Wednesday, August 22, 2012
Monday, August 20, 2012
आँखों से मेरे दोस्त, ना निशाने का शौक रख
आँखों से मेरे दोस्त, ना निशाने का शौक रख,
पागल दिल है, दिल से दिल ना लगाने का शौक रख,
गायब हो ना जाये, ये नींद आँखों से रात की,
यादों में इतना खुद को ना जगाने का शौक रख,
चाहत में थोडा तो रख तू भरोसा, शक छोड़ दे,
लम्हा-लम्हा ऐसे, ना आजमाने का शौक रख,
राहों पर बिखरे हैं पत्थर, ज़रा चल, संभल ज़रा,
ठोकर हैं दुश्मन, दोस्त ना बनाने का शौक रख,
आ सकती है फिर ये पागल हवा, लेकर जलज़ला,
तूफानों को अपने घर ना बिठाने का शौक रख............
Sunday, August 19, 2012
यादों का मखमली गम
यादों का मखमली गम ओढ़, सो नहीं पाता,
सब जाना चाहता हूँ भूल, हो नहीं पाता,
आया आराम ना मुझको दुआ, दवा भायी,
आँखों में झलकता है अश्क, रो नहीं पाता,
मैं प्यासा इक समंदर हूँ, कई महीनों से,
मुझको दीवानगी है याद, खो नहीं पाता,
पागल हो, भूल बैठा रात और दिन सारे,
पल दो पल का सुकूं हो चैन ढो नहीं पाता,
जिसको मैं ढूंढता हूँ हर घडी उदासी में,
करके बेताब मिल हर रोज़, वो नहीं पाता......
Thursday, August 16, 2012
मामला है दिल्लगी का
मामला है दिल्लगी का और कोई बात नहीं,
उलझनों में घिर चुका हूँ चैन मेरे साथ नहीं,
भूल जाऊं मैं तुझे या रोज़ तुझको याद करूँ,
सुबह ना अच्छी लगे ये शाम भी कुछ खास नहीं,
अजब सी ये कशमश, है डंसती हर रोज़ मुझे,
जिंदगी उलझी कहीं अब ठीक भी हालात नहीं,
फूल मुझको चुभ रहे हैं, हौंसला है पस्त हुआ,
जख्म मुझमे पल रहे हैं, सु:ख की बारात नहीं,
टूट कर बिखरा हूँ ऐसे जख्म पाये चोट लगी,
और वो बोले कि इसमें यार मेरा हाँथ नहीं...............
Monday, August 13, 2012
कुछ-२ सबको बांटे दिल
बोयें नैना, काटे दिल,
कुछ-२ सबको बांटे दिल,
खुशियाँ मातम, लाये गम
सूखी पलकें, कर दे नम,
जख्मों को है छांटे दिल,
कुछ-२ सबको बांटे दिल,
पल में ज्यादा, पल में कम,
लाये बारिश, का मौसम,
वादा करके नाटे दिल,
कुछ-२ सबको बांटे दिल,
साँसे, धड़कन जाये थम,
बहती आँखें , हैं हरदम,
यादों के भरदे कांटे दिल,
कुछ-२ सबको बांटे दिल,
ठहरें रातें जाएँ जम,
बरसे बेचैनी छम-२,
फैलाता सन्नाटे दिल,
कुछ-२ सबको बांटे दिल.........
Sunday, August 12, 2012
कुल्हाड़ी से ख्वाबों पे वार हो
धोखा नैनो को तेरे स्वीकार हो,
तुझको भी तेरे जैसे से प्यार हो,
तू भी तडपे छुप-२ के रोये कभी,
तेरे गालों पर अश्कों की धार हो,
गायब तो तेरी रातों की नींद औ,
गम-ए-कुल्हाड़ी से ख्वाबों पे वार हो,
बिगड़ी हालत चिंता हो मजबूरियां,
हर लम्हा अब तेरा दिल बीमार हो,
गीला-गीला दिल का कोना हर घडी,
भीगी - भीगी यादों की दिवार हो..........
Wednesday, August 8, 2012
कीमत दर्दे दिल की अदा कर दे
कीमत दर्दे दिल की अदा कर दे,
तू खुद को मेरा खुदा कर दे,
आ जा वापस जिंदगी में फिर,
चाहे सांसों से जुदा कर दे,
गम में जीना हो न हो मरना,
ऐसा मौसम तू सदा कर दे,
तिरछी नज़रों से चला जादू,
मुझको खुदपे तू फ़िदा कर दे,
बेबस लब कह ना सके कुछ भी,
कार्य इतना बेहुदा कर दे.....
Friday, August 3, 2012
जिन्दा हूँ मुझमे अगर तुम हो
साँसों पे छाई खबर तुम हो,
मेरी आँखों की नज़र तुम हो,
हंसा हूँ पाकर साथ तुम्हारा,
खुशियों में होता असर तुम हो,
मर जाऊँगा मैं भूल ना जाना,
जिन्दा हूँ मुझमे अगर तुम हो,
पाके इतना मदहोश हूँ तुमको,
मेरे सपनों का नगर तुम हो,
लाऊँगा तारे फलक से मैं,
तुम्ही जां मेरी जिगर तुम हो........
मेरी आँखों की नज़र तुम हो,
हंसा हूँ पाकर साथ तुम्हारा,
खुशियों में होता असर तुम हो,
मर जाऊँगा मैं भूल ना जाना,
जिन्दा हूँ मुझमे अगर तुम हो,
पाके इतना मदहोश हूँ तुमको,
मेरे सपनों का नगर तुम हो,
लाऊँगा तारे फलक से मैं,
तुम्ही जां मेरी जिगर तुम हो........
Wednesday, August 1, 2012
राह वो पगली बदलती नहीं
आह जो दिल से मेरे निकलती नहीं,
राह वो पगली शायद बदलती नहीं,
रोज़ मरता हूँ, जीता हूँ कभी-कभी,
हाल देख कर भी थोडा पिघलती नहीं,
खो गई पाकर, तुमको जिंदगी कहीं,
आज कल तबियत भी तो मचलती नहीं,
रूबरू आँखों में है, चेहरा तिरा,
अश्क बहते हैं, पर वो मसलती नहीं,
बात आती थी सारी, याद रात भर,
सांस सीने में रुकी, टहलती नहीं.......
राह वो पगली शायद बदलती नहीं,
रोज़ मरता हूँ, जीता हूँ कभी-कभी,
हाल देख कर भी थोडा पिघलती नहीं,
खो गई पाकर, तुमको जिंदगी कहीं,
आज कल तबियत भी तो मचलती नहीं,
रूबरू आँखों में है, चेहरा तिरा,
अश्क बहते हैं, पर वो मसलती नहीं,
बात आती थी सारी, याद रात भर,
सांस सीने में रुकी, टहलती नहीं.......
Monday, July 30, 2012
खाल ओढ़े मानवों का आ गया शैतान है
अजनबी पर ना भरोसा कर अभी सुनसान है।
लूट कर सब चल बसेगा साथ जो सामान है।।
पूंछता बेटा नहीं अब हाल अपने बाप का।
यह हमारे वक़्त की सबसे सही पहचान है।।
शोर गलियों में मचा है, वो बनी दुल्हन मिरी।
प्यार मेरा आज देखो चढ़ रहा परवान है।।
इश्क से ये दिल हमेशा यार क्यूँ डरता रहा।
इश्क तुमको पा लगा मुझको बड़ा आसान है।।
ताड़ते इज्ज़त घरों की फिर दुशाशन रूप में।
खाल ओढ़े मानवों का आ गया शैतान है।।
Sunday, July 29, 2012
आज भी अनजान है
छीन बैठा इश्क जिसका सांस दिल से जान है,
मौत से मेरी वही बस आज भी अनजान है।
जिंदगी भर भागता था मौत के अंजाम से,
पर रहा क़दमों तले हर रोज़ ही शमशान है।
मान हो सम्मान, आदर भाव की हो भावना,
"यह हमारे वक़्त की सबसे सही पहचान है"
छोड़ बेशक से गयी माँ तू मुझे संसार में,
आज भी माँ याद तेरा रूप ही भगवान है।
ताकती मेरी निगाहें राह जिस इंसान की,
लौट कर आया नहीं वो आ गया तूफ़ान है।
मौत से मेरी वही बस आज भी अनजान है।
जिंदगी भर भागता था मौत के अंजाम से,
पर रहा क़दमों तले हर रोज़ ही शमशान है।
मान हो सम्मान, आदर भाव की हो भावना,
"यह हमारे वक़्त की सबसे सही पहचान है"
छोड़ बेशक से गयी माँ तू मुझे संसार में,
आज भी माँ याद तेरा रूप ही भगवान है।
ताकती मेरी निगाहें राह जिस इंसान की,
लौट कर आया नहीं वो आ गया तूफ़ान है।
Friday, July 27, 2012
201 पोस्ट कुछ और शे'र
प्यार से मुझको, अनमोल नगीना दे दो,
जिंदगी को बस , इक और महीना दे दो,
हम जितना उनको देख मुस्कुराते चले गए,
वो उतना ही दिल कसम से दुखाते चले गए,
हुस्न की फिर से, कुछ अदाएं ढूंढ़ लाया हूँ,
आज अपनी खातिर, सजाएं ढूंढ़ लाया हूँ.....
दे धोखा फिरसे, तू फिर दिल्लगी कर ले,
अपनी वश में, तू मेरी हर ख़ुशी कर ले.....
मुझको नशा हुआ जैसे शराब का,
जो गम पढ़ लिया तेरी किताब का......
जिंदगी को बस , इक और महीना दे दो,
हम जितना उनको देख मुस्कुराते चले गए,
वो उतना ही दिल कसम से दुखाते चले गए,
हुस्न की फिर से, कुछ अदाएं ढूंढ़ लाया हूँ,
आज अपनी खातिर, सजाएं ढूंढ़ लाया हूँ.....
दे धोखा फिरसे, तू फिर दिल्लगी कर ले,
अपनी वश में, तू मेरी हर ख़ुशी कर ले.....
मुझको नशा हुआ जैसे शराब का,
जो गम पढ़ लिया तेरी किताब का......
शायद मैं नहीं रहा
दोस्त ....दोस्त वो नहीं रहा,
दिल के मारे, दिल नहीं रहा,
बहता पानी, आँख में नमी,
सागर छूटा, अब नहीं रहा,
धड़कन धीमी, और हो गयी,
काबू खुद पर, जो नहीं रहा,
अब बस तेरा, इंतज़ार है,
इतनी जल्दी, सो नहीं रहा,
रुकी सांसे बस, अभी -अभी,
शायद सच में, मैं नहीं रहा..........
Wednesday, July 25, 2012
कुछ शेर
मुझको भी जिंदगी की, जरुरत बना गई,
वो नज़रों से छु मुझे, खूबसूरत बना गई //
आँखों से तोड़ गयी, ख्वाबों की पंखुड़ियों को,
कांटो ने छोड़ दिया, जख्मी कर उंगलियों को //
देख तुझको निगाहों, में भर आया पानी,
देन है ये हसीनो की, है मेहरबानी //
लगा था मेला, मैं नीलाम हो गया,
कि दिल का सौदा, मेरा काम हो गया //
क्या कहूँ उसको समझ नहीं आता,
दिल में रहता है, घर नहीं आता //
ज़रा सी बात कह दी तो मलाल कर गई,
बुरा वो मान बत्तर, और हाल कर गई //
वो नज़रों से छु मुझे, खूबसूरत बना गई //
आँखों से तोड़ गयी, ख्वाबों की पंखुड़ियों को,
कांटो ने छोड़ दिया, जख्मी कर उंगलियों को //
देख तुझको निगाहों, में भर आया पानी,
देन है ये हसीनो की, है मेहरबानी //
लगा था मेला, मैं नीलाम हो गया,
कि दिल का सौदा, मेरा काम हो गया //
क्या कहूँ उसको समझ नहीं आता,
दिल में रहता है, घर नहीं आता //
ज़रा सी बात कह दी तो मलाल कर गई,
बुरा वो मान बत्तर, और हाल कर गई //
आदमी
आदमी को कर रहा है, तंग आदमी,
सभ्यता सीखा गया बे-ढंग आदमी,
कोशिशें कर-2 हुआ है, कामयाब अब,
आसमां में भर रहा है, रंग आदमी,
देख के लो हो गयीं, हैरान अंखियाँ,
ओढ़ बैठा है, बुरा फिर अंग आदमी,
सोंच के ना काम कोई आज तक किया,
जी रहा इन्हीं आदतों के, संग आदमी,
दूसरों के दुःख को हरदिन, बढाता था,
हाल अपना जान अब है, दंग आदमी............
Monday, July 23, 2012
इक तरफ - इक तरफ
इक तरफ सुन्दर, जग-जमाना,
इक तरफ लुटता, मैं खज़ाना,
इक तरफ प्याला, है मदहोश,
इक तरफ लब, मेरे खामोश,
इक तरफ बिजली, हैं बादल,
इक तरफ आशिक, मैं पागल,
इक तरफ सागर, है गहरा,
इक तरफ खाली, मैं ठहरा,
इक तरफ खुशियों, के मौसम,
इक तरफ गम में, मैं हरदम,
इक तरफ मस्ती, में सावन,
इक तरफ सूना, मैं आँगन,
इक तरफ क़दमों, में मंजिल,
इक तरफ टूटा हूँ, मैं दिल,
इक तरफ हंसती, है बस्ती,
इक तरफ प्यासी, मैं धरती,
इक तरफ जलती, है आग,
इक तरफ साबुन, मैं झाग,
इक तरफ महफ़िल सुर ताल,
इक तरफ गुजरा, मैं साल,
इक तरफ दुश्मन दिल दीवाना,
इक तरफ जंगल, मैं वीराना...............
इक तरफ लुटता, मैं खज़ाना,
इक तरफ प्याला, है मदहोश,
इक तरफ लब, मेरे खामोश,
इक तरफ बिजली, हैं बादल,
इक तरफ आशिक, मैं पागल,
इक तरफ सागर, है गहरा,
इक तरफ खाली, मैं ठहरा,
इक तरफ खुशियों, के मौसम,
इक तरफ गम में, मैं हरदम,
इक तरफ मस्ती, में सावन,
इक तरफ सूना, मैं आँगन,
इक तरफ क़दमों, में मंजिल,
इक तरफ टूटा हूँ, मैं दिल,
इक तरफ हंसती, है बस्ती,
इक तरफ प्यासी, मैं धरती,
इक तरफ जलती, है आग,
इक तरफ साबुन, मैं झाग,
इक तरफ महफ़िल सुर ताल,
इक तरफ गुजरा, मैं साल,
इक तरफ दुश्मन दिल दीवाना,
इक तरफ जंगल, मैं वीराना...............
Sunday, July 22, 2012
हम कंटीले थे
वो कोमल थे, हम कंटीले थे,
आँखें सूखीं थी, हम गीले थे,
रास्ते फूलों के, पथरीले थे,
जख्मी पग, कांटें जहरीले थे,
ढहे पेंड़ों से, पत्ते ढीले थे,
बिखरे हम, कर उसके पीले थे,
नाजुक लब, नयना शर्मीले थे,
घर में बदबू थी, हम सीले थे,
हम फीके भी ,हम चमकीले थे..........
आँखें सूखीं थी, हम गीले थे,
रास्ते फूलों के, पथरीले थे,
जख्मी पग, कांटें जहरीले थे,
ढहे पेंड़ों से, पत्ते ढीले थे,
बिखरे हम, कर उसके पीले थे,
नाजुक लब, नयना शर्मीले थे,
घर में बदबू थी, हम सीले थे,
हम फीके भी ,हम चमकीले थे..........
Friday, July 20, 2012
पानी था या हवा था
पानी था, या हवा था,
वो किस दिल, की दुआ था,
ठंडा मौसम, कड़ी लू
वो गम था, या दवा था,
लगता था, वो खुदा पर,
किस्मत था, या जुआ था,
बेवजह तबियत, जुदा थी,
शायद हमे, कुछ हुआ था,
बहता आंसू, मेरा ही,
घायल नस को, छुआ था.
उम्मीदों का कोना
लहू से लथपथ, उम्मीदों का कोना है,
कि मैं घडी भर हूँ जागा, उम्र भर सोना है,
मिला लुटा हर लम्हा, जीवन का तिनका सा,
लबों पे रख कर लफ़्ज़ों को, जी भर रोना है,
छुड़ा के दामन अब वो दोस्त, अपना बदला,
मिला के आँखों का गम, सारा आलम धोना है,
जिगर में रखता हूँ, जलता -बुझता शोला फिर भी,
तेरी ख़ुशी की खातिर, दुःख अपना संजोना है,
कभी-कभी जब तबियत, दिल की बिगड़ी मेरे यारों,
निकाल साँसों को अपना दम खुद ही खोना है..........
कि मैं घडी भर हूँ जागा, उम्र भर सोना है,
मिला लुटा हर लम्हा, जीवन का तिनका सा,
लबों पे रख कर लफ़्ज़ों को, जी भर रोना है,
छुड़ा के दामन अब वो दोस्त, अपना बदला,
मिला के आँखों का गम, सारा आलम धोना है,
जिगर में रखता हूँ, जलता -बुझता शोला फिर भी,
तेरी ख़ुशी की खातिर, दुःख अपना संजोना है,
कभी-कभी जब तबियत, दिल की बिगड़ी मेरे यारों,
निकाल साँसों को अपना दम खुद ही खोना है..........
Thursday, July 19, 2012
दिल तुझसे ज़रा खफा है
नाराज हूँ मैं, दिल तुझसे ज़रा खफा है,
मासूम भोली, सूरत ने दिया दगा है
खंज़र ये आँखों का, दिल में उतार डाला
हमेशा के लिए मुस्किल, जख्म मुझे मिला है,
डर डर के जिंदगी को, जीने से मौत बेहतर,
कैसा ये दर्द दिलबर, सीने में भर दिया है,
मुझे रात भर रुला, ताकि ये आँख नम हो,
दुश्मन से दोस्त बन, संवर रही हवा है
धड़कन के रास्ते, साँसों में समां गयी जो
वो हुस्न का जादू, बातों में सदा रहा है..........
मासूम भोली, सूरत ने दिया दगा है
खंज़र ये आँखों का, दिल में उतार डाला
हमेशा के लिए मुस्किल, जख्म मुझे मिला है,
डर डर के जिंदगी को, जीने से मौत बेहतर,
कैसा ये दर्द दिलबर, सीने में भर दिया है,
मुझे रात भर रुला, ताकि ये आँख नम हो,
दुश्मन से दोस्त बन, संवर रही हवा है
धड़कन के रास्ते, साँसों में समां गयी जो
वो हुस्न का जादू, बातों में सदा रहा है..........
Subscribe to:
Posts (Atom)