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Monday, March 11, 2013

मौत सबकी समय के निशाने में है

गैरियत आज जालिम ज़माने में है,
मौत सबकी समय के निशाने में है,

हर दरिंदा यहाँ अब यही सोचता,
सुख मज़ा नारियों को सताने में है,

सुर्ख़ियों में वो छाये गलत काम कर,
नाम अच्छों का गुम अब घराने में है,

कब ठहरती वफ़ा है अधिक देर तक,
बेवफाई का मौसम फ़साने में है,

बेंच कर वो शरम आगे जाता रहा,
मेरी मंजिल गुमी हिचकिचाने में है....

10 comments:

  1. सुर्ख़ियों में वो छाये गलत काम कर,
    नाम अच्छों का गुम अब घराने में है,...SUNDAR SHER BAHUT BADHIYA

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  2. बढ़िया गजल
    शुभकामनायें प्रिय अरुण -

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  3. वाह ... बहुत खूब

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  4. बहुत ही भावपूर्ण एवं बेहतरीन ग़ज़ल,सदर आभार.

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  5. एक बेहया बदलाव के साक्षी बन रहे हैं हम लोग .

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  6. सुर्ख़ियों में वो छाये गलत काम कर,
    नाम अच्छों का गुम अब घराने में है,
    बहुत उम्दा आभार

    आज की मेरी नई रचना आपके विचारो के इंतजार में
    अर्ज सुनिये

    आप मेरे भी ब्लॉग का अनुसरण करे

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  7. कब ठहरती वफ़ा है अधिक देर तक,
    बेवफाई का मौसम फ़साने में है,..

    सच है की ये बेवफाइयों की सदी है ... अच्छी गज़ल है ..

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  8. "बेच कर वो शरम ... बहुत उम्दा गजल

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