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Friday, May 18, 2012

तेरी यादें

क्यूँ मुझमे बस्ती हैं तेरी यादें,
क्या इतनी सस्ती हैं तेरी यादें,
मुझे रुलाकर हंसती हैं तेरी यादें,
जख्मी बाहों में कसती हैं तेरी यादें, 

मुझे हर पल डंसती हैं तेरी यादें,
साँसों में अक्सर फंसती हैं तेरी यादें,
तीर से ज्यादा धंसती हैं तेरी यादें,
तेरी जैसी हैं तेरी यादें,
बहुत वैशी हैं तेरी
यादें.........
मारती जिन्दा हैं तेरी यादें,
करती निन्दा हैं तेरी यादें.....

Thursday, May 17, 2012

मुस्किल हो गया

अब दिल के टुकड़ों को समेटना मुस्किल हो गया, 
तेरी सूरत से नज़रों को
सेंकना मुस्किल हो गया,
तबाह कर दी तेरी हर निशानी मगर, 
दिल से तुझको निकाल फेंकना मुस्किल हो गया,
नींद आती नहीं और यूँ ही
रात गुज़र जाती है,  
तले पलकों के आँखों का लेटना मुस्किल हो गया,
डाल दिया डेरा दर्द ने मेरे घर के चारों ओर
गले लगा खुशियों को भेंटना मुस्किल हो गया.....

Wednesday, May 16, 2012

सपने

खोने आँखों के होने जब से सपने लगे,
दर्द तेरी निहायतों से मेरे अपने लगे,
हिदायत भी दी, समझाया भी मगर,
जाने कैसे हम तेरा नाम जपने लगे,
बहुत ज्यादा न नजदीकियां रास आयीं,
जल्द ही यादों की आग में तपने लगे,
चुभन सीने में रोज़ तेज़ होने लगी,
दिल के पन्नों पे जब जख्म छपने लगे.....

उदास दिल

उदास दिल को कोई दवा भाती नहीं,
कि मेरे घर अब ताज़ा हवा आती नहीं,
मशालें यादों की बुझानी मुस्किल है,
लगी मर्जे- बीमारी-लकवा जाती नहीं,
अभी वक़्त है साँसों को लुटने में,
जिंदगी मौत का कहवा लाती नहीं.....

बेआबरू

वो निहायत बत्तमीज़ बेआबरू हो गए,
दिल के दुश्मन मोहोब्बत के गुरु हो गए,
दिल के बदले तो हमने मोहोब्बत मांगी,
वो दिल के टुकड़े करने को शुरू हो गए,
जहाँ भी जब भी चाहा बजा डाला मुझे,

अब उसके हांथों के हम डमरू हो गए..........

Monday, May 14, 2012

कातिल मेरे दिल में है

ढूंढता हूँ जिसे बेसब्र हो, वो कातिल मेरे दिल में है,
बसेरा मेरा बर्बाद कर, वो शामिल मेरे दिल में है,
बुरी - बला है मोहोब्बत करने की न लालच करो,
दर्द -व - गम और जखम, हासिल मेरे दिल में है,
इश्क की कश्ती भी थी जहाँ मेरी डूबी,
वही उबलता तबलबाता, साहिल मेरे दिल में है...

सहमत नहीं

जिंदगी मुझसे मैं जिंदगी से सहमत नहीं,
खुदा की होती भी मुझपर रहमत नहीं,
टूट कर बिखर चूका हूँ इस कदर,
अब और टूटने की मुझमे हिम्मत नहीं,
दिल को बहला-फुसला समझा लिया,
अब मेरे दिल से होती तेरी खिदमत नही......

नमी मेरे घर की

खोल दी खिड़की मगर धूप आती नहीं,
नमी मेरे घर की
अब सूख पाती नहीं,
दीवारें सीलन से जर्ज़र हो चुकी हैं,
मगर प्यास पानी की बुझ पाती नहीं,
जब भी चाहती हैं हवाएं आ जाती हैं
कि इन हवाओं की भूख जाती नहीं.....

Friday, May 11, 2012

जख्म

दर्द राज़ी और जख्म सहमत है,
मुझपर मेरे प्यार की रहमत है,
लहू गुस्से में है दौड़ता नस में,
लगता है आज आई मेरी शामत है,
मैं शिकार जुल्म का हो चूका हूँ,
मेरी खुशियों पे लगी तोहमत है,
बचूं कैसे जब दिल ही दुश्मन हो ,
मुझे लूट रही मेरी ही मोहोब्बत है,
मुश्किलें टूट पड़ी मुझे कमजोर समझ,
हालत मेरी बयां करती हकीकत है.....

Thursday, May 10, 2012

दरवाजे यादों के

दरवाजे यादों के ज़रा बंद कर दो,
इनसे आती हवा को मंद कर दो,
सुर्खियों में छाने में मेहनत नही लगती,
गलतियाँ हट कर चंद कर दो,
खुशहाल रखनी,
जो हो जिंदगी,
मन मुताबिक खुदको रजामंद कर दो...

कमजोर दिल सीने में


लेकर जी रहा हूँ कमजोर दिल सीने में,
लगता है मुसीबत होनी है अब जीने में,
छाया है घना बदल बरसात ले पलकों पे,
तकलीफ दे, तेरी तस्वीर नज़रों से पीने में,
 
टूटी दिवार बिखरी ख्वाइशों की जिंदगी में,
मैं अब गम तौलता हूँ फुर्सत के महीने में...

सलाह-मशवरा

दर्द जख्मों से सलाह-मशवरा करता है,
गम मुझपे दिलो-जान से मरा करता है,
आँखें गिराती हैं रिमझिम बूंदें बरसात की, 
अश्क इतना कहाँ से आखों में भरा करता है,
तूने छोड़ा इधर,उधर खुशियों ने बेदखल किया,
मुरझाया होंठ भी अब हंसी से डरा करता है.....

Sunday, May 6, 2012

दिल की बात

आज लिख के दिल की बात किताबों में रख गया,
तू नीदं में आई याद तो तुझे ख्वाबों में रख गया, 
उलझी बुरी तरह जब सवालों से जिंदगी,
समेटे सभी सवाल और जवाबों में रख गया,
चिरागों का उजाला ज़रा फीका जो हुआ,
अंधेरों को रौशनी के नकाबों में रख गया,
फूलों के रास्ते पर जो कांटें मुझे मिले,
जख्मों के डर से इनको गुलाबों में रख गया.....

Friday, May 4, 2012

गिर के चूर हो गया

वाह-वाही मिली थोड़ी मगरूर हो गया,
मुझसे नशे में आज एक कसूर हो गया,
उसने उठा के पत्थर धीरे से चोट मारी,
मिटटी से बना था गिर के चूर हो गया,
अब मेरे दोस्त मुझको पहचानते नहीं,
जख्मों को भरते-भरते मजदूर हो गया,
थी कैद करके रखी आँखों में तेरी सूरत,

जैसे उठाई पलकें तू बहुत दूर हो गया...

तेरी बक्शी सजा का चयन कर लिया

तेरी बक्शी सजा का चयन कर लिया,
मैंने खुदको जलाकर दफ़न कर लिया, 
रिमझिम गिर रहा है सावन मुझमे तबसे,
जबसे सागर उठाकर नयन भर लिया,
हैं मुझसे बरकरार तेरी घर की सारी खुशियाँ,
तेरे हिस्से का मैंने गम भी सहन कर लिया,
जीते जी खूब बरसी मुझपे तेरी मोहोब्बत,
बाकी थोड़ी बची को कफ़न कर लिया.....

जान की खातिर

वो बहुत माहिर है दिलों के खेल का शातिर भी है,
बाद दिल के खतरा अब जान की खातिर भी है,
मुझमे छोड़ा नहीं कुछ बस एक यादों के शिवा, 
 
जिस्म में बाकी साँसों के लिए काफिर भी है,
जिससे बच कर भटक रहा हूँ दर-बदर,
वही मेरे साथ हर सफ़र का
मुसाफिर भी है....

Thursday, May 3, 2012

नजरिया बदल गया

नज़रों के देखने का नजरिया बदल गया,
दिलों में बह रहा , दरिया बदल गया,
कल तक मुझे संभाला आज जख्मों से किया छलनी,
क्या हुआ जो प्यार करने का जरिया बदल गया,
देर रात तलक एक दूजे से बात करके सोये,
सुबह के साथ - साथ संवरिया बदल गया.

जूनून

कैसा सवार तुझपर ये जूनून हो गया,
तेरी नज़र से मेरा आज खून हो गया,
दिल की चोट से बुरा हाल हो रहा था,
तेरा ख्याल आया तो शुकून हो गया,
मैंने बसा ली लहरों पे अपनी बस्ती,
किराये की जिंदगी से मेहरून हो गया....

धागा प्यार का


धागा प्यार का अगर यूँ उलझता नहीं,
इस जुस्तजू को मैं कभी समझता नहीं,
आंशुओं के यूँ रोज़ न आने की खबर होती,
बनकर बदल जो खुद मैं बरसता नहीं,
रातें बनकर अँधेरा जो फैली ना होती,
कोई उन्जालों के खातिर तरसता नहीं.

लगता है मैंने चोट, फिर बहुत बड़ी पाई

अचानक हालत में जो खुद की गड़बड़ी पाई,
लगता है मैंने चोट, फिर बहुत बड़ी पाई,
छोड़ कर शहर तेरा मैं जहाँ भी गया,
मुश्किलें हर मोड़ पर मैंने है खड़ी पाई,
पता चला क्यूँ मुझे चोट मिलती है बार-२,
तमाम नज़रें अपनी तस्वीर पर गड़ी पाई,
यूँ तो मिलती रहीं सजाएं बहुत मगर,
सजा इश्क में क्यूँ इतनी कड़ी पाई.