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Monday, July 30, 2012

खाल ओढ़े मानवों का आ गया शैतान है

अजनबी पर ना भरोसा कर अभी सुनसान है।
लूट कर सब चल बसेगा साथ जो सामान है।।

पूंछता बेटा नहीं अब हाल अपने बाप का।
यह हमारे वक़्त की सबसे सही पहचान है।।

शोर गलियों में मचा है, वो बनी दुल्हन मिरी।
प्यार मेरा आज देखो चढ़ रहा परवान है।।

इश्क से ये दिल हमेशा यार क्यूँ डरता रहा।
इश्क तुमको पा लगा मुझको बड़ा आसान है।।

ताड़ते इज्ज़त घरों की फिर दुशाशन रूप में।  
खाल ओढ़े मानवों का आ गया शैतान है।।

Sunday, July 29, 2012

आज भी अनजान है

छीन बैठा इश्क जिसका सांस दिल से जान है,
मौत से मेरी वही बस आज भी अनजान है।

जिंदगी भर भागता था मौत के अंजाम से,
पर रहा क़दमों तले हर रोज़ ही शमशान है।

मान हो सम्मान, आदर भाव की हो भावना,
"यह हमारे वक़्त की सबसे सही पहचान है"

छोड़ बेशक से गयी माँ तू मुझे संसार में,
आज भी माँ याद तेरा रूप ही भगवान है।

ताकती मेरी निगाहें राह जिस इंसान की,
लौट कर आया नहीं वो आ गया तूफ़ान है।

Friday, July 27, 2012

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प्यार से मुझको, अनमोल नगीना दे दो,
जिंदगी को बस , इक और महीना दे दो,

हम जितना उनको देख मुस्कुराते चले गए,
वो उतना ही दिल कसम से दुखाते चले गए,

हुस्न की फिर से, कुछ अदाएं ढूंढ़ लाया हूँ,
आज अपनी खातिर, सजाएं ढूंढ़ लाया हूँ.....

दे धोखा फिरसे, तू फिर दिल्लगी कर ले,
अपनी वश में, तू मेरी हर ख़ुशी कर ले.....

मुझको नशा हुआ जैसे शराब का,
जो गम पढ़ लिया तेरी किताब का......

शायद मैं नहीं रहा

दोस्त ....दोस्त वो नहीं रहा,
दिल के मारे, दिल नहीं रहा,


बहता पानी, आँख में नमी,
सागर छूटा, अब नहीं रहा,
 

धड़कन धीमी, और हो गयी,
काबू खुद पर, जो नहीं रहा,
 

अब बस तेरा, इंतज़ार है,
इतनी जल्दी, सो नहीं रहा,
 

रुकी सांसे बस, अभी -अभी,
शायद सच में, मैं नहीं रहा..........

Wednesday, July 25, 2012

कुछ शेर

मुझको भी जिंदगी की, जरुरत बना गई,
वो नज़रों से छु मुझे, खूबसूरत बना गई //

आँखों से तोड़ गयी, ख्वाबों की पंखुड़ियों को,
कांटो ने छोड़ दिया, जख्मी कर उंगलियों को //

देख तुझको निगाहों, में भर आया पानी,
देन है ये हसीनो की, है मेहरबानी //

लगा था मेला, मैं नीलाम हो गया,
कि दिल का सौदा, मेरा काम हो गया //

क्या कहूँ उसको समझ नहीं आता,
दिल में रहता है, घर नहीं आता //

ज़रा सी बात कह दी तो मलाल कर गई,
बुरा वो मान बत्तर, और हाल कर गई //

आदमी

आदमी को कर रहा है, तंग आदमी,



सभ्यता सीखा गया बे-ढंग आदमी,



कोशिशें कर-2 हुआ है, कामयाब अब,



आसमां में भर रहा है, रंग आदमी,



देख के लो हो गयीं, हैरान अंखियाँ,



ओढ़ बैठा है, बुरा फिर अंग आदमी,



सोंच के ना काम कोई आज तक किया,



जी रहा इन्हीं आदतों के, संग आदमी,



दूसरों के दुःख को हरदिन, बढाता था,



हाल अपना जान अब है, दंग आदमी............

Monday, July 23, 2012

इक तरफ - इक तरफ

इक तरफ सुन्दर, जग-जमाना,
इक तरफ लुटता, मैं खज़ाना,
इक तरफ प्याला, है मदहोश,
इक तरफ लब, मेरे खामोश,
इक तरफ बिजली, हैं बादल,
इक तरफ आशिक, मैं पागल,
इक तरफ सागर, है गहरा,
इक तरफ खाली, मैं ठहरा,
इक तरफ खुशियों, के मौसम,
इक तरफ गम में, मैं हरदम,
इक तरफ मस्ती, में सावन,
इक तरफ सूना, मैं आँगन,
इक तरफ क़दमों, में मंजिल,
इक तरफ टूटा हूँ, मैं दिल,
इक तरफ हंसती, है बस्ती,
इक तरफ प्यासी, मैं धरती,
इक तरफ जलती, है आग,
इक तरफ साबुन, मैं झाग,
इक तरफ महफ़िल सुर ताल,
इक तरफ गुजरा, मैं साल,
इक तरफ दुश्मन दिल दीवाना,
इक तरफ जंगल, मैं वीराना...............

Sunday, July 22, 2012

हम कंटीले थे

वो कोमल थे, हम कंटीले थे,


आँखें सूखीं थी, हम गीले थे,


रास्ते फूलों के, पथरीले थे,


जख्मी पग, कांटें जहरीले थे,


ढहे पेंड़ों से, पत्ते ढीले थे,


बिखरे हम, कर उसके पीले थे,


नाजुक लब, नयना शर्मीले थे,


घर में बदबू थी, हम सीले थे,


हम फीके भी ,हम चमकीले थे..........

Friday, July 20, 2012

पानी था या हवा था

पानी था, या हवा था,
वो किस दिल, की दुआ था,


ठंडा मौसम, कड़ी लू
वो गम था, या दवा था,
 

लगता था, वो खुदा पर,
किस्मत था, या जुआ था,
 

बेवजह तबियत, जुदा थी,
शायद हमे, कुछ हुआ था,
 

बहता आंसू, मेरा ही,
घायल नस को, छुआ था.

उम्मीदों का कोना

लहू से लथपथ,  उम्मीदों का कोना है,
कि मैं घडी भर हूँ जागा, उम्र भर सोना है,

मिला लुटा हर लम्हा, जीवन का तिनका सा,
लबों पे रख कर लफ़्ज़ों को, जी भर रोना है,

छुड़ा के दामन अब वो दोस्त, अपना बदला,
मिला के आँखों का गम, सारा आलम धोना है,

जिगर में रखता हूँ, जलता -बुझता शोला फिर भी,
तेरी ख़ुशी की खातिर, दुःख अपना संजोना है,

कभी-कभी जब तबियत, दिल की बिगड़ी मेरे यारों,
निकाल साँसों को अपना दम खुद ही खोना है..........

Thursday, July 19, 2012

दिल तुझसे ज़रा खफा है

नाराज हूँ मैं, दिल तुझसे ज़रा खफा है,
मासूम भोली, सूरत ने दिया दगा है

खंज़र ये आँखों का, दिल में उतार डाला  
हमेशा के लिए मुस्किल, जख्म मुझे मिला है,

डर डर के जिंदगी को, जीने से मौत बेहतर,
कैसा ये दर्द दिलबर, सीने में भर दिया है,

मुझे रात भर रुला, ताकि ये आँख नम हो,
दुश्मन से दोस्त बन, संवर रही हवा है

धड़कन के रास्ते, साँसों में समां गयी जो
वो हुस्न का जादू, बातों में सदा रहा है..........

Saturday, July 14, 2012

ये दिल दिल्लगी के, बिलकुल खिलाफ है

शीशे की तरह दिल में, इक बात साफ़ है,
ये दिल दिल्लगी के, बिलकुल खिलाफ है,
खता इतनी थी कि उसने, मज़बूरी नहीं बताई,
फिर भी उसकी गलती, तहे-दिल से माफ़ है,
लगने लगी है सर्दी, अश्कों में भीगने से,
इतना हल्का हो गया, तन का लिहाफ है,
हर आस मर चुकी है, बस सांस ऑन है,
और दिल भी जल-२ के, बुझ हुआ ऑफ है,
मौत है कि बक्श देती है, मुझको बार-बार,
तेरे बाद जिंदगी में, अब जीने का खौफ है.....

Friday, July 13, 2012

तेरी याद आती है माँ

दिल खोलकर सखियों में मेरा ज़िक्र करती थी,
ज़रा सी देर क्या हो जाए बहुत फिक्र करती थी.........

तेरी याद आती है माँ, हाँ सच है माँ, बहुत याद आती है माँ......
अश्क आँखों में जब आता है, दर्द जब मुझको सताता है,
जब उदास हो जाता है मन, जब बढ़ जाती है उलझन,
तेरी याद आती है माँ, हाँ सच है माँ, बहुत याद आती है माँ......

जब सुबह कोई समय पर उठाता नहीं, चाय से भरा प्याला दिखाता नहीं,
जब सर पे कोई हाँथ रख कहता नहीं, बेटा देर हो जाएगी उठ जा,
तेरी याद आती है माँ, हाँ सच है माँ, बहुत याद आती है माँ......

जब आवाज नहीं आती कानो में, कि ज़रा ध्यान से गाडी चलाना,
दफ्तर पहुँच कर मुझे तुम बताना, समय पर बेटा खाना है, खाना,
तेरी याद आती है माँ, हाँ सच है माँ, बहुत याद आती है माँ......

लौटकर शाम को जब घर आता हूँ, खाली कुर्सी पर जब तू दिखती नहीं,
आज का दिन कैसा गुजरा, जब न पूंछे कोई.
तेरी याद आती है माँ, हाँ सच है माँ, बहुत याद आती है माँ......

देर हो या सबेर कोई रोकता नहीं, ग्लास भर पानी को टोकता नहीं,
सर में दर्द जब-जब चढ़ जाता है, हद से ज्यादा जो ये बढ़ जाता है,
तेरी याद आती है माँ, हाँ सच है माँ, बहुत याद आती है माँ......

दोस्तों के घर मैं जब जाता हूँ, अपनी माँ से मुझे जब वो मिलवाते हैं,
जब - जब पूंछे है वो घर में कैसे है सब.
तेरी याद आती है माँ, हाँ सच है माँ, बहुत याद आती है माँ......

बे-रौनक पापा का जब-जब चेहरा दिखा, दर्द उनके भी चेहरे पर था लिखा,
बात दिल कि जब पापा छुपाते हैं माँ, समय कैसे तेरे बिन बिताते हैं माँ,
तेरी याद आती है माँ, हाँ सच है माँ, बहुत याद आती है माँ......

नज़रें जब दिवार पर चढ़कर आपकी मुस्कुराती तस्वीर देखती हैं,
आसमान में जब सारे तारे जगमगा के आपस में बातें करते हैं,
तेरी याद आती है माँ, हाँ सच है माँ, बहुत याद आती है माँ......

चाँद कि किरणे जब खिड़की पर दस्तक देती हैं,
और चंदा मामा कि कहानी याद आती है,
तेरी याद आती है माँ, हाँ सच है माँ, बहुत याद आती है माँ......

आसमां जब धरती कि याद में आंशू बहाता है,
समंदर जब किनारों को डुबो जाता है,
सबेरा जब सूरज कि बिंदिया सजाता है,
तेरी याद आती है माँ, हाँ सच है माँ, बहुत याद आती है माँ......

घर में बस्ती ये ख़ामोशी, और जब-२ घर आये मौसी,
तेरी याद आती है माँ, हाँ सच है माँ, बहुत याद आती है माँ......

मेरे जीवन कि अनमोल सबसे चीज़ ले गया,
मेरी माँ को मुझसे छीन डायबिटीज़ ले गया....

Thursday, July 12, 2012

तेरा नाम भूल जाऊं

बस दो घूंट पियूँ , और सारा जाम भूल जाऊं
कि तुझे याद करूँ, और तेरा नाम भूल जाऊं,
जीवन के सफ़र में कहीं, तू मिले जो दुबारा,
तेरा हाल पूंछू , और क्या था काम भूल जाऊं,
मिलने को तुझसे, जब भी सजाऊं कोई रात,
मारे ख़ुशी के मैं तो वही, शाम भूल जाऊं, 
वैसे तो दिल की याद है, हर बात मुंहजबानी,
पर लिखते वक़्त क्या था, पैगाम भूल जाऊं,
आज चाहता हूँ कह दूँ, पर जान का है खतरा,
मैं क्या करूँ की बाद का, अंजाम भूल जाऊं.......

पलटके हंस गई जबसे

पलटके हंस गई जबसे,नज़र में बस गई तबसे,
समंदर से निकलती लहरें,किनारा रस गई जैसे,
दिल से खेल खेला है, लगा उल्फत का मेला है,
याद जब तेरी आई तो सांसे फंस गई फिरसे,
बड़े शातिर खिलाडी हैं, हम समझे अनाड़ी हैं,
देखकर मुझको राहों में नज़रें फेर गई मुझस.....

Wednesday, July 11, 2012

दिल लगाने को तुला है

नापाक इरादे से दिल लगाने को तुला है,
इक शक्स मेरी हस्ती मिटाने को तुला है,
हजारों किये हैं जुर्म मगर सजा कोई नहीं,
मुझको भी गुनाहों में फ़साने को तुला है,
सौदागर है, दिलों का व्यापार करता है,
धंधा है यही वो जिसको, बढ़ाने को तुला है,
धमकी दे रहा है, सीने पर मेरे चढ़कर,
जालिम है जबरजस्ती, डराने को तुला है,
आता है नए - नए रोज़, दावं सीख कर,
मेरे जीवन को जुए में, हराने को तुला है....

रात उधार मांगता हूँ

बस नींद भरी रात उधार मांगता हूँ,
दिल के लिए जज़्बात उधार मानता हूँ,
कोई तोड़ जाये जो होंठो से मेरे चुप्पी,
कुछ लफ़्ज़ों की सौगात उधार मानता हूँ,
मुमकिन नहीं है फिर तसल्ली के वास्ते,
गूंगे लबों पे इक बात उधार मांगता हूँ,
सांसो की चाल थोड़ी धीमी पड़ गयी है,
कुछ दिन जीने के हालात उधार मांगता हूँ,
फुटपाथ पर बसे कुछ भूंखे पेटों को,
थोड़ी दाल थोड़े भात उधार मांगता हूँ...........

ज़रा सी बात

ज़रा सी बात बोलो तो बताना हैं बना लेते,
उठा - गिरा कर पलकें फ़साना हैं बना लेते,
कहानी रच लेते हैं, जुबां से लम्बी चौड़ी वो,
पत्थरों को ज़रा छूकर, खज़ाना हैं बना लेते,
निगाहें रूठ जाएँ तो, बस्तियां लुट जाती हैं,
अपने आगे पीछे इक, जमाना हैं बना लेते,
यादों के बीते पल जब - जब जाग जाते हैं,
मेरी सारी खुशियों का हर्जाना हैं बना लेते.....

समस्याओं का समाधान चाहिए

बढ़ती हुई समस्याओं का, समाधान चाहिए,
इंसान के अवतार में, फिर भगवान चाहिए,
मुश्किलों से घिरी हुई है,अपनी जन्म-भूमि,
अब एक जुझारू योद्धा,बड़ा बलवान चाहिए, 
बैठे हैं भ्रष्ठाचारी, हर मोड़ हर कदम पर,
अब इनकी खातिर,एक नया शमशान चाहिए,
नज़रों में झलकती खोट, घरों में रखे भर-२ नोट,
आँधियों से बात नहीं बननी,आज तूफ़ान चाहिए.....

मैं तेरे बिन निकल आया

छोड़ कर उल्फत की गलियां, मैं तेरे बिन निकल आया,
जलाया जब रातों में मुझको, इक नया दिन निकल आया,
दिल में दफनाई थी यादें, आज जो फुर्सत में खोदीं,
बे-दर्द जिन्दा जख्मों का, वही पल-छिन निकल आया,
सोंचकर रात भर जागे, सबेरा कल नया होगा,
मगर बीता वही समय उठ के , प्रतिदिन निकल आया,
गुमसुदगी की राहों पर, भटकता छोड़ गया मुझको , 
वही मंजर था जो मेरे दोस्तों, बड़ा कठिन निकल आया,
किताबें खोल कर हैं बैठी, यादों से लहुलुहान वही पन्ने,
पढ़ते - पढ़ते तेरा दिया हुआ, मुझमे चिह्न निकल आया....