कारवाँ ठंडी हवा का आ गया है।
धुंध हल्का कोहरा भी छा गया है।। 1
धुंध हल्का कोहरा भी छा गया है।। 1
राह नज़रों को नहीं आती नज़र अब।
कौन है जो रास्तों को खा गया है।। 2
कौन है जो रास्तों को खा गया है।। 2
पांव ठंडे, हाँथ ठंडे - थरथराते।
जान पर जुल्मी कहर बरसा गया है।। 3
जान पर जुल्मी कहर बरसा गया है।। 3
पास घर दौलत नहीं रोटी न कपड़े।
कुछ नसीबा मुश्किलों को भा गया है।। 4
कुछ नसीबा मुश्किलों को भा गया है।। 4
घिर रही घनघोर काली है घटा फिर।
वर्फबारी कर ग़ज़ब रब ढा गया है।। 5
वर्फबारी कर ग़ज़ब रब ढा गया है।। 5
बोल बाला मर्ज का फिर से जगा है।
सर्द सोया दर्द भी भड़का गया है।। 6
सर्द सोया दर्द भी भड़का गया है।। 6