गैरियत आज जालिम ज़माने में है,
मौत सबकी समय के निशाने में है,
हर दरिंदा यहाँ अब यही सोचता,
सुख मज़ा नारियों को सताने में है,
सुर्ख़ियों में वो छाये गलत काम कर,
नाम अच्छों का गुम अब घराने में है,
कब ठहरती वफ़ा है अधिक देर तक,
बेवफाई का मौसम फ़साने में है,
बेंच कर वो शरम आगे जाता रहा,
मेरी मंजिल गुमी हिचकिचाने में है....
सुर्ख़ियों में वो छाये गलत काम कर,
ReplyDeleteनाम अच्छों का गुम अब घराने में है,...SUNDAR SHER BAHUT BADHIYA
बहुत उम्दा सुंदर गजल,,,वाह !!!,,,
ReplyDeleteRecent post: रंग गुलाल है यारो,
बढ़िया गजल
ReplyDeleteशुभकामनायें प्रिय अरुण -
वाह ... बहुत खूब
ReplyDeleteबहुत ही भावपूर्ण एवं बेहतरीन ग़ज़ल,सदर आभार.
ReplyDeleteएक बेहया बदलाव के साक्षी बन रहे हैं हम लोग .
ReplyDeleteसुर्ख़ियों में वो छाये गलत काम कर,
ReplyDeleteनाम अच्छों का गुम अब घराने में है,
बहुत उम्दा आभार
आज की मेरी नई रचना आपके विचारो के इंतजार में
अर्ज सुनिये
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कब ठहरती वफ़ा है अधिक देर तक,
ReplyDeleteबेवफाई का मौसम फ़साने में है,..
सच है की ये बेवफाइयों की सदी है ... अच्छी गज़ल है ..
सुंदर गजल
ReplyDelete"बेच कर वो शरम ... बहुत उम्दा गजल
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