1. मुस्कुराते ही जखम सारे खिल पड़ते हैं,
तभी होंठ वहीँ पर मेरे सिल पड़ते हैं,
बहुत चाह कि तुझे यादों से मिटा दूँ मगर,
मेरे लम्हे तेरी यादों से मिल पड़ते हैं,
हाले-दिल अब मुझसे बयां नहीं होता,
कभी कभी गहरे सदमे से हिल पड़ते हैं,
जान जाए या फिर जाऊं कोमा में,
कोई बताये कि कैसे दौरे दिल पड़ते हैं,
2. रात सारी-सारी दिन भी सारा-सारा,
मैं भटकता रहा यूँ ही मारा-मारा,
सुखा गला सांस जिस्म से अटकी,
इश्क का मिला पानी खारा-खारा,
सुझाये कुछ भी, कोई तो उपाए,
मैं जीता कर भी हूँ हारा-हारा,
तभी होंठ वहीँ पर मेरे सिल पड़ते हैं,
बहुत चाह कि तुझे यादों से मिटा दूँ मगर,
मेरे लम्हे तेरी यादों से मिल पड़ते हैं,
हाले-दिल अब मुझसे बयां नहीं होता,
कभी कभी गहरे सदमे से हिल पड़ते हैं,
जान जाए या फिर जाऊं कोमा में,
कोई बताये कि कैसे दौरे दिल पड़ते हैं,
2. रात सारी-सारी दिन भी सारा-सारा,
मैं भटकता रहा यूँ ही मारा-मारा,
सुखा गला सांस जिस्म से अटकी,
इश्क का मिला पानी खारा-खारा,
सुझाये कुछ भी, कोई तो उपाए,
मैं जीता कर भी हूँ हारा-हारा,