मोहोब्बतों से विनती दिलों से निवेदन,
नहीं दिल्लगी में मिले, कोई साधन,
नाजुक बहुत हैं ये रिश्तों के धागे,
नहीं फिर जुड़ेगा, जो टूटा ये बंधन,
संभालेंगे कैसे लडखडाये कदम जब,
फ़िसलेंगे हांथो से अपनों के दामन,
पनप नहीं पाते ज़ज्बात फिर दिलो में,
सूना हो गया जो निगाहों का आँगन,
आँखों का बाँध छूटा तो कैसे बंधेगा,
अश्को से हो जायेगी इतनी अनबन....
नहीं दिल्लगी में मिले, कोई साधन,
नाजुक बहुत हैं ये रिश्तों के धागे,
नहीं फिर जुड़ेगा, जो टूटा ये बंधन,
संभालेंगे कैसे लडखडाये कदम जब,
फ़िसलेंगे हांथो से अपनों के दामन,
पनप नहीं पाते ज़ज्बात फिर दिलो में,
सूना हो गया जो निगाहों का आँगन,
आँखों का बाँध छूटा तो कैसे बंधेगा,
अश्को से हो जायेगी इतनी अनबन....