दूरियों का ही समय निश्चित हुआ,
कब भला शक से दिलों का हित हुआ,
भोज छप्पन हैं किसी के वास्ते,
और कोई स्वाद से वंचित हुआ,
क्या भरोसा देश के कानून पर,
है बुरा जो वो भला साबित हुआ,
बेटियों सँग हादसे यूँ देखकर,
मैं पिता जबसे हुआ चिंतित हुआ,
सभ्यता की देख उड़ती धज्जियाँ,
मन ह्रदय मेरा बहुत कुंठित हुआ..
कब भला शक से दिलों का हित हुआ,
भोज छप्पन हैं किसी के वास्ते,
और कोई स्वाद से वंचित हुआ,
क्या भरोसा देश के कानून पर,
है बुरा जो वो भला साबित हुआ,
बेटियों सँग हादसे यूँ देखकर,
मैं पिता जबसे हुआ चिंतित हुआ,
सभ्यता की देख उड़ती धज्जियाँ,
मन ह्रदय मेरा बहुत कुंठित हुआ..