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Thursday, March 21, 2013

संसार आफतों का भण्डार हो चला है

काटों भरी डगर है जीवन का पथ खुदा है,
गंभीर ये समस्या हल आज लापता है,

अंधा समाज बैरी इंसान खुद खुदी का,
अनपढ़ से भी है पिछड़ा, वो जो पढ़ा लिखा है,

धोखाधड़ी में अक्सर मसरूफ लोग देखे,
ईमान डगमगाया इन्‍सां लुटा पिटा है,

तकदीर के भरोसे लाखों गरीब बैठे,
हिम्मत सदैव हारें इनकी यही खता है,

अपमान नारियों का करता रहा अधर्मी,
संसार आफतों का भण्डार हो चला है...

8 comments:

  1. बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति मित्रवर,अंधे की दुनियाँ में तकदीर का ही भरोसा.

    "स्वस्थ जीवन पर-त्वचा की देखभाल"

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  2. गंभीर ये समस्या हल आज लापता है...
    विचारणीय चिंतन...

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  3. beshak, bhandar nahi bhandara hai,jivan khud se hi hara
    hai, abhishpt ho gya jiavn ab,beshk takdir ka mara hai,
    bahut khoob

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  4. uchit sandesh deti hai aap ki post,umda likha hai aap ne

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  5. धोखाधड़ी में अक्सर मसरूफ लोग देखे,
    ईमान डगमगाया इन्‍सां लुटा पिटा है,..

    बहुत खूब ... पंकज जी के ब्लॉग पर भी पढ़ी ये गज़ल .... लाजवाब शेर हैं सभी अरुण जी ...

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  6. "धोखाधड़ी में .... वाह बहुत खूब

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