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नारियों को समर्पित
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दुखदाई यह वेदना, बेहद घृणित प्रयत्न ।
दुर्जन प्राणी खो रहे, कन्या रूपी रत्न ।।
सच्ची बातों का बुरा, लगता है लग जाय ।
स्तर गिरा है पशुओं से, रहे मनुष्य बताय ।।
नारी से ही घर चले, नारी से संसार ।
नारी ही इस भूमि पे, जीवन का आधार ।।
माता पत्नी बेटियाँ, सब नारी के रूप ।
नारी जगदम्बा स्वयं, नारी शक्ति स्वरुप ।।
कन्या को क्यूँ पेट में, देते हो यूँ मार ।
बिन कन्या के यह धरा, ज्यों बंजर बेकार ।।
विनती है तुम हे प्रभू, ऐसा करो उपाय ।
बुरी दृष्टि जो जो रखे, नेत्रहीन हो जाय ।।
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बच्चों को समर्पित
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पढ़ लिख कर आगे बढ़ें, बनें नेक इन्सान ।
अच्छी शिक्षा जो मिले, बच्चें भरें उड़ान ।।
बच्चे कोमल फूल से, बच्चे हैं मासूम ।
सुमन भाँति ये खिल उठें, बनो धूप लो चूम ।।
देखो बच्चों प्रेम ही, जीवन का आधार ।
सज्जन को सज्जन करे, सज्जन का व्यवहार ।।
मजबूती जो नीव में, सदियों चले मकान ।
शिक्षा मात्र उपाय जो, करती दूर थकान ।।
आते देखे भोर को, भागा तामस जाय ।
सुख उसके ही साथ हो, दुख में जो मुस्काय ।।
सच्चाई की राह में, काँटे हैं भरपूर ।
अच्छी बातें सीख लो, करो बुराई दूर ।।