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Monday, March 12, 2012

मोम का दिल

मोम से दिल को छू कर पत्थर बना दिया, 
दर्द से मेरा मुकद्दर बना दिया. 
जलाकर मेरे प्यार का आशियाना, 
क्यूँ तुमने मुझ बेघर बना दिया. 
भरे आँखों में इस कदर अंशु, 
की मेरी पलकों को बहता सागर बना दिया.
ऐसी ठोकर लगी इश्क में मुझको, 
एक अजब सा मुझमे डर बना दिया.

इश्क वो बीमारी है

इश्क वो बीमारी है जो सिर्फ गम देगी, 
रुख बदलते ही खुशिया कर ख़तम देगी.
पुराना घाव कभी सूख पायेगा भी नहीं , 
कि फिर से नया एक और जखम देगी.
बचैनी से भर जाएगी जिंदगी अपनी ,  
चैन से जीने बहुत कम देगी.
समझ आएँगी नहीं मुश्किले ये कभी, 
इतने सिद्दत से भरम देगी.
खुश्क अश्कों से पलकें भीगी - भीगी,
जीने ये नहीं इस जनम देगी.

शिकायतें

शिकायतें उसने की मैंने गिला न किया,
दर- दे- दिल का तुझे इतेल्ला न किया, 
छोड़ कर कुछ ऐसे गया वो मुझे,
भूल से भी कभी फिर मिला न किया,
हम तो गम के सफ़र में चलते रहे,
दिल में चाहत का पल खिला न किया,
जख्म होते रहे कुछ नए और भी 
लाख कोशिश से भी सिला न किया.

Sunday, March 11, 2012

दर्द-ओ-गम

दर्द-ओ-गम की बारात लिए बैठा है, प्यार जख्मो की सौगात लिए बैठा है, 
उम्र भर के लिए यादों की तड़प और ठन्डे-ठन्डे से जज़्बात लिए बैठा है, 
भरा तन्हाई से पूरा-पूरा दिन, नींद पर कब्ज़ा करके हर रात लिए बैठा है,
आँखों में बरसात का मौसम , ख्याल से छीन के ख़यालात लिए बैठ है,  
कुछ छोड़ा नहीं पास कहने के लिए, हर लफ्ज़ हर एक बात लिए बैठा है, 
मौका मिलता नहीं एक नज़र दीदार को, कुछ ऐसे मुलकात लिए बैठा है,
जिल्लतें रखीं है संभाल के दामन में ,  बदनामी के हालात  लिए बैठा है,
जवाब मिलता नहीं ढूंढने से भी कभी, ऐसे - ऐसे सवालात लिए बैठा है.

सस्ते रिश्ते हैं

सबसे सस्ते रिश्ते हैं मोहोब्बत के, यूँही बिकते रिश्ते हैं मोहोब्बत के.
दर्द - गम - अश्क - और यादों के जखम, यही किश्ते हैं मोहोब्बत के.
खुदा होती है चाहत की ये मंजिल , मगर बेवफा रस्ते हैं मोहोब्बत के.
फूल खिलते हैं शिकायतों के फिर,  कांटे बिछते रहते है मोहोब्बत के.

तोड़ के रिश्ता

तोड़ के रिश्ता दर्द संग जखम दे गए,
मुझी को चाहा, मुझे ही गम दे गए,
ना ख्वाइश ना मेरी रज़ा पूंछी
दिल को चोट गरमा गरम दे गए,  
शाम को अपना बनाया और सबह को छोड़ दिया.
नम आँखों को दुखता सा भरम दे गए,
मैंने सोंचा की तुझे रुश्वा मै करूँ,
मगर प्यार के रिश्ते की शरम दे गए.

प्यार के लफ्ज़

ना करो प्यार मुझसे मेरे दिल में प्यार ज़रा सा है, 
मै तो जिन्दा हूँ लेकिन मेरा जज़्बात मरा सा है.
हंसी होंठो की देखकर ना दिल लगाना मुझसे , 
बे-इन्ते-हा दर्द ही दर्द मेरे घर में भरा सा है.
दर्द हर रोज़ कुछ नया मुझको मिलता है, 
मगर जखम वही पुराना अभी तक हरा सा है.
ना करो ज़िक्र ना कभी नाम लो प्यार का यारों ,  
प्यार के लफ्ज़ से ये "अरुन" डरा सा है.

हिसाब चाहती है.

बे-इन्तहा मोहोब्बत का हिसाब चाहती है. 
वो दिल नहीं जान का ख़िताब चाहती है.
अच्छा लगता नहीं उसे मुस्कुरा के बोलना, 
वो तो बस रोते-रोते ही जवाब चाहती है.
वो इसीलिए आती है सपने में हर रोज, 
क्यूंकि वो हर रात मेरी बस ख़राब चाहती है.
दो - चार अश्को की जरुरत नहीं उसे , 
वो बरसते आंशुओं का सैलाब चाहती है.

सजा

सजा भी दी मुझे तो जीने को दिया, ज़हर अश्को का पीने को दिया.
उम्र भर ढोना है तेरी यादों का बोझ, जलता घर दर्द से बुझाने को दिया.
दिया दिन बेकरारी से भरा हुआ, तोहफा रात का मुझे जगाने को दिया.

नापतोल

ना करो प्यार किसी को नापतोल कर.
लुटा दो जान भी अपनी दिल खोल कर.
मिटा के खुद को इस तरह बर्बाद करो.
दो लफ्ज प्यार के, प्यार में बोल कर.

भूल

भूल से जो दिल की तरफदारी कर ली,
दर्द से उम्रभर की रिश्तेदारी कर ली,
मिला कुछ भी नहीं एक बदनामी के शिवा,
मुफ्त में गलती बहुत भारी कर ली,
बेचैनी,बेबसी,बेखुदी और गम का आलम, 
पैदा कैसी ये मैंने बीमारी कर ली,
ढुंढने निकला था ख़ुशी की मंजिल,
प्यार की फिर क्यूँ सवारी कर ली,
दिल अपना तुझपे लुटाने के बाद,  
तुझपे खुद लुट जाने की तैयारी कर ली,
बेवजह जख्मो ने दुश्मनी की मुझसे,
और अश्कों  ने मुझसे यारी कर ली.

यूँ देखना मुझको

रख के हाँथ गाल पे यूँ देखना मुझको.
निकाल के दिल जिस्म से फेंकना मुझको.
लग गयी सर्दी मुझे तेरे प्यार की
अपनी गर्म साँसों से ज़रा सेंकना मुझको.
लूट लो मुझको और मुझपे लुट जाओ.
बना के अपना फिर न बेंचना मुझको.

दो बातें

दो बातें प्यार की बोल कर, दिल ले गयी जिस्म से खोल कर.
बक्श दी मुझे नयी जिंदगी,प्यार की खुशबू सांसो में घोल कर.
अनमोल रिश्ता ये दुनिया का, दुनिया वाले न इसका मोल कर.
इस दौलत की कोई कीमत नहीं, इश्क बिकता नहीं है तोल  कर.

दर्द पुराना

जगा दर्द वही पुराना आज फिर से,
पड़ा अश्को से नहाना आज फिर से,
वही उलझन वही बेचैनी का मौसम,
यूँ तेरी यादों का आना आज फिर से,
करके शिकार मेरा जो मुझे जख्म दिए,
लगा उन जख्मो पे निशाना आज फिर से,
वैसे तो गुजर गए है कई बरस लेकिन,
मेरे साथ है वही जमाना आज फिर से.

बे-इन्तेहाँ चाहत

चाहत मुझसे जब तुझको बे-इन्तेहाँ होगी,
यही बेचैनी फिर तुझको भी वहाँ होगी,
मै तो कह जाऊंगा बात मेरे दिल की,
तेरी हालत नहीं तुझे बयाँ होगी,
तड़प उठेगी मुझसे मिलने के लिए तब,
जब जान मेरी न जाने कहाँ होगी.

दिले नादां

दिले नादां छोड़ दे नादानी.
न कर इस कदर मनमानी.
कहता हूँ पछतायेगा एक दिन
न मोल ले इश्क की निशानी
लालच न कर थोड़ी सी ख़ुशी का
बढेगा दर्द होगी बड़ी परेशानी
गायब होगी होंठो की हंसी
बहेगा आँखों में भरा पानी
तरसेगा तडपेगा चैन पाने को
काम दवा फिर कोई नहीं आनी
रुलाएगी जुदाई फूट-फूट कर
यादें पड़ेगी उम्रभर निभानी
यही दास्ताँ है मोहोब्बत की,
यही है मोहोब्बत की कहानी.

जान जाएगी मेरी

जान जाएगी मेरी मोहोब्बत के इस जहर में.
मै हूँ मेहमान बस एक रात का तेरे शहर में.
पा ली  मोहोब्बत मगर खुद खो दिया मैंने,
थक गया चलते-चलते दर्द की इस डगर में.
देकर दिल मोहोब्बत की थी दौलत खरीदी,
बिक गया मुफ्त में,  चाहत बही  नहर  में,
मिल गया मिटटी में में सपनो का आशियाना
डर - डर के रहता हूँ अब भी उसी कहर में.

दर्द लगते कुछ सगे से है.

खुशियाँ पराई, दर्द लगते कुछ सगे से है.
लिपटे है मुझसे और मुझमे लगे से है.
हंसी हो, ख़ुशी हो या फिर प्यार हो,
छोड़ कर मुझको अकेला ये भगे से है.
चैन से सोती है,  मेरी नींद चुरा कर.
सदियों  बीत गयी हम यूँही जगे से है.

हलचल न हुई

न हलचल हुई न ही कोई शोर हुआ, दर-दे-दिल मुझमे इतना जोर हुआ.
मैंने भूल से जिसे था अपना समझा, उसकी हकीकत तो कोई और हुआ.
यूँ तो मुश्किले बहुत आई जिंदगी में, सबसे मुस्किल ये इश्क का दौर  हुआ.

Saturday, March 10, 2012

ज़रा सी बात

ज़रा सी बात का बताना न बनाना, मुझमे गम का फ़साना न बनाना.
चाहो तो जान ले लो मेरी, मगर उम्र भर दर्द का ठिकाना न बनाना.
जुदा हो जाना जो साथ अच्छा न लगे, लेकिन झूठा बहाना न बनाना.
कि मै तड़पता रहूँ तेरी याद में, ऐसा गुजरा हुआ जमाना न बनाना.