आइये आपका स्वागत है

Friday, February 1, 2013

बुना कैसे जाये फ़साना न आया

(बह्र: मुतकारिब मुसम्मन सालिम)
(वज्न: १२२, १२२, १२२, १२२) 

बुना कैसे जाये फ़साना न आया,  
दिलों का ये रिश्ता निभाना न आया,

लुटाते रहे दौलतें दूसरों पर,
पिता माँ का खर्चा उठाना न आया,

चला कारवां चार कंधों पे सजकर,  
हुनर था बहुत पर जिलाना न आया,

दिलासा सभी को सभी बाँटते हैं,  
खुदी को कभी पर दिलाना न आया,

जहर से भरा तीर नैनों से मारा,  
जरा सा भी खुद को बचाना न आया,

किताबें न कुछ बांचने से मिलेगा,
बिना ज्ञान दर्पण दिखाना न आया,

बुढ़ापे ने दी जबसे दस्तक उमर पे,  
रुके ये कदम फिर चलाना न आया,

मुहब्बत का मैंने दिया बेसुधी में,  
बुझा तो दिया पर जलाना न आया,

समंदर के भीतर कभी कश्तियों को,
बिना डुबकियों के नहाना न आया.

19 comments:

  1. प्रभावी प्रस्तुति है भाई अरुण |
    शुभकामनायें-

    ReplyDelete
  2. वाह वाह !!! क्या बात बहुत सुंदर ,,,,अरुन जी ,,,,

    RECENT POST शहीदों की याद में,

    ReplyDelete
  3. बहुत सुंदर ,वाह वाह

    ReplyDelete
  4. वाह .... बहुत खूब कहा आपने हर शेर लाजवाब

    ReplyDelete
  5. अतिसुन्दर,प्रभावी प्रस्तुती।

    ReplyDelete
  6. बहुत ही बढ़ियाँ..
    बहुत ही बेहतरीन...
    :-)

    ReplyDelete
  7. चला कारवां चार कंधों पे सजकर,
    हुनर था बहुत पर जिलाना न आया,
    ये हुनर तो किसी के भी पास नहीं होता ... तभी तो बस खुदा होता है खुदा ... लाजवाब शेर ...

    ReplyDelete
  8. जिंदगी कि सच्चाई को उजागर करते बेहतरीन ख्यालात!

    ReplyDelete
  9. श्रीमती वन्दना गुप्ता जी आज कुछ व्यस्त है। इसलिए आज मेरी पसंद के लिंकों में आपका लिंक भी चर्चा मंच पर सम्मिलित किया जा रहा है।
    आपकी इस प्रविष्टी की चर्चा कल शनिवार (23-02-2013) के चर्चा मंच-1164 (आम आदमी कि व्यथा) पर भी होगी!
    सूचनार्थ!

    ReplyDelete
  10. बेहतरीन,सुन्दर और प्रभावी प्रस्तुति

    ReplyDelete
  11. वाह... बहुत सुंदर पंक्तियाँ

    ReplyDelete
  12. दिलासा सभी को सभी बाँटते हैं,
    खुदी को कभी पर दिलाना न आया,
    bahut sahi kaha ........arun jee.......

    ReplyDelete
  13. पुरअसर एक बहुत ही खूबसूरत ग़ज़ल ! हर शेर लाजवाब है !

    ReplyDelete
  14. निसंदेह सुन्दर और बेहतरीन प्रस्तुति दी है आपने अरुण जी !!

    ReplyDelete
  15. बहुत सुन्दर प्रस्तुति बधाई ...

    ReplyDelete
  16. सुन्दर ग़ज़ल

    ReplyDelete

आइये आपका स्वागत है, इतनी दूर आये हैं तो टिप्पणी करके जाइए, लिखने का हौंसला बना रहेगा. सादर