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Thursday, May 15, 2014

नेता जी

नेता जी :-

जनता की सेवा में अर्पण नेता जी,
ईश्वर जैसा रखते लक्षण नेता जी,

मधुर रसीले शब्द सजाये अधरों पर,
मक्खन मिश्री का हैं मिश्रण नेता जी,

छीन रहे सुख चैन हमारे जीवन से,
घर घर करते दुख का रोपण नेता जी,

रोजी रोटी की कीमत है रोज नई,
महँगाई का करते वितरण नेता जी,

जोड़ बहुत है पक्का इनका कुर्सी से,
फेविकोल का सुन्दर चित्रण नेता जी,

पलक झपकते रूप नए धर लेते ये,
हैं गिरगिट के मूल संस्करण नेता जी,

झूठ दिखावा छल से दूरी कोसों की,
साफ़ हमेशा जैसे दर्पण नेता जी,

बने चुनावी मौसम में हैं राम मगर,
दिल है काला औ हैं रावण नेता जी...

7 comments:

  1. बहुत अच्छी कविता..

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  2. बहुत सुन्दर प्रस्तुति।
    --
    आपकी इस' प्रविष्टि् की चर्चा कल सोमवार (19-05-2014) को "मिलेगा सम्मान देख लेना" (चर्चा मंच-1617) पर भी होगी!
    --
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक

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  3. पलक झपकते रूप नए धर लेते ये,
    हैं गिरगिट के मूल संस्करण नेता जी,

    बहुत खूब ... नेता जी जो नहीं हैं वो कम है ... लाजवाब है हर छंद ...

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  4. हैं गिरगिट के मूल संस्करण नेता जी,
    बहुत बढ़िया....

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  5. बढ़िया लेखन..

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  6. जोड़ बहुत है पक्का इनका कुर्सी से,
    फेविकोल का सुन्दर चित्रण नेता जी,..................बहुत खूब !!

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