भारत में भर रहा भ्रष्टाचार का तराजू,
अंधों के राज़ में होता अंधेर है राजू,
कुछ और ये समय जो यूँही चलेगा,
सोने के भाव में बिकेगा फिर काजू,
देखा है सभी ने, बोला नहीं किसी ने,
रिश्वतखोर सबके रहते हैं आजूबाजू,
ज्ञान से हीन नेता बने बैठे महात्मा
डाकू हैं लुटेरे हैं पर कहते खुद को साधू,
अंधों के राज़ में होता अंधेर है राजू,
कुछ और ये समय जो यूँही चलेगा,
सोने के भाव में बिकेगा फिर काजू,
देखा है सभी ने, बोला नहीं किसी ने,
रिश्वतखोर सबके रहते हैं आजूबाजू,
ज्ञान से हीन नेता बने बैठे महात्मा
डाकू हैं लुटेरे हैं पर कहते खुद को साधू,