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Friday, September 19, 2014

ग़ज़ल : मौत के सँग ब्याह करके


देह का घर दाह करके,
पूर्ण अंतिम चाह करके,

जिंदगी ठुकरा चला हूँ,
मौत के सँग ब्याह करके,

खूब सुख दुख ने छकाया,
उम्र भर गुमराह करके,

प्रियतमा ने पा लिया है,
मुझको मुझसे डाह करके,

पूर्ण हर कर्तव्य आखिर,
मैं चला निर्वाह करके,

पुछल्ला :-
यदि ग़ज़ल रुचिकर लगे तो,
मित्र पढ़ना वाह करके,

4 comments:

  1. बहुत खूब बेहतरीन ग़ज़ल

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  2. बहुत अच्छा ब्लॉग है आपका !
    आपके ब्लॉग को फॉलो कर रहा हूँ
    आपसे मेरा अनुरोध है की मेरे ब्लॉग पर आये
    और फॉलो करके अपने सुझाव दे !

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