आइये आपका स्वागत है

Friday, December 14, 2012

बूढ़े बाबा की दीवानी

मोटी - मोटी चादर तानी,
फिर भी भीतर घुसकर मानी,
 
जाड़े की जारी मनमानी,
बूढ़े बाबा की दीवानी,
 
दादा - दादी, नाना - नानी,
कहते बख्शो ठंडक रानी,
 
रविकर किरणें आनी जानी,
पावक लगती ठंडा पानी
 
देखो जिद मौसम ने ठानी,
बारिश करके की शैतानी,
 
राहें सब जानी पहचानी,
कुहरे ने कर दी अनजानी,
 
बंधू बोलो मीठी वानी,
सबके मन को है ये भानी.

Thursday, December 13, 2012

चाह है उसकी मुझे पागल बनाये

चाह है उसकी मुझे पागल बनाये,
बेवजह उड़ता हुआ बादल बनाये,

लोग देखेंगे जमीं से आसमां तक,
रेत में सूखा घना जंगल बनाये,

जान के दुखती रगों को छेड़कर,
दर्द की थोड़ी बहुत हलचल बनाये,

पास रखना है मुझे हर हाल में,
आँख का सुरमा कभी काजल बनाये,

दौर आया मुश्किलों की ओढ़ चादर,
और वो पत्थर मुझे दलदल बनाये,

मैं रहा तन्हा अकेला जिंदगी भर,
दूर सब अपने खड़े थे दल बनाये,

जान लो वो मार देगा जान से जो,
चासनी लब पर रखे हरपल बनाये....

Monday, December 10, 2012

शीत डाले ठंडी बोरियाँ

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक - 26 के लिए लिखी रचना "हेमंत ऋतु" पर आधारित

देख माथे की शिकन औ त्योरियाँ,
शीत डाले ढेर ठंडी बोरियाँ,

गोद में अपनी लिटाकर सूर्य को,
गुनगुनाती है सुनाती लोरियाँ,

धुंध को फैला रही है राह में,
बांधती है मुश्किलों की डोरियाँ,

बादलों के बाद रखती आसमां,
धूप की ऐसे करे है चोरियाँ,

सुरसुरी बहती पवन झकझोर दे,
काम खुल्लेआम सीनाजोरियाँ.

Sunday, December 9, 2012

हेमंत ऋतु पर कुछ हाइकू

शीतल जल
रविकर किरण
हिम पिघल

आग जलाई
कहर निरंतर
ओढ़ रजाई

चौपट धंधे
हैं चिंतित किसान
छुपे परिंदे

गर्म तसला
मुरझाई फसल
सूर्य निकला

घना कुहासा
खिलखिले सुमन
शीतल भाषा

पौष से माघ
सुरसुरी पवन
पानी सी आग

शुरू गुलाबी
मानव भयभीत
शिशिर बाकी

Saturday, December 8, 2012

कारवाँ ठंडी हवा का

कारवाँ ठंडी हवा का आ गया है।
धुंध हल्का कोहरा भी छा गया है।। 1
 
राह नज़रों को नहीं आती नज़र अब।
कौन है जो रास्तों को खा गया है।। 2
 
पांव ठंडे, हाँथ ठंडे - थरथराते।
जान पर जुल्मी कहर बरसा गया है।। 3
 
पास घर दौलत नहीं रोटी न कपड़े।
कुछ नसीबा मुश्किलों को भा गया है।। 4
 
घिर रही घनघोर काली है घटा फिर।
वर्फबारी कर ग़ज़ब रब ढा गया है।। 5
 
बोल बाला मर्ज का फिर से जगा है।
सर्द सोया दर्द भी भड़का गया है।। 6

Friday, December 7, 2012

कुछ हाइकु

मित्र मित्रता
शिव भोले श्री राम
सत्य सत्यता

गंगा स्नान
सुन्दर हो विचार
अंतर ध्यान

व्याकुल मन
अशांत सरोवर
राम भजन

कर्म प्रधान
सम्पूर्ण परमात्मा
आत्म सम्मान

भीषण ज्वर
होनी हो अनहोनी
श्री गिरधर

गीता का सार
लोक व परलोक
 जीत में हार

जग कल्याण
ब्रम्हा - विष्णु - महेश
आत्मा है प्राण 

Thursday, December 6, 2012

प्यार से तस्वीर मेरी पोंछना आंसू बहाके

प्यार से तस्वीर मेरी, पोंछना आंसू बहाके।
शीश खटिये पे टिकाकर, सोंचना आंसू बहाके।।

चैन से जी भी न पाये,चैन से मर भी न पाये।
याद के टुकड़े पुराने, नोंचना आंसू बहाके।।

इस कदर मेरी मुहब्बत, कर गई बर्बाद उसको।
नाम लिख मेरा हँथेली, गोंचना आंसू बहाके।।

जब कभी मेरी कमी खलती, उसे है खामखा तब।
दर्द में दुखती रगों को कोंचना आंसू बहाके।।

जख्म से मजबूर होके, घाव ले जीती रही।
क्या करे तकदीर को है, कोसना आंसू बहाके।।

चाँद से हो खूबसूरत, जब कभी उसको कहूँ मैं।
शर्म से फिर मुस्कुराना, रोकना आंसू बहाके।।

Monday, December 3, 2012

कुछ - हाइकु

पराया धन
बढ़ाता परेशानी
मन में चिंता 

बुरी नज़र
जलाती तिल तिल
प्रेम संसार

क्रोधित मन
समझता कब है
अपनी भूल

ज्ञानी ह्रदय
बड़ा शांत स्वभावी
प्रकृति जैसा

फूल के पीछे
पड़ी हवा दिवानी
भौंरा पागल

शाम - सबेरे
है ठण्ड झकझोरे
शीत ऋतु की 

घूमा मंदिर
भगवान को पाया
मन भीतर

माँ की ममता
अथाह पारावार
पार न पाए

Sunday, December 2, 2012

दूरियां हों लाख - याद है जाती नहीं

दिन कहीं छुप खो गया है, रात भी बाकी नहीं।
मुश्किलें हैं हर कदम पर, बात बन पाती नहीं।।

इक दफा दिल पे कभी, जो राज कोई कर गया।
दूरियां हों लाख चाहे, याद फिर जाती नहीं।।

दिल्लगी कर दिल दुखाना, ठीक ये आदत नहीं।
पास तेरे दिल नहीं, तू और जज्बाती नहीं।।

नाज तेरी मैं वफ़ा पे, रात दिन करता रहा।
बेवफा तेरी कहानी पर, जुबाँ गाती नहीं।।

जख्म गर नासूर बनके, जिस्म को छलनी करे। 
मौत है ये जिंदगी, जो मौत कहलाती नहीं।।

Saturday, December 1, 2012

छलके -अंजु बूंद

छलके जब-जब अंजु, बूंद तब-तब,
तेरी सूरत लिए, निगाह निकली,

आई तेरी याद, जब एकाएक,
मेरे दिल में दर्द, आह निकली,

नामुमकिन तुझको, हुआ भुलाना,
तेरी इतनी यार, चाह निकली,
 
यूँ बेचैनी - बेबसी बढ़ी की,
पीड़ा हर पल छिन,अथाह निकली,

कातिल तेरी जब, हुई मुहब्बत,
हर धड़कन मेरी, गवाह निकली.

अंजु - आँसू 

Friday, November 30, 2012

जखम - छुपाना पड़ेगा

लबों पर हंसी को, बिछाना पड़ेगा,
निगाहों का पानी, सुखाना पड़ेगा,

नमक लेकर पीछे, जमाना पड़ा है,
जखम अपने दिल का, छुपाना पड़ेगा,

भरोसे के बदले, करे शक हमेशा,
मुहब्बत का लहजा, सिखाना पड़ेगा,

उदासी का आलम,हुआ साथ मेरे,
तबाही का बोझा, उठाना पड़ेगा,

वफ़ा करते-करते, लुटा चैन मेरा,
जुदाई में जिन्दा, जलाना पड़ेगा, 

नहीं इतनी अच्छी, सनम दिल्लगी है,
दगा का तुम्हें ऋण, चुकाना पड़ेगा।

Wednesday, November 28, 2012

इन दिनों - भाग चार

बिखरा है टूटा सारा, सामान इन दिनों,
आया है मेरे घर फिर, तूफ़ान इन दिनों,

लुट कर पहले खुद फिर,सबकुछ लुटा गया, 
चाहा है मेरे दिल ने, नुकसान इन दिनों,

जालिम वो जाजिब, है अपनी ओर खींचता,
लगता है बदला वो, बेईमान इन दिनों,

उरियां है सारा जीवन, बेजान सा लगे,
रूठा है मेरा मुझसे, भगवान इन दिनों,

दूरी की डोर नादिर है, गांठ दरमियाँ,
लगती हैं दिल राहें, सुनसान इन दिनों,

नैना हैं तेरे चाकू, दें घाव जब चले,  
लगता है लेकर छोड़ेंगे, जान इन दिनों,

बाजीचा हूँ, तेरी हांथों का नचा मुझे,
जिन्दा हूँ, मैं हूँ फिरभी,बेजान इन दिनों,


जाजिब-आकर्षक , उरियां-शून्य, नादिर-दुर्लभ,
बाजीचा-खिलौना 

Monday, November 26, 2012

घातक इश्क का विष

दिल की आदत को, बदला जाएगा,
ये दिल जब अपना, पगला जाएगा,

देखेंगे कितना, दम है इश्क में,
अब साँसों तक, ये मसला जाएगा,

करके कब्ज़ा सब, बैठे चोर हैं,
पकड़ो इनको तो, घपला जाएगा,

दे दे गम अपनी, यादों का अगर,
ये गम ही मुझको, बहला जाएगा,

बरसी है मेरी, आँखों में नमी,
कैसे चाहत का, नजला जाएगा,

घातक है चाहत का, विष जो चढ़ा,
मुस्किल से फिर दिन, अगला जाएगा।

Saturday, November 24, 2012

दिल था कच्चा - चटक गया

दिल था कच्चा, चटक गया,
मैं इस पथ में, भटक गया,

बंजर भी हूँ, विरान भी,
हरियाली को, खटक गया,

खंजर-चाकू,चली छुरी,
तेरी सुध में, अटक गया,

जर्जर दिल की, दिवार है,
नैना पानी, पटक गया,  

वश में धड़कन, नहीं रही,
दिल तो साँसे, गटक गया,

खुशियों में हाँथ, थाम के,
गम में आकर, झटक गया,

रूठा जब रब "अरुन" का,
कर से जीवन, छटक गया।।

Friday, November 23, 2012

इन दिनों - भाग तीन

तेरी बहुत आती है, याद इन दिनों,
दिल ने किया मुझको, बर्बाद इन दिनों,

गम ने निशाना, घर की ओर कर लिया,
कैदी बना है दिल, आज़ाद इन दिनों,

पागल मुझे तेरी, करती रही अदा,
कातिल तेरी अदा को, दाद इन दिनों,

डाली डकैती दिल की, जायदाद पर,
बढ़ता रहा हर दिन, बेदाद इन दिनों,

नक्बत इश्क में, आया "अरुन" के,
सुनता नहीं रब भी, फ़रियाद इन दिनों,

बेदाद - अत्याचार, 
नक्बत - दुर्भाग्य

Wednesday, November 21, 2012

जला है दिल "अरुन" का

नज़र में रात पार हो तो हो रहे, तो हो रहे,
नसीबा चूर यार हो तो हो रहे, तो हो रहे,

बजी है धुन गिटार की, लगा है मन को रोग फिर,
जो टूटा प्रेम तार हो तो हो रहे, तो हो रहे,

सबेरे-शाम-रात-दिन है, याद तेरी साथ बस
यही अगर जो प्‍यार  हो तो हो रहे, तो हो रहे,

नहीं हुआ है दर्द कम, दवा भी ली दुआ भी की,
ये ज़ख्‍़म बार-बार हो तो हो रहे, तो हो रहे,

जला है दिल "अरुन" का, कुछ इस तरह से दोस्तों,
जलन ये जोरदार हो तो हो रहे, तो हो रहे.....
 
ये ग़ज़ल मैंने पंकज सुबीर सर के ब्लॉग के लिए लिखी थी, कुछ त्रुटियाँ थीं परन्तु पंकज सर नें त्रुटियों को संशोधित कर दिया है।
 
 

Sunday, November 18, 2012

कुछ - शे'र

होगा कैसा आगाज, देखा जाएगा,
कर लूं खुद को बर्बाद, देखा जाएगा,
जीना है मरना है, इश्क में हर घडी,
बाकी सब तेरे, बाद देखा जाएगा....

अश्कों पे कैसे, लगायेंगें ताले,
यादें तुम्हारी, जखम दिल में डाले,
बदला है सबकुछ,मगर फिर भी यारों,
घर से ना जाएँ, मुहब्बत के जाले।

दिन दूभर, लगी रात भारी।
ऐसी है, इश्क की बिमारी।।

शबनमी बूंदें, यूँ पलकों पे जमी होती है।
हम बहुत रोते हैं जब तेरी कमी होती है।।

इश्क नासूर, बेइलाज है।
जख्म नें बदला,मिजाज है।।
कभी आँखों से, बहे अश्क।
कभी दिल से दिल, नराज है।।  

Friday, November 16, 2012

इन दिनों - भाग दो

छलक जाता है आँखों से, सावन इन दिनों,
नसीबा टूटा है भारी है, मन इन दिनों,

सदा बेचैनी का, आलम मेरे साथ है,
उदासी आई फिर से, लिए उलझन इन दिनों,

क्यूँ है दिल में हलचल, ये भी मालुम नहीं,
नहीं माने मेरा कहना, धड़कन इन दिनों,

बसी है आखों में, तेरी सूरत जादुई,
लुटा चाहत में है दिल का, उपवन इन दिनों,

हुआ है दिल जबसे जख्मी, जागा है दर्द,
सभी से हो बैठी, मेरी अनबन इन दिनों,

बुझी है जीवन की लौ रह-2 के हर घडी,
जला है सांसों का, सारा ईंधन इन दिनों।

Sunday, November 11, 2012

चलो साथ मिलके दिवाली मनायें

चलो साथ मिलके, अँधेरा भगायें,
दिये रोशनी के, हम दिल से जलायें,

मिटा दें दिलों से, अमलन नफरतों को,
मुहब्बत नगर स्वच्छ, सुन्दर बसायें,

पिता-मात हैं, पावन मूरत खुदा की,
करें रोज़ पूजा, नतमस्तक झुकायें,

बहे प्रेम की दिल में, गंगा हमेशा,
गिरां जोड़, रिश्तों के भीतर लगायें,

पटाखे - मिठाई, हो सबको बधाई,
दिवाली पर्व आओ,मिलजुल मनायें।।

अमलन - सचमुच
गिरां - महत्वपूर्ण 

दीप पर्व एवं धनतेरस की सभी को हार्दिक शुभकामनायें

Saturday, November 10, 2012

इन दिनों - भाग एक

मुहब्बत का सूरज, ढला इन दिनों,
उजाला भी घर से, चला इन दिनों,

बिना तेरे जीना, सजा है लगे,
मुझे तेरा जाना, खला इन दिनों,

निगाहों से आंसू, बहे हर घडी,
जला दिल से ये, दिलजला इन दिनों,

तबाही का मंजर, बढ़ा दिन-ब -दिन,
उठा साँसों में, जलजला इन दिनों,

ख़ुशी तेरी यूँ ही, सलामत रहे,
दिया बन मैं तिल-2, जला इन दिनों,

वफ़ा करते-करते, जफा कर गये,
दुआ है तेरा हो, भला इन दिनों,

दर्द - बेचैनी - बेबसी रात दिन,
रहा खुशियों से, फासला इन दिनों।