आइये आपका स्वागत है

Sunday, March 17, 2013

यहाँ पत्थर बहुत रोया वहां आंसू नहीं आते

ग़ज़ल
१२२२, १२२२, १२२२, १२२२,
बह्र : हजज मुसम्मन सालिम

कभी सच्ची मुहब्बत को दिवाने दिल नहीं पाते,
यहाँ पत्थर बहुत रोया वहां आंसू नहीं आते,

रजा मेरी जुदा ठहरी रजा उसकी जुदा ठहरी,
मुझे कलियाँ नहीं जँचती उसे कांटे नहीं भाते,

डरा सहमा रहेगा उम्रभर ये दिल मेरा यूँ ही,
तेरी फितरत से वाकिफ जबतलक हम हो नहीं जाते,

चली है याद फिर मेरी उड़ाने नींद रातों की,
जगे हैं नैन जबसे ख्वाब के बादल नहीं छाते,


मुकम्मल इश्क की कोई कहानी कब हुई यारों,
नहीं लैला नहीं मजनू नहीं रिश्ते नहीं नाते..

21 comments:

  1. bahut khoob vakayee me sb riste nate arth hin hote ja rahe hai.sudar zgazal

    ReplyDelete
  2. बहुत ही उत्कृष्ट ग़ज़ल,सादर आभार.

    ReplyDelete
  3. ... बेहद प्रभावशाली उत्कृष्ट ग़ज़ल

    संजय कुमार
    शब्दों की मुस्कुराहट
    http://sanjaybhaskar.blogspot.com

    ReplyDelete
  4. यहाँ पत्थर बहुत रोया, वहाँ आँसू नहीं आते
    और
    मुझे कलियाँ नहीं जँचती,उसे काँटे नहीं भाते

    इन दो पंक्तियों ने बस घायल ही कर दिया, बहुत ही उम्दा खयाल....

    ReplyDelete
  5. भावना प्रधान ग़ज़ल ...आज की लुप्त होती संवेदनाओ पर सटीक बैठती ...साधुवाद आदरणीय अरुण जी, सादर नमस्कार !

    ReplyDelete
  6. बहुत खूब .


    डरा सहमा रहेगा उम्रभर ये दिल मेरा यूँ ही,
    तेरी फितरत से वाकिफ जबतलक हम हो नहीं जाते,

    ReplyDelete
  7. वाह -
    क्या बात कही है-
    बधाई अरुण-

    ReplyDelete
  8. रजा मेरी जुदा ठहरी रजा उसकी जुदा ठहरी,
    मुझे कलियाँ नहीं जँचती उसे कांटे नहीं भाते,..

    वाह मशहूर बहर में लाजवाब गज़ल ...
    क्या बात क्या बात क्या बात ...अंदाज़े बयाँ शेर ...

    ReplyDelete
  9. आज की ब्लॉग बुलेटिन ताकि आपको याद रहे - ब्लॉग बुलेटिन मे आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !

    ReplyDelete
  10. वाह!
    आपकी यह प्रविष्टि आज दिनांक 18-03-2013 को सोमवारीय चर्चा : चर्चामंच-1187 पर लिंक की जा रही है। सादर सूचनार्थ

    ReplyDelete
  11. यहाँ पत्थर बहुत रोया वहां आंसू नहीं आते,

    मुझे कलियाँ नहीं जँचती उसे कांटे नहीं भाते,


    बहुत बढ़िया ग़ज़ल

    ReplyDelete
  12. बहुत सुद्नर आभार आपने अपने अंतर मन भाव को शब्दों में ढाल दिया
    आज की मेरी नई रचना आपके विचारो के इंतजार में
    एक शाम तो उधार दो

    आप भी मेरे ब्लाग का अनुसरण करे

    ReplyDelete
  13. आप की ये रचना शुकरवार यानी 22-03-2013 को HTTP://WWW.NAYI-PURANI-HALCHAL.BLOGSPOT.COM पर लिंक की जा रही है...
    सूचनार्थ।

    ReplyDelete
  14. बहुत सुंदर .बेह्तरीन .शुभकामनायें.

    ReplyDelete
  15. रजा मेरी जुदा ठहरी रजा उसकी जुदा ठहरी,
    मुझे कलियाँ नहीं जँचती उसे कांटे नहीं भाते,..

    बड़े ही पुरकशिश अशआर हैं भाई।

    ReplyDelete

  16. YAHAN PATHAR BAHUT ROYA WAHAN ANSOO NAHIN ATE.....
    ACHHI SHAYRI,KHOOBSURT GAZAL

    ReplyDelete
  17. वाह.....
    बेहतरीन ग़ज़ल...
    रजा मेरी जुदा ठहरी रजा उसकी जुदा ठहरी,
    मुझे कलियाँ नहीं जँचती उसे कांटे नहीं भाते,..
    लाजवाब शेर..

    अनु

    ReplyDelete
  18. kuch chije dil me utar jati hai bas ...unme se aapki ye gajal bhi hain.

    ReplyDelete
  19. मुकम्मल इश्क की कोई कहानी कब हुई यारों,
    नहीं लैला नहीं मजनू नहीं रिश्ते नहीं नाते.. Sach kaha Anant ji.. Sundar ghazal :)

    ReplyDelete

आइये आपका स्वागत है, इतनी दूर आये हैं तो टिप्पणी करके जाइए, लिखने का हौंसला बना रहेगा. सादर