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Thursday, June 14, 2012

हिन्दुस्तान की दर्द-ए-दास्ताँ

ईमानदारी से लोगों की अनबन है दोस्तों,
इस वजह से बढ गया करप्शन है दोस्तों,
सड़कों पर कुछ कर रहे अनशन है दोस्तों,
फिर भी नहीं बदलता, प्रशाशन है दोस्तों,
कोई नसे की धुत में खाना है त्याग आया,
और भूखे को नहीं मिलता भोजन है दोस्तों,
खातों का कुछ को अपने बैलेंस नहीं मालुम,
घर में कहीं ख़तम आज का राशन है दोस्तों,
इज्ज़त कई मासूमों की तार-तार हो गयी,
कई घरों में फिर से जन्मे दुशाशन है दोस्तों.......

Wednesday, June 13, 2012

आतंकवादियों का आतंक

खून से लथपथ कोई लाश जब सनी मिली,
दर्दनाक जुर्म के पीछे, बड़ी दुश्मनी मिली,
गुनाह कम न हुआ और गुनेहगार बढ गए,
साजिशें गलत भावनावों की बनी मिली,
कत्ले - आम होता रहा, दिन - दहाड़े,
समय के पहिये पे रंजिश घनी मिली,
लाखों बेकसूर बेवजह मारे जाते हैं,
सियासत की आड़ में बंदूकें तनी मिली,
मौत के सौदागर खुले-आम घूमते हैं,
ऐसे कानून से तबियत न अपनी मिली.......

नेताओं के विचार

तुम  वोट देना फिर से, हम चोट देंगे फिर से,
गरीबी से लहलहाता खेत, हम जोत देंगे फिर से,
ये सारी जनता - जनार्दन, मेरे हैं नोट के साधन,
करके इनकी जेब खाली, मेरे घर में भर लिया धन,  
हम आवाज उठाने वालों का गला घोंट देंगे फिर से,
हम जीत गए हैं, दुःख बीत गए हैं,
मेरे सुख के दिन आये, चैन सबका छीन लाये,
तुम विश्वास मुझपर करना, हम खोट देंगे फिर से,
जब आएगा इलेक्शन , हम तभी देंगे दर्शन,
बस दो-चार वादों से, जनता का जीतेंगे मन,
भ्रष्टाचार का नया हम, बिस्फोट देंगे फिर से.....
तुम  वोट देना फिर से, हम चोट देंगे फिर से.......
 

Monday, June 11, 2012

खुद को किसी ओर ले चलें

चलो जिंदगी को तूफानी डगर की ओर ले चलें,
समंदर को उठा , अपने शहर की ओर ले चलें,
भर गया है अँधेरा, गलियों में बहुत ज्यादा,
रवि से मांग रोशिनी अपने घर की ओर ले चलें,
बढ ना जाए नफरतों का दौर दिन - ब - दिन,
मोहोब्बत का मतलब अब नज़र ओर ले चलें.....

मुझे जगाने को

नींद को पड़ी आदत, मुझे जगाने को,
दर्द कोशिश करता है, गुदगुदाने को,
जब से मैं सोया हूँ, सदा के लिए,
उसके दिल में जगी चाहत मुझे उठाने को,
जिंदगी मेरी अब खुद रूठ गयी मुझसे,
भर कर माफ़ी लायी है मुझे मनाने को.....

Sunday, June 10, 2012

हौसला न मिला

टूटकर बिखरे ऐसे की फिर हौसला न मिला,
बेगुनाही का मेरे आज तक फैसला न मिला,
भटकता रहता हूँ दर-ब-बदर लाख ठोकरें खा,
तन्हा जिंदगी बिताने को एक घोंसला न मिला,
दूरियां बढती गयीं और वक़्त के साथ - साथ,
मगर यादों के चुभे काटों से फासला न मिला,
सुना है लोग कहतें थे, कि जिंदगी खोखली है,
बहुत ढूंढा पर वो सुराख़ कहीं खोखला न मिला......

Saturday, June 9, 2012

दो शब्द बोलता हूँ

दो शब्द बोलता हूँ आज तेरी शान में,
कड़वाहट भर गयी है तेरी जबान में,
तूने दूसरों का दर्द जाने क्यूँ न समझा,
क्या पत्थर हैं लगाये दिल के मकान में,
खुशियाँ लुटा रही थी दिल में दुकान खोल,
मैंने जख्मों को कमाया तेरी दुकान में....

मैं सीलन की बस्ती

मैं सीलन की बस्ती, नमी का ठिकाना,
मुझमे बारिश के मौसम का है जमाना,
कि सदा छाये रहते हैं, यादों के बादल,
नहीं छोड़ेंगे बिन किये मुझको पागल,
महंगा साबित हुआ मेरा दिल लगाना,
जख्मों के खातिर मुझे चुन लिया है,
 ग़मों के धागों से मुझे बुन दिया है,
मैं उसके लिए इस जमीं का खज़ाना....

सांसों के तहखाने

खिलौने दर्द के खुशियों के खजाने में आ गये,
आज हम भी तेरी नज़रों के निशाने में आ गए,
मैंने कश्ती अभी- अभी समंदर में थी उतारी,
वो तूफ़ान साथ ले, मेरे ठिकाने में आ गए,
बक्शी जहग ज़रा सी दिल में अपने उसको,
वो ना जाने कब सांसों के तहखाने में आ गए.......

Wednesday, June 6, 2012

रोज़ - २

रोज़ - २ मुझको निराश करती है,
मेरे बदन में दर्द तलाश करती है,
खफा है वो जिंदगी से इस कदर,
पल में जिन्दा पल में लाश करती है,
खुश हो कर देखा करती है तमाशा,
जब दिल्लगी मुझको उदास करती है....

बोलना छोड़ दो

गहराई प्यार की दिल से तोलना छोड़ दो,
जुबां निगाह जब बने तो बोलना छोड़ दो, 
लेकर रेत हवाएं घूमती हैं, गलियों में,
खिड़कियाँ घरों की बेधड़क खोलना छोड़ दो,
लाख मांगो मुरादें दिल की पूरी नहीं होती,
दवा - दुआ को एक साथ घोलना छोड़ दो,
जिंदगी और भी उलझ जायेगी मुश्किलों से,
भर कर चिंता जहन में डोलना छोड़ दो.......

चाहत की आड़ में

उतारा है दिल में खंज़र चाहत की आड़ में,
भीगा है मेरा तन - मन अश्कों की बाढ़ में,
बूंदें टपक रही हैं, बे-मौसम बे- वजह,
कि आया बरसात का महीना जैसे आषाढ़ में,
मिलता नहीं मुझको बचने का कोई मौका,
लगता है फंस गया हूँ, मैं भी तिहाड़ में,
कहीं से ढूंढ़ लाये दर्द से भीगा मौसम ,
दिन रात लगी रहती है वो इस जुगाड़ में,
तिलमिलाहट बढ गयी तदपा हूँ इतना ज्यादा,
बढ गया है दर्द-दे-दिल मोहोब्बत की जाड़ में....

आँसू

दर्द का हाल, हैं बोलते आँसू ,
भार आँखों का, हैं तोलते आँसू ,
गर्म-२ आह में, हैं खौलते आँसू ,
राज़ दिल का चुपचाप, हैं खोलते आँसू ,
गम का माहौल, हैं घोलते आँसू ,
गिरके आँखों से चेहरे पे, हैं डोलते आँसू ,
दर्द की बात जहन में, हैं टटोलते आँसू,
यादों का मंजर, हैं खंगालते आँसू,
गुजरा लम्हा बार-२, हैं उबालते आँसू,
जख्म का खंजर, हैं उछालते आँसू,
तिनका-२ जिंदगी, हैं पिघालते आँसू,
गहरी खाई में, हैं ढकेलते आँसू,
गड़े मुर्दे, हैं सँभालते आँसू......

Monday, June 4, 2012

दोस्तों

आँखों को आंशुयों में धोते हैं दोस्तों,
दिल ही दिल में अक्सर रोते हैं दोस्तों,
यादों से ये तन मन भिगोते हैं दोस्तों,
दिल का लहलहाता खेत जोते हैं दोस्तों,
जख्मो की फसल रोज बोते हैं दोस्तों,
जबसे दिल ने जगाया नहीं सोते हैं दोस्तों,
किस्मत में गम की माला पिरोते हैं दोस्तों,
चार दिन के दो लफ्ज़ संजोते हैं दोस्तों....

मैं क्या क्या बन गया

उलझे हुए रिश्ते की सिलवट मैं बन गया,
ठहरी रात नहीं गुजरी करवट मैं बन गया,
तेरी राह तकते तकते आहट मैं बन गया,
सूने मेरे घर की आज चौखट मैं बन गया,
अपनी ही जिंदगी में झंझट मैं बन गया,
बेकार बैठे-२ कूड़ा - करकट मैं बन गया...

 

फ़साना कह रही है

मेरी हकीकत को,  फ़साना कह रही है,
वो गुजरा हुआ मुझे जमाना कह रही है,
मैं जिसके बिना मर-२ के जी रहा हूँ,
वो पगली मुझे आज दीवाना कह रही है,
मैं उसे आवाज दे रहा हूँ रुकने के लिए,
वो इस बात को एक बहाना कह रही है,
मैं ख़ुशी लाता हूँ ढूंढ़ कर उसके खातिर, 
वो हर अंदाज़ मेरा है पुराना कह रही है..

फ़साने के तले

दर्द का दरिया बहता है फ़साने के तले,
नज़रों का तीर रखा है निशाने के तले,
रखी है दबा के खुशियाँ खजाने के तले,
रहते हैं दिल के दुश्मन ज़माने के तले,
बातों को बना के रखते है बहाने के तले,
दिल के तार छेड़ देते हैं, तराने के तले,
हर गम छुपाया मैंने भी हँसाने के तले..

दिल के फ़साने

दिल के फ़साने में दिल्लगी न काम आई,
सितमगर जमाने में सादगी न काम आई,
मैं रह गया तनहा - अकेला जमीं पर,
तेरे बिना मुझे मेरी जिंदगी न काम आई,
खुशियाँ को पता मैंने तेरे घर का दे दिया,
दर्द के माहौल में मेरे ख़ुशी न काम आई,
फूलों से दिया सजा मुझे आज शौक से पर,
मरने के बाद इनकी ताजगी न काम आई...

मोहोब्बत है कितनी

हम अश्कों से अक्सर नहाने लगे हैं,
वो आँखों में बदल बनाने लगे हैं,
क्यूँ मेरे बदन आग सा ताप रहा है,
वो बिजली भी शायद गिराने लगे हैं,
अचानक है रुख मेरी नब्जों का बदला,
वो सांसो में आकर समाने लगे हैं,
कहती है मुझे ज़रा मर कर दिखाओ,
मोहोब्बत है कितनी आजमाने लगे हैं....

Sunday, June 3, 2012

कुछ बातें दिल से

बंद हुआ रोशनी का मेरे घर आना-जाना, 
बनाया है जबसे खुद का अंधेरों में ठिकाना,
कैसे बताऊँ, कितना मुस्किल है दोस्तों,
खुद को रात भर सुलाना रात भर जगाना.....

खंज़र न तीर न तलवार से मरे,
नज़रों की तेज़ हम धार से मरे,
जैसे ही प्यार का दरवाजा खटखटाया,
हम प्यार की गली में बड़े प्यार से मरे,
न जख्म को मुझमे न घाव कोई है,
मालूम न हुआ किस औज़ार से मरे.



रात बनके करवट मेरा जिस्म तोड़ती है,
किसी के अनजबी ख्यालों से जोड़ती है,
सुबह जब घूँघट ओडती है रौशनी का,
मुझे तेरी यादों की राह में तनहा छोड़ती है....