मोटी - मोटी चादर तानी,
फिर भी भीतर घुसकर मानी,
फिर भी भीतर घुसकर मानी,
जाड़े की जारी मनमानी,
बूढ़े बाबा की दीवानी,
बूढ़े बाबा की दीवानी,
दादा - दादी, नाना - नानी,
कहते बख्शो ठंडक रानी,
कहते बख्शो ठंडक रानी,
रविकर किरणें आनी जानी,
पावक लगती ठंडा पानी
पावक लगती ठंडा पानी
देखो जिद मौसम ने ठानी,
बारिश करके की शैतानी,
बारिश करके की शैतानी,
राहें सब जानी पहचानी,
कुहरे ने कर दी अनजानी,
कुहरे ने कर दी अनजानी,
बंधू बोलो मीठी वानी,
सबके मन को है ये भानी.
सबके मन को है ये भानी.