1.
मेरी कीमत लगाता बजारों में था.
वो जो मेरे लिए इक हजारों में था.
कब्र की मुझको दो गज जमीं ना मिली,
आशियाँ उसका देखो सितारों में था.
2.
लाखों उपाय दिलको मनाने में लग गए,
तुमको कई जनम भुलाने में लग गए,
निकले थे घर से हम भी गुस्से में रूठ के,
कांटे तमाम वापस आने में लग गए,
3.
गुलशन लुटा दिल का बाजार ख़तम,
उनमें हमारे वास्ते था प्यार ख़तम,
सोंचा थी जिंदगी थोड़ी सी प्यार की
जीने के आज सारे आसार ख़तम,
4.
गुलशन में फूल मेरे खिलते हैं आपसे,
ख्वाबों में रोज घंटों मिलते हैं आपसे,
खिल के है मुस्कुराई थी मायूस जिंदगी,
सदियों के जख्म गहरे सिलते हैं आपसे..