्मन सालिम
......................................................

घिरा जब भी अँधेरों में सही रस्ता दिखाते हैं ।
बढ़ा कर हाँथ वो अपना मुसीबत से बचाते हैं ।।

बड़ों को मान नारी को सदा सम्मान ही देना ।
पिता जी प्रेम से शिक्षा भरी बातें सिखाते हैं ।।

दिखावा झूठ धोखा जुर्म से दूरी सदा रखना ।
बुराई की हकीकत से मुझे अवगत कराते हैं ।।

सफ़र काटों भरा हो पर नहीं थकना नहीं रुकना ।
बिछेंगे फूल क़दमों में अगर चलते ही जाते हैं ।।

ख़ुशी के वास्ते मेरी दुआ हरपल करें रब से ।
जरा सी मांग पर सर्वस्व वो अपना लुटाते हैं ।।

मुसीबत में फँसा हो गर कोई बढ़कर मदद करना ।
वही इंसान हैं इंसान के जो काम आते हैं ।।

17 comments:

  1. बहुत ही हृदयस्पर्शी एवं भावपूर्ण प्रस्तुति .. हरेक शेर सीधा दिल से निकला हुआ लग रहा है .. पितृ दिवस की शुभकामनाएँ !

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  2. बहुत सुन्दर प्रस्तुति..

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  3. बहुत सुंदर गज़ल .... पिता हर बुराई से बचने की सलाह देते हैं ।

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  4. पिता को समर्पित गज़ल बहुत ही लाजवाब है ... पिता एक बरगद की तरह रहते हैं जीवन में ... हर शेर कमाल का है ...

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  5. सुंदर लव्जों में एक बेहतरीन गजल

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  6. बहुत सुन्दर भावाभिव्यक्ति ....

    ज्योत्स्ना शर्मा

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  7. bahut hi sundar gajal. bahut lajawab..

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  8. दिखावा झूठ धोखा जुर्म से दूरी सदा रखना ।
    बुराई की हकीकत से मुझे अवगत कराते हैं ।।

    दिखावा झूठ धोखा जुर्म से दूरी सदा रखना ।
    बुराई की हकीकत से मुझे अवगत कराते हैं ।।

    पिता की सीख हर दम काम आती है ,

    मोहब्बत का लिए पैगाम आती है .

    बहुत खूबसूरत बंदिश .शुक्रिया हमारी रचना को चर्चा मंच में बिठाने का .

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  9. बड़ों को मान नारी को सदा सम्मान ही देना ।
    पिता जी प्रेम से शिक्षा भरी बातें सिखाते हैं ।।

    दिखावा झूठ धोखा जुर्म से दूरी सदा रखना ।
    बुराई की हकीकत से मुझे अवगत कराते हैं ।।

    These lines are really great!! Many congratulations.

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  10. सुंदर लव्जों में एक बेहतरीन गजल
    @ congratulations. Arun bhai

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  11. हर शेर कमाल का है

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  12. बहुत ही बेहतरीन गजल...
    :-)

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