आइये आपका स्वागत है

Saturday, June 30, 2012

ठिकाने लगा दिए

जीने में जिंदगी ने ज़माने लगा दिए,
आँखों ने खुबसूरत निशाने लगा दिए,
सुहानी शाम जब-२ मुश्किलों से गुजरी,
रखकर लबों पे दो-चार पैमाने लगा दिए,
मिलती नहीं है अब तन्हाइयों से फुर्सत,
गलियों में कई गम के दवाखाने लगा दिए,
धोखे से बच गया, नज़रों को जो पढ़ गया,
जो फंस गए, उनको ठिकाने लगा दिए.........

Friday, June 29, 2012

रद्दी है जिंदगी

रद्दी है जिंदगी सभी समेटने में जुटे हैं,
दो दिल कहीं मिले दो दिल कहीं टुटे हैं,
दुनिया है दोस्तों मज़बूरी का कबाडखाना,
कई किस्मत के हांथो बेरहमी से पिटे हैं,
जिन्दा रह गए, जो गुनेहगार निकले,
शरीफ सारे अपनी शराफत में लुटे हैं,
दुश्मनी पल रही है दोस्ती की आड़ में,
कितने जान के दुश्मन राहो में बंटे हैं....

पराया हुआ है अपना और अपना गैर है

पैमाना नज़रों का छलकने में देर है,
यहाँ रात और वहाँ हो गयी सबेर है,
 
आँखों में नींद कबसे बैठी है मुहं बनाये,
सपनो से हो गयी जबसे इसकी बेर है,
दीवाने बढ रहे हैं हर रोज़ नए - नए,
ऐसे में नहीं अब, पुरानो की खैर है,
रिश्तों की अहमियत बदली है इस तरह,
पराया हुआ है अपना और अपना गैर है.....

Thursday, June 28, 2012

रिश्ते में माँ का लाला लगा

सजा मंदिर, माँ का निराला लगा,
मैं तो रिश्ते में माँ का लाला लगा,
 

हाँथ सर पे, तेरा पड़ा जबसे माँ,
मेरे जीवन में तबसे उजाला लगा,
 
मैं तो रिश्ते में माँ का लाला लगा,

पवन आकर मेरे घर पंखा करे,
बुरी नज़रों पर टीका काला लगा,
मैं तो रिश्ते में माँ का लाला लगा.

दोहा प्रेम का

भरा सरोवर प्रेम का, पिए जो मन में आए,
दिल तोड़ो न दुखियों का, लग जायेगी हाय,


सदा साथ में राखिये, देता हूँ इक राय,
खुदा समझ के राखि लो, जो मन में बस जाए, 


हृयद की सुन्दरता को, बस रखो सदा बचाए,
पुष्प कमल का जाने कब, कीचड में खिल जाए...........

चर्चामंच अनोखा मंच

बेहद खुबसूरत अपना ये चर्चामंच है,
प्रेम के गुच्छों से गुंथा-सजा ये बंच है,
हृयद की भावनाओ से शुशोभित होकर,
फैला रहा मधुर कविताओं का पंच है,
नास्ता होता है अनूठे शब्दों का यहाँ,
यहीं सुन्दर भावों का होता लंच है,
सच्चे साथी हैं, एक साथ, एक जगह,
यहाँ कभी होता नहीं कोई परपंच है......

कौवे की तरह कावँ-२ करते हैं

पल में धूप पल में छावँ करते हैं,
खेला यूँ ही ये लाखों दावँ करते हैं,
बादल हैं या फिर कोई गिरगिट ,
घेर के, छोड़ जाया गावँ करते हैं,
दिखाते हैं रोब गडगडा के बहुत,
फिर कौवे की तरह कावँ-२ करते हैं,
भागने की आदत पड़ गयी है ऐसी,
एक जगह रखा नहीं पावँ करते हैं........

सूखी पलकें

सूखी पलकें एकाएक नम हो जाएँ,
धड़कने दिल की ज़रा कम हो जाएँ,
दुआ है, खुदा से, तेरे जीवन में,
गायब सारे दर्द - वो - गम हो जाएँ,
तेरे घर पड़े दुखों का साया जब - जब,
वो सारे लम्हों के शिकार हम हो जाएँ,
टकराए पावँ से निर्दयी ठोकर जब कभी,
राह के पत्थर भी फूलों से नरम हो जाएँ...

Wednesday, June 27, 2012

दिल में हलचल है कुछ दिनों से

दिल में हलचल है कुछ दिनों से,
मिल रहा दर्द ही दर्द पलछिनो से,
हालात हैं कि सुधर पाते नहीं,
साथ छूटा गया मेरा परिजनों से,
दिन गुजरता है बड़ी मुस्किल में,
और रात कटती नहीं उलझनों से,
चोट मिली है ऐतबार पे, बार - बार,
दोस्त जाकर मिल गए हैं दुश्मनों से,
जहाँ धारदार हथियार काम ना आया,
वहां लाशें बिछ गयी हैं चिलमनों से,
मैं जब - जब, तेरा नाम पुकारता हूँ ,
आवाज आती हैं चिल्लाने की बर्तनों से......

बदल राजा आओ बारिश ले आओ

सूखे हुए पौधों में अब जान फूंक जाओ,
घनघोर घटा लेकर मेरे भी शहर आओ,
सूर्यदेव काम अपना बखूबी निभा रहे हैं,
साथ - २ धुप के शोले भी गिरा रहे हैं, 
अब आपकी है बारी यूँ पीठ न दिखाओ,
खुले आसमाँ को भुजाओं में जकड जाओ,
सुखी हुई जमीं है, १०० फुट घंसी नमी है,
सुबह नहीं सुहानी, और शाम में कमी है,
सागर की जरुरत गागर न गिराओ,
मोटी - २ बूंदों से तालाब भर जाओ........

बदल राजा आओ बारिश ले आओ
बड़ी देर हो गयी अब तो चले आओ..........

Sunday, June 24, 2012

अपने आपे से

बाहर आता हूँ मैं जब भी, अपने आपे से,
निकल आते हैं कुछ शब्द दिल के खाते से,
जतन किये हैं बहुत, कई जोड़ भी लगाये हैं,
पर बारिश रूकती नहीं कभी टूटे हुए छाते से,
वो दौर और था जब लोग जुबाँ पर बिक गए,
अब जंग कोई भी जीती जाती नहीं है पांसे से,
मैं तुझे अपना समझ, समझाता हूँ मगर,
तू गौर तबल कर मेरी बात, इक गैर के नाते से.......

तन्हा सफ़र

सफ़र तन्हा है, वो भी कब तक झेलेंगे,
रिश्तों से खून की होली कब तक खेलेंगे,
अभी तो कहतें हैं किसी की जरुरत नहीं,
देखते हैं कि बूढी उमर अकेले कैसे ढेलेंगे,
पत्थर दिल है, जज्बातों की कदर नहीं,
पावँ से जो लगी ठोकर तो कैसे संभालेंगे,
अनजबी शहर है, पराये लोग हैं हर तरफ,
नाजुक तन को, कैसे मुस्किल में ढालेंगे,
बेशरम जमाना है, यहाँ इंसान कसाई हैं,
बुरी नज़रों की आदत खुद में कैसे डालेंगे.........

हंसके देख ले मुझको

हंसके देख ले मुझको, सुहानी शाम बन जाऊं,
लगकर तेरे जख्मों पे, सुख की बाम बन जाऊं,
शुकूं को भर दूँ तुझमे , चैन मैं बक्श दूँ तुझमे,
तेरी खुशियों के लिए मैं एक इल्जाम बन जाऊं,
गिरे ठोकर जब तू खाकर,तेरी बाहों में मैं आकर, 
तेरी ताकत की खातिर, बेशक बादाम बन जाऊं,
ख़ुशी के रास्ते हमदम, हों तेरे वास्ते हरदम,
काँटों के सफ़र में मैं, गिरके आराम बन जाऊं, 
सफ़र तेरा हो चुनिंदा, न कोई कर सके निंदा,
मैं तेरे वास्ते दिलबर बस ऐसा काम कर जाऊं......

Saturday, June 23, 2012

प्यार क्या - क्या करता है

मैं मीठे-मीठे शब्दों का खुला व्यापार करता हूँ.
यही हरकत है जो मैं, दिन में सौ बार करता हूँ,
खुले दिल का परिंदा हूँ, कई जन्मों से जिन्दा हूँ,
मैं घायल हो चुके दिल पे, यादों की वार करता हूँ,
कभी जीने की हूँ मजा , कभी खौफनाक इक सजा,
मैं जैसे चाहूँ,  जिसको वैसे ही, लाचार करता हूँ,
मैं नीदों को चुरा जाऊं , हो जब-जब बुरा जाऊं,
मुश्किलों से बने लाखों, रखे औज़ार करता हूँ,
दिलों में भरता हूँ दूरी, बड़ी शातिर हूँ मज़बूरी,
सुकून और चैन के सारे, बंद बाज़ार करता हूँ......

मेरी माँ का ये दरबार


सबको भर - भर के देता प्यार, मेरी माँ का ये दरबार,
माँ रखती हैं उसका ध्यान,
जो दिल से देता है सम्मान,
करता खुशियों की बौछार, मेरी माँ का ये दरबार,
कभी आती नहीं बिपदा,
मैं माँ का नाम हूँ जपता,
चैन से भरता है घर-बार, मेरी माँ का ये दरबार,
सुबह और शाम को प्रणाम,
निशदिन करता हूँ ये काम,
बढा देता है हर व्यापार, मेरी माँ का ये दरबार,
हो गया एक रिश्ता नया शुरू,
माँ मेरी अब माँ से बनी गुरु,
बसाता सुख के कई संसार, मेरी माँ का दरबार........

उसके हजारों बहाने

वो आती है अक्सर देर से,
मगर शब्दों के उलट-फेर से,
बनाती है १०० बहाने, लगती है मुझे मनाने,
कहती है घर से मैं निकली हूँ सबेर से,
बचते-बचाते आई मुश्किलों के घेर से,
रखते हैं घर की चाबी, मेरे भैया मेरी भाभी,
अपनों से करके अनबन,
मिलने आती हूँ गैर से,
ताले की जब -जब चाबी है खोई,
अश्कों से साथ मैं से दिल हूँ रोई,
जब कुछ नहीं सुझा तो कूद आई मुण्डेर से......

खतरे की परिस्थिति में तिरंगा हो गया

मोहोब्बत के जहाँ में दंगा हों गया,
तेरे छूने से मैं बिलकुल चंगा हो गया,
बात दिल में जबतक थी ठीक ठाक था,
जुबाँ से बोलते ही बड़ा पंगा हो गया,
बढ गयें जब से देश के अपने ही दुश्मन,
अब खतरे की परिस्थिति में तिरंगा हो गया.......

Friday, June 22, 2012

ख्वाब आँखों के

ख्वाब आँखों के धीरे - धीरे छोटे हो गए,
तमाम लिबास ओढ़े कई मुखोटे हो गए,
बदल चला है समय, दुनिया दारी का,
कि अब इंसान बिन-पेंदी के लोटे हो गए,
ऐसे में कितना - कौन लडेगा भ्रष्टाचारों से,
जब सिक्के सारे अपने देश के खोटे हो गए,
घर में रखे हैं करोडो, मगर पेट भरता नहीं,
दो कौड़ी के चोर भी बड़े मोटे हो गए.......

Thursday, June 21, 2012

एक सवाल खुद से खुद के लिए :

एक सवाल खुद से खुद के लिए :-
 
( कौन हूँ मैं - किसका हूँ मैं - कहाँ हूँ मैं और क्या हूँ मैं )

ना किसी की रातों में, ना किसी की बातों में,
ना किसी की बाहों में, ना किसी की राहों में,
ना किसी की साँसों में, ना किसी की आँखों में,
ना किसी के वादों में, ना किसी की यादों में,
बादल हूँ मैं आवारा, लगता हूँ मैं बंजारा,
कटी पतंग की उझली डोर, न मैं शाम न मैं भोर,
वक़्त की मैं मज़बूरी, अधूरी वस्तु नहीं पूरी,
समंदर की गुजरी लहर, बंजर से बसा शहर,
मोहोब्बत की शिकायत हूँ, बड़ी जालिम बगावत हूँ,
लम्हों की शराफत हूँ, एक पल की आफत हूँ,
बीरानों में खड़ी मंजिल, दर्द हूँ एक मुस्किल,
बिखरी रास्तों की धूल, मैं अनखिला एक फूल,
भटकता एक फ़कीर हूँ, मिट गयी सी लकीर हूँ.....

पिता की नसीहतें

पावँ इतना न पसारो की बाहर निकलें चादर से,
करो दुश्मनों का सम्मान अपने घर में आदर से, 
वर्जित है प्रयोग करना, मुख से कटु शब्दों का,
ये सभी नसीहतें,  हैं कमाई मैंने मेरे फादर से,
रखो संभाले दिल में, इंसानियत की भावना,
देश प्रेम करो, ना कि सिर्फ अपने बिरादर से,
आँखों की हया बक्क्षो,बड़े -बुजुर्ग -स्त्रियों को, 
खुद को बचा कर रखना बहुत दूर निरादर से.......

Wednesday, June 20, 2012

दो कदम का सफ़र

दो कदम का सफ़र,  जो दिलों तक चला,
मैं फिर तन्हा अकेला मुश्किलों तक चला,
बेचैनी मिल गयी सुर्ख बहती हवा से,
मैं दर्द -वो- गम से बनी मंजिलों तक चला,
समय चलता रहा आगे- आगे मेरे,
मैं पीछे - पीछे उम्रभर काफिलों तक चला,
ढूंढते - ढूंढते तेरे साये को मैं,
जश्न में  डूबे हुए, महफिलों तक चला.....
भर गया बाहँ में मुझे दरिया मगर,
मैं मर कर भी साहिलों तक चला......

Monday, June 18, 2012

कहती है जिंदगी

कहती है जिंदगी की शहद, ले चलो,
दुखों से भी ऊँचा सदा कद, ले चलो,
जीत लो मुस्कुराहटों से जंग-ऐ-मैदान,
रखकर काँधे पे ख़ुशी की हद, ले चलो,
तब्दील कर दे जो दुश्मन को दोस्ती में,
जुबाँ पे मीठे इतने शबद, ले चलो..........

एक अफवाह

एक अफवाह थी कि वो बदलना चाहते हैं,
आगे की गलत राह से संभालना चाहते हैं,
अब तक जो, आँखों से आँशू बहा रहे थे,
हांथों से वही गालों को मलना चाहते हैं,
मकसद था पाल रखा मेरी जान लेना,
वो दुश्मन दोस्ती में, ढलना चाहते हैं,
बहुत दूर रास्ते पर जो पीछे छोड़ आये,
उम्रभर मेरे साथ आज चलना चाहते हैं.....

मुस्किल रखते हैं

हर एक डगर में भरके मुस्किल रखते हैं,
छुपाकर पत्थर में अपना दिल रखते हैं,
अदा नज़रों की इतनी शिकारी हैं कि,
तमाम साजिशों में खुद को शामिल रखते हैं,
असर होता नहीं दिल कि बददुवाओं का,
गुलाबी गालों पे काला तिल रखते हैं..........

दूरी बड़ी दिलों में

एक साथ रह-रहे पर दूरी बड़ी दिलों में,
दोस्तों से ज्यादा दुश्मन हैं महफिलों में,
राहों पर लोग कितने हैं घात लगाये बैठे,
बढ गया जान का, खतरा काफिलों में,
मंहगाई ने बढाया भ्रष्टाचारियों का मुनाफा,
आज झूझ रहा देश अपनों से मुश्किलों में.......

मेरे पापा

परमात्मा का रूप रखते हैं, मेरे पापा,
मेरी हर भावना समझते हैं, मेरे पापा,
बुराई को दूर रखना, मन में सफाई रखना,
शिक्षा है सबसे ऊँची कहते हैं, मेरे पापा,
करो नारी का सम्मान, रखों बड़ों का ध्यान,
हर काम को सिखाया करते हैं, मेरे पापा,
जियो इज्ज़त की जिंदगी, करो रब की बंदगी,
खुदा से, मेरे नज़रों में रहते हैं, मेरे पापा.....

Sunday, June 17, 2012

इलाज़ इश्क का

इलाज़ इश्क का कहाँ खुदा के पास है,
ये रखा हुस्न की, हर अदा के पास है,
दरवाजा इश्क का खुलता है देर से,
पर जब भी खुलता है सजा के पास है,
कोई लुटता है, तो कोई
लूटता लेता है,
बाद बचता है जो, वो मज़ा के पास है....

कहता हूँ किया जख्मी

कहता हूँ किया जख्मी, कहती है दिखाओ,
कहता हूँ कि दुखता है, कहती है दवा खाओ,
कहता हूँ मुस्किल है, कहती है भूल जाओ,
कहता हूँ नामुमकिन है, कहती है चलो जाओ,
कहता हूँ मर जाऊँगा, कहती है मर जाओ.....

 

अंधेरों में हूँ उलझा, उजालों को छोड़ दो,
कभी तो मेरे तुम, ख्यालों को छोड़ दो,
बढने दो जीवन में मुझको थोडा आगे,
तुम बीते हुए, सारे सालों को छोड़ दो....



जब तक जिन्दा हूँ मेरे जज़्बात से खेलेगी,
यादें तेरी मेरे दिन - वो - रात से खेलेगी,
भिगोती रहेंगी पलकें बार - बार,
ना मिलकर वो मुलकात से खेलेगी,




पन्ने जब दिल की किताबों के खुलेंगे,
भेद  मोहोब्बत में हिसाबों के खुलेंगे,
नींद इस कदर रूठ गयी की,
पंख आँखों में न ख्वाबों के खुलेंगे...


दिल के काफिले में हुस्न का कारवां देखा,
तले घूँघट के आज फूल को जवां देखा,
उठाये नज़रें तो समंदर छलक जाए,
प्यार का रंग, रग -
रग में रवां देखा...

Saturday, June 16, 2012

हिम्मत जुटा गया

जिस्म पर दहकते हुए शोले लुटा गया,
जाने कहाँ से इतनी हिम्मत जुटा गया,
वो कहती रही की मैं मर जाऊँगी ,
मैं कदम ये भी एक दिन उठा गया....


यादों के पल जब भी दस्तक देते हैं,
अश्क झुका अपना मस्तक देते हैं,
जगा देते हैं सोये हुए ख्यालों को,
गुजरे लम्हों की पुस्तक देते हैं...

Friday, June 15, 2012

बात दिल की

बात दिल की निकल कर किताबों में आ गई,
वो आज रात फिर से मेरे खवाबों में आ गई,
मैंने पूंछा दिल से, दर्द की वजह है क्या,
उसकी सूरत नज़र मुझको जवाबों में आ गई,
मैंने सुना था कि होतें हैं फूल नाज़ुक, पर,
बड़ी बे-रहमियत अब गुलाबों में आ गई,
इक वो दवा, जो बे-मौत मार दे,
घुलकर इश्क से शबाबों में आ गई.........

मैं मरता रहा प्यार करता रहा

मैं मरता रहा प्यार करता रहा,
वो मुस्कुराती रही दिल दुखाती रही,
मैं तरसता रहा आह भरता रहा,
वो दुखती रगों को दबाती रही,
मैं भटकता रहा घाव भरता रहा,
वो जख्मों को लेकिन बढाती रही,
मैं शिशकता रहा अश्क बहता रहा,
वो आँखों में बारिश गिराती रही,
मैं खटकता रहा दूर रहता रहा,
वो दूरी को लेकिन घटाती रही......

Thursday, June 14, 2012

हिन्दुस्तान की दर्द-ए-दास्ताँ

ईमानदारी से लोगों की अनबन है दोस्तों,
इस वजह से बढ गया करप्शन है दोस्तों,
सड़कों पर कुछ कर रहे अनशन है दोस्तों,
फिर भी नहीं बदलता, प्रशाशन है दोस्तों,
कोई नसे की धुत में खाना है त्याग आया,
और भूखे को नहीं मिलता भोजन है दोस्तों,
खातों का कुछ को अपने बैलेंस नहीं मालुम,
घर में कहीं ख़तम आज का राशन है दोस्तों,
इज्ज़त कई मासूमों की तार-तार हो गयी,
कई घरों में फिर से जन्मे दुशाशन है दोस्तों.......

Wednesday, June 13, 2012

आतंकवादियों का आतंक

खून से लथपथ कोई लाश जब सनी मिली,
दर्दनाक जुर्म के पीछे, बड़ी दुश्मनी मिली,
गुनाह कम न हुआ और गुनेहगार बढ गए,
साजिशें गलत भावनावों की बनी मिली,
कत्ले - आम होता रहा, दिन - दहाड़े,
समय के पहिये पे रंजिश घनी मिली,
लाखों बेकसूर बेवजह मारे जाते हैं,
सियासत की आड़ में बंदूकें तनी मिली,
मौत के सौदागर खुले-आम घूमते हैं,
ऐसे कानून से तबियत न अपनी मिली.......

नेताओं के विचार

तुम  वोट देना फिर से, हम चोट देंगे फिर से,
गरीबी से लहलहाता खेत, हम जोत देंगे फिर से,
ये सारी जनता - जनार्दन, मेरे हैं नोट के साधन,
करके इनकी जेब खाली, मेरे घर में भर लिया धन,  
हम आवाज उठाने वालों का गला घोंट देंगे फिर से,
हम जीत गए हैं, दुःख बीत गए हैं,
मेरे सुख के दिन आये, चैन सबका छीन लाये,
तुम विश्वास मुझपर करना, हम खोट देंगे फिर से,
जब आएगा इलेक्शन , हम तभी देंगे दर्शन,
बस दो-चार वादों से, जनता का जीतेंगे मन,
भ्रष्टाचार का नया हम, बिस्फोट देंगे फिर से.....
तुम  वोट देना फिर से, हम चोट देंगे फिर से.......
 

Monday, June 11, 2012

खुद को किसी ओर ले चलें

चलो जिंदगी को तूफानी डगर की ओर ले चलें,
समंदर को उठा , अपने शहर की ओर ले चलें,
भर गया है अँधेरा, गलियों में बहुत ज्यादा,
रवि से मांग रोशिनी अपने घर की ओर ले चलें,
बढ ना जाए नफरतों का दौर दिन - ब - दिन,
मोहोब्बत का मतलब अब नज़र ओर ले चलें.....

मुझे जगाने को

नींद को पड़ी आदत, मुझे जगाने को,
दर्द कोशिश करता है, गुदगुदाने को,
जब से मैं सोया हूँ, सदा के लिए,
उसके दिल में जगी चाहत मुझे उठाने को,
जिंदगी मेरी अब खुद रूठ गयी मुझसे,
भर कर माफ़ी लायी है मुझे मनाने को.....

Sunday, June 10, 2012

हौसला न मिला

टूटकर बिखरे ऐसे की फिर हौसला न मिला,
बेगुनाही का मेरे आज तक फैसला न मिला,
भटकता रहता हूँ दर-ब-बदर लाख ठोकरें खा,
तन्हा जिंदगी बिताने को एक घोंसला न मिला,
दूरियां बढती गयीं और वक़्त के साथ - साथ,
मगर यादों के चुभे काटों से फासला न मिला,
सुना है लोग कहतें थे, कि जिंदगी खोखली है,
बहुत ढूंढा पर वो सुराख़ कहीं खोखला न मिला......

Saturday, June 9, 2012

दो शब्द बोलता हूँ

दो शब्द बोलता हूँ आज तेरी शान में,
कड़वाहट भर गयी है तेरी जबान में,
तूने दूसरों का दर्द जाने क्यूँ न समझा,
क्या पत्थर हैं लगाये दिल के मकान में,
खुशियाँ लुटा रही थी दिल में दुकान खोल,
मैंने जख्मों को कमाया तेरी दुकान में....

मैं सीलन की बस्ती

मैं सीलन की बस्ती, नमी का ठिकाना,
मुझमे बारिश के मौसम का है जमाना,
कि सदा छाये रहते हैं, यादों के बादल,
नहीं छोड़ेंगे बिन किये मुझको पागल,
महंगा साबित हुआ मेरा दिल लगाना,
जख्मों के खातिर मुझे चुन लिया है,
 ग़मों के धागों से मुझे बुन दिया है,
मैं उसके लिए इस जमीं का खज़ाना....

सांसों के तहखाने

खिलौने दर्द के खुशियों के खजाने में आ गये,
आज हम भी तेरी नज़रों के निशाने में आ गए,
मैंने कश्ती अभी- अभी समंदर में थी उतारी,
वो तूफ़ान साथ ले, मेरे ठिकाने में आ गए,
बक्शी जहग ज़रा सी दिल में अपने उसको,
वो ना जाने कब सांसों के तहखाने में आ गए.......

Wednesday, June 6, 2012

रोज़ - २

रोज़ - २ मुझको निराश करती है,
मेरे बदन में दर्द तलाश करती है,
खफा है वो जिंदगी से इस कदर,
पल में जिन्दा पल में लाश करती है,
खुश हो कर देखा करती है तमाशा,
जब दिल्लगी मुझको उदास करती है....

बोलना छोड़ दो

गहराई प्यार की दिल से तोलना छोड़ दो,
जुबां निगाह जब बने तो बोलना छोड़ दो, 
लेकर रेत हवाएं घूमती हैं, गलियों में,
खिड़कियाँ घरों की बेधड़क खोलना छोड़ दो,
लाख मांगो मुरादें दिल की पूरी नहीं होती,
दवा - दुआ को एक साथ घोलना छोड़ दो,
जिंदगी और भी उलझ जायेगी मुश्किलों से,
भर कर चिंता जहन में डोलना छोड़ दो.......

चाहत की आड़ में

उतारा है दिल में खंज़र चाहत की आड़ में,
भीगा है मेरा तन - मन अश्कों की बाढ़ में,
बूंदें टपक रही हैं, बे-मौसम बे- वजह,
कि आया बरसात का महीना जैसे आषाढ़ में,
मिलता नहीं मुझको बचने का कोई मौका,
लगता है फंस गया हूँ, मैं भी तिहाड़ में,
कहीं से ढूंढ़ लाये दर्द से भीगा मौसम ,
दिन रात लगी रहती है वो इस जुगाड़ में,
तिलमिलाहट बढ गयी तदपा हूँ इतना ज्यादा,
बढ गया है दर्द-दे-दिल मोहोब्बत की जाड़ में....

आँसू

दर्द का हाल, हैं बोलते आँसू ,
भार आँखों का, हैं तोलते आँसू ,
गर्म-२ आह में, हैं खौलते आँसू ,
राज़ दिल का चुपचाप, हैं खोलते आँसू ,
गम का माहौल, हैं घोलते आँसू ,
गिरके आँखों से चेहरे पे, हैं डोलते आँसू ,
दर्द की बात जहन में, हैं टटोलते आँसू,
यादों का मंजर, हैं खंगालते आँसू,
गुजरा लम्हा बार-२, हैं उबालते आँसू,
जख्म का खंजर, हैं उछालते आँसू,
तिनका-२ जिंदगी, हैं पिघालते आँसू,
गहरी खाई में, हैं ढकेलते आँसू,
गड़े मुर्दे, हैं सँभालते आँसू......

Monday, June 4, 2012

दोस्तों

आँखों को आंशुयों में धोते हैं दोस्तों,
दिल ही दिल में अक्सर रोते हैं दोस्तों,
यादों से ये तन मन भिगोते हैं दोस्तों,
दिल का लहलहाता खेत जोते हैं दोस्तों,
जख्मो की फसल रोज बोते हैं दोस्तों,
जबसे दिल ने जगाया नहीं सोते हैं दोस्तों,
किस्मत में गम की माला पिरोते हैं दोस्तों,
चार दिन के दो लफ्ज़ संजोते हैं दोस्तों....

मैं क्या क्या बन गया

उलझे हुए रिश्ते की सिलवट मैं बन गया,
ठहरी रात नहीं गुजरी करवट मैं बन गया,
तेरी राह तकते तकते आहट मैं बन गया,
सूने मेरे घर की आज चौखट मैं बन गया,
अपनी ही जिंदगी में झंझट मैं बन गया,
बेकार बैठे-२ कूड़ा - करकट मैं बन गया...

 

फ़साना कह रही है

मेरी हकीकत को,  फ़साना कह रही है,
वो गुजरा हुआ मुझे जमाना कह रही है,
मैं जिसके बिना मर-२ के जी रहा हूँ,
वो पगली मुझे आज दीवाना कह रही है,
मैं उसे आवाज दे रहा हूँ रुकने के लिए,
वो इस बात को एक बहाना कह रही है,
मैं ख़ुशी लाता हूँ ढूंढ़ कर उसके खातिर, 
वो हर अंदाज़ मेरा है पुराना कह रही है..

फ़साने के तले

दर्द का दरिया बहता है फ़साने के तले,
नज़रों का तीर रखा है निशाने के तले,
रखी है दबा के खुशियाँ खजाने के तले,
रहते हैं दिल के दुश्मन ज़माने के तले,
बातों को बना के रखते है बहाने के तले,
दिल के तार छेड़ देते हैं, तराने के तले,
हर गम छुपाया मैंने भी हँसाने के तले..

दिल के फ़साने

दिल के फ़साने में दिल्लगी न काम आई,
सितमगर जमाने में सादगी न काम आई,
मैं रह गया तनहा - अकेला जमीं पर,
तेरे बिना मुझे मेरी जिंदगी न काम आई,
खुशियाँ को पता मैंने तेरे घर का दे दिया,
दर्द के माहौल में मेरे ख़ुशी न काम आई,
फूलों से दिया सजा मुझे आज शौक से पर,
मरने के बाद इनकी ताजगी न काम आई...

मोहोब्बत है कितनी

हम अश्कों से अक्सर नहाने लगे हैं,
वो आँखों में बदल बनाने लगे हैं,
क्यूँ मेरे बदन आग सा ताप रहा है,
वो बिजली भी शायद गिराने लगे हैं,
अचानक है रुख मेरी नब्जों का बदला,
वो सांसो में आकर समाने लगे हैं,
कहती है मुझे ज़रा मर कर दिखाओ,
मोहोब्बत है कितनी आजमाने लगे हैं....

Sunday, June 3, 2012

कुछ बातें दिल से

बंद हुआ रोशनी का मेरे घर आना-जाना, 
बनाया है जबसे खुद का अंधेरों में ठिकाना,
कैसे बताऊँ, कितना मुस्किल है दोस्तों,
खुद को रात भर सुलाना रात भर जगाना.....

खंज़र न तीर न तलवार से मरे,
नज़रों की तेज़ हम धार से मरे,
जैसे ही प्यार का दरवाजा खटखटाया,
हम प्यार की गली में बड़े प्यार से मरे,
न जख्म को मुझमे न घाव कोई है,
मालूम न हुआ किस औज़ार से मरे.



रात बनके करवट मेरा जिस्म तोड़ती है,
किसी के अनजबी ख्यालों से जोड़ती है,
सुबह जब घूँघट ओडती है रौशनी का,
मुझे तेरी यादों की राह में तनहा छोड़ती है....


Thursday, May 31, 2012

बाद तेरे बाद

मुश्किलें बढ गयीं और भी उदासी के बाद,
सीना कर गयी छलनी वो शाबासी के बाद,
मसक्कत करता हूँ बहुत सोने को मगर,
नींद थोड़ी भी नहीं आती है उबासी के बाद,
लगी बीमारी जबसे, छाती कमजोर हो गई,
उठ जाता है अक्सर दर्द जोरका खांसी के बाद,
नशे में रहने लगा हूँ इस कदर आज - कल,
यादें तंग करती हैं और भी मुझे बेहोशी के बाद....

   

आफत की नौकरी से मुसीबत है कमाई

आज मुझे दर्पण में तेरी सूरत नज़र आई,
लगता है तू मेरे साये की बन गई परछाई ,
आफत की नौकरी से मुसीबत है कमाई,
आगे खुदा कुवां है और पीछे गहरी खाई,
फैला है घना अँधेरा कुछ देता नहीं दिखाई,
किसने शहर से मेरे जलती आग है बुझाई,
अश्कों में डूबी आँखें, हैं पलकें भी नहाई,
बेमौसम कहाँ से किसने बरसात है बुलाई
तस्वीर तेरी जबसे दिल के अन्दर है बनाई, 
हर साँस के साथ - 2 मुझमे जाती है समाई...

Saturday, May 26, 2012

बेकार आदमी हो गया

बेकार दिल के खेल में आदमी हो गया,
दर्द- ए -दिल इश्क में लाज़मी हो गया,
रौनक ले गया छीन कर सूरत से कोई,
रंग चेहरे का उतर कर बादमी हो गया,
बचता नहीं कोई भी नज़रों के वार से,
कंगाल दिले महफ़िल में वाग्मी हो गया....

तेरी दिल्लगी

तेरी दिल्लगी मेरे महबूब खूब सायानी निकली,
दर्द- ए - दास्ताँ मेरी कलम की जुबानी निकली,
मद्धम हो गया मेरी आँखों का झरोंखा मुझमे,
तेरी तस्वीर मेरी नज़रों के लिए परेशानी निकली,
यादें तेरी तब तब मेरी जान पे बन आती हैं,
जब - जब शमाँ थोड़ी बहुत सुहानी निकली....
प्यासे लबों को पैमानों तक ले चलो,
हुस्न का किस्सा जमानों तक ले चलो,
मैं एक लाश हूँ, मुझे जिन्दा न समझो,
बस मुझे आखिरी इम्तेहानों तक ले चलो....


जो गुज़रा तेरा साथ, वो सफ़र बन गया,
मेरे दिल में तेरी खातिर घर बन गया,
मुझे चोट देकर तूने छोड़ा था जहाँ पर,
बेगाना वो मेरे लिए अब शहर बन गय....





हालात का हूँ मारा हौंसला-आफजाई चाहिए,
 दिल को वफ़ा के बदले ना बेवफाई चाहिए,
जानता हूँ मानता हूँ विश्वास भी बहुत है,
मुझको न किसी बात की सफाई चाहिए...

बिखरी जिंदगी


बिखरी जिंदगी जीने का प्रयास कर रहा हूँ,
तेरी कमी का आज भी आभास कर रहा हूँ,
बेशक निकाल फेंका हो तूने मुझे नज़र से,
मैं तेरे जहन में अब भी निवास कर रहा हूँ,
दिल में बुझ चुका है, उमीदों का उजाला,
फिर भी तेरे आने की मैं आस कर रहा हूँ,
आके फिर से रौंद जाओ मेरे बदन दुबारा,
खुद को सजाके तेरे लिए खास कर रहा हूँ.......

Thursday, May 24, 2012

गुज़री बातें

रात बनके करवट जिस्म तोड़ती है,
किसीके अनजबी ख्यालों से जोड़ती है,
सुबह जब घूँघट रोशनी का ओढ़ती है,
मुझे यादों की तन्हा राह में छोड़ती है,
जिससे रिश्ता तोड़ बैठा हूँ दिल का, 
वही साथ लहू के मुझमे दौड़ती है,
वक़्त है की कब से बदलता नहीं, 
गुज़री बातें दिनों को वापस मोड़ती है....

मेरे दिल को दोस्तों

मेरे दिल को दोस्तों बहलाने लगा है कोई,
मोहोब्बत की फसल लहराने लगा है कोई,
चमकने भी लगी हैं, मेरी सुर्ख आँखें,
चेहरा नज़र को अपना कहलाने लगा है कोई,
भीगा है मेरे तन मन एहसास पा किसी का,
चाहत की ठंडी बारिश में नहलाने लगा है कोई,
छुटकारा मिल गया है तन्हाइयों से मुझको,
मेरे जहन में खुद को टहलाने लगा है कोई,
मिला सुकून भी, दर्द में थोड़ी कमी भी आई,
मेरे जख्मों को हाँथ से सहलाने लगा है कोई....

Monday, May 21, 2012

बदले हालात

हालात बदले हालत में हुई तबदीली,
ज़रा और हो गई फिर
तबीयत ढीली,
आँखें बरसीं इतनी कि कर गई गीली,
आज तन ने दर्दे-दिल कि नमी पी ली,
एक जनम में मैंने कई जिंदगी जी ली,
घाव जख्मों से मिले सारे दर्द ने सी ली.......

Sunday, May 20, 2012

चल दिए

बर्बाद किया मुझको खुद संवर के चल दिए,
मुठ्ठी में सारी खुशियाँ मेरी भर के चल दिए,
मेरे पैरों के लिए बक्शी काँटों से बुनी चादर,
खुद फूलों की गली से गुज़र के चल दिए,
लगा कर मुझको गलत संगत ज़माने की,
बनाकर अजनबी मुझको सुधर के चल दिए,
जिन्दा हूँ अब तक जख्मों के हौंसलों से,
पहले जख्म दिए फिर उन्हीसे डर के चल दिए,
गिरती हैं बूंदें पलकों से मेरी धीरे - धीरे,
यूँ आँखों को आंशुयों से धोकर के चल दिए....

चाह कम हुई

मुझमे जीने की जबसे चाह कम हुई,
तड़पते दिल की मेरे आह कम हुई,
और देख नहीं सकता था तेरी बेवफाई,
अच्छा हुआ जो मेरी निगाह कम हुई.....

क्या पाया ? क्या खोया ?

रिश्तों को बेंच कर खूब दौलत थी कमाई,
हिस्से में आज लेकिन दो गज जमीन आई,
रोज़ पहने बहुत मैंने महंगे- महंगे कपडे,
पर कफ़न की एक चादर सिर्फ मेरे काम आई...

 

Friday, May 18, 2012

तेरी यादें

क्यूँ मुझमे बस्ती हैं तेरी यादें,
क्या इतनी सस्ती हैं तेरी यादें,
मुझे रुलाकर हंसती हैं तेरी यादें,
जख्मी बाहों में कसती हैं तेरी यादें, 

मुझे हर पल डंसती हैं तेरी यादें,
साँसों में अक्सर फंसती हैं तेरी यादें,
तीर से ज्यादा धंसती हैं तेरी यादें,
तेरी जैसी हैं तेरी यादें,
बहुत वैशी हैं तेरी
यादें.........
मारती जिन्दा हैं तेरी यादें,
करती निन्दा हैं तेरी यादें.....

Thursday, May 17, 2012

मुस्किल हो गया

अब दिल के टुकड़ों को समेटना मुस्किल हो गया, 
तेरी सूरत से नज़रों को
सेंकना मुस्किल हो गया,
तबाह कर दी तेरी हर निशानी मगर, 
दिल से तुझको निकाल फेंकना मुस्किल हो गया,
नींद आती नहीं और यूँ ही
रात गुज़र जाती है,  
तले पलकों के आँखों का लेटना मुस्किल हो गया,
डाल दिया डेरा दर्द ने मेरे घर के चारों ओर
गले लगा खुशियों को भेंटना मुस्किल हो गया.....

Wednesday, May 16, 2012

सपने

खोने आँखों के होने जब से सपने लगे,
दर्द तेरी निहायतों से मेरे अपने लगे,
हिदायत भी दी, समझाया भी मगर,
जाने कैसे हम तेरा नाम जपने लगे,
बहुत ज्यादा न नजदीकियां रास आयीं,
जल्द ही यादों की आग में तपने लगे,
चुभन सीने में रोज़ तेज़ होने लगी,
दिल के पन्नों पे जब जख्म छपने लगे.....

उदास दिल

उदास दिल को कोई दवा भाती नहीं,
कि मेरे घर अब ताज़ा हवा आती नहीं,
मशालें यादों की बुझानी मुस्किल है,
लगी मर्जे- बीमारी-लकवा जाती नहीं,
अभी वक़्त है साँसों को लुटने में,
जिंदगी मौत का कहवा लाती नहीं.....

बेआबरू

वो निहायत बत्तमीज़ बेआबरू हो गए,
दिल के दुश्मन मोहोब्बत के गुरु हो गए,
दिल के बदले तो हमने मोहोब्बत मांगी,
वो दिल के टुकड़े करने को शुरू हो गए,
जहाँ भी जब भी चाहा बजा डाला मुझे,

अब उसके हांथों के हम डमरू हो गए..........

Monday, May 14, 2012

कातिल मेरे दिल में है

ढूंढता हूँ जिसे बेसब्र हो, वो कातिल मेरे दिल में है,
बसेरा मेरा बर्बाद कर, वो शामिल मेरे दिल में है,
बुरी - बला है मोहोब्बत करने की न लालच करो,
दर्द -व - गम और जखम, हासिल मेरे दिल में है,
इश्क की कश्ती भी थी जहाँ मेरी डूबी,
वही उबलता तबलबाता, साहिल मेरे दिल में है...

सहमत नहीं

जिंदगी मुझसे मैं जिंदगी से सहमत नहीं,
खुदा की होती भी मुझपर रहमत नहीं,
टूट कर बिखर चूका हूँ इस कदर,
अब और टूटने की मुझमे हिम्मत नहीं,
दिल को बहला-फुसला समझा लिया,
अब मेरे दिल से होती तेरी खिदमत नही......

नमी मेरे घर की

खोल दी खिड़की मगर धूप आती नहीं,
नमी मेरे घर की
अब सूख पाती नहीं,
दीवारें सीलन से जर्ज़र हो चुकी हैं,
मगर प्यास पानी की बुझ पाती नहीं,
जब भी चाहती हैं हवाएं आ जाती हैं
कि इन हवाओं की भूख जाती नहीं.....

Friday, May 11, 2012

जख्म

दर्द राज़ी और जख्म सहमत है,
मुझपर मेरे प्यार की रहमत है,
लहू गुस्से में है दौड़ता नस में,
लगता है आज आई मेरी शामत है,
मैं शिकार जुल्म का हो चूका हूँ,
मेरी खुशियों पे लगी तोहमत है,
बचूं कैसे जब दिल ही दुश्मन हो ,
मुझे लूट रही मेरी ही मोहोब्बत है,
मुश्किलें टूट पड़ी मुझे कमजोर समझ,
हालत मेरी बयां करती हकीकत है.....

Thursday, May 10, 2012

दरवाजे यादों के

दरवाजे यादों के ज़रा बंद कर दो,
इनसे आती हवा को मंद कर दो,
सुर्खियों में छाने में मेहनत नही लगती,
गलतियाँ हट कर चंद कर दो,
खुशहाल रखनी,
जो हो जिंदगी,
मन मुताबिक खुदको रजामंद कर दो...

कमजोर दिल सीने में


लेकर जी रहा हूँ कमजोर दिल सीने में,
लगता है मुसीबत होनी है अब जीने में,
छाया है घना बदल बरसात ले पलकों पे,
तकलीफ दे, तेरी तस्वीर नज़रों से पीने में,
 
टूटी दिवार बिखरी ख्वाइशों की जिंदगी में,
मैं अब गम तौलता हूँ फुर्सत के महीने में...

सलाह-मशवरा

दर्द जख्मों से सलाह-मशवरा करता है,
गम मुझपे दिलो-जान से मरा करता है,
आँखें गिराती हैं रिमझिम बूंदें बरसात की, 
अश्क इतना कहाँ से आखों में भरा करता है,
तूने छोड़ा इधर,उधर खुशियों ने बेदखल किया,
मुरझाया होंठ भी अब हंसी से डरा करता है.....

Sunday, May 6, 2012

दिल की बात

आज लिख के दिल की बात किताबों में रख गया,
तू नीदं में आई याद तो तुझे ख्वाबों में रख गया, 
उलझी बुरी तरह जब सवालों से जिंदगी,
समेटे सभी सवाल और जवाबों में रख गया,
चिरागों का उजाला ज़रा फीका जो हुआ,
अंधेरों को रौशनी के नकाबों में रख गया,
फूलों के रास्ते पर जो कांटें मुझे मिले,
जख्मों के डर से इनको गुलाबों में रख गया.....

Friday, May 4, 2012

गिर के चूर हो गया

वाह-वाही मिली थोड़ी मगरूर हो गया,
मुझसे नशे में आज एक कसूर हो गया,
उसने उठा के पत्थर धीरे से चोट मारी,
मिटटी से बना था गिर के चूर हो गया,
अब मेरे दोस्त मुझको पहचानते नहीं,
जख्मों को भरते-भरते मजदूर हो गया,
थी कैद करके रखी आँखों में तेरी सूरत,

जैसे उठाई पलकें तू बहुत दूर हो गया...

तेरी बक्शी सजा का चयन कर लिया

तेरी बक्शी सजा का चयन कर लिया,
मैंने खुदको जलाकर दफ़न कर लिया, 
रिमझिम गिर रहा है सावन मुझमे तबसे,
जबसे सागर उठाकर नयन भर लिया,
हैं मुझसे बरकरार तेरी घर की सारी खुशियाँ,
तेरे हिस्से का मैंने गम भी सहन कर लिया,
जीते जी खूब बरसी मुझपे तेरी मोहोब्बत,
बाकी थोड़ी बची को कफ़न कर लिया.....

जान की खातिर

वो बहुत माहिर है दिलों के खेल का शातिर भी है,
बाद दिल के खतरा अब जान की खातिर भी है,
मुझमे छोड़ा नहीं कुछ बस एक यादों के शिवा, 
 
जिस्म में बाकी साँसों के लिए काफिर भी है,
जिससे बच कर भटक रहा हूँ दर-बदर,
वही मेरे साथ हर सफ़र का
मुसाफिर भी है....

Thursday, May 3, 2012

नजरिया बदल गया

नज़रों के देखने का नजरिया बदल गया,
दिलों में बह रहा , दरिया बदल गया,
कल तक मुझे संभाला आज जख्मों से किया छलनी,
क्या हुआ जो प्यार करने का जरिया बदल गया,
देर रात तलक एक दूजे से बात करके सोये,
सुबह के साथ - साथ संवरिया बदल गया.

जूनून

कैसा सवार तुझपर ये जूनून हो गया,
तेरी नज़र से मेरा आज खून हो गया,
दिल की चोट से बुरा हाल हो रहा था,
तेरा ख्याल आया तो शुकून हो गया,
मैंने बसा ली लहरों पे अपनी बस्ती,
किराये की जिंदगी से मेहरून हो गया....

धागा प्यार का


धागा प्यार का अगर यूँ उलझता नहीं,
इस जुस्तजू को मैं कभी समझता नहीं,
आंशुओं के यूँ रोज़ न आने की खबर होती,
बनकर बदल जो खुद मैं बरसता नहीं,
रातें बनकर अँधेरा जो फैली ना होती,
कोई उन्जालों के खातिर तरसता नहीं.

लगता है मैंने चोट, फिर बहुत बड़ी पाई

अचानक हालत में जो खुद की गड़बड़ी पाई,
लगता है मैंने चोट, फिर बहुत बड़ी पाई,
छोड़ कर शहर तेरा मैं जहाँ भी गया,
मुश्किलें हर मोड़ पर मैंने है खड़ी पाई,
पता चला क्यूँ मुझे चोट मिलती है बार-२,
तमाम नज़रें अपनी तस्वीर पर गड़ी पाई,
यूँ तो मिलती रहीं सजाएं बहुत मगर,
सजा इश्क में क्यूँ इतनी कड़ी पाई.

Sunday, April 29, 2012

दवा कोई भी जखम भर नहीं पाई

दवा कोई भी मेरे जखम भर नहीं पाई ,
बिगड़े हालात तो हालत सुधर नहीं पाई,
मुश्किलों ने दरवाजे पर ताला लगा दिया,
रौशनी कमरों में फिर कभी भर नहीं पाई,
मैं हर दिन तिनका -तिनका मरा हूँ,
यादें तेरी लेकिन मुझमे मर नहीं पाई,
घंटों बैठा रहता हूँ समंदर किनारे,
जो डुबा दे मुझे वो लहर नहीं आई....

सजावट बढ गयी घर की मेरे जालों से

यादें तेरी जो मिटाई नहीं हैं सालों से,
सजावट बढ गयी घर की मेरे जालों से,
सोंचता हूँ फुर्सत में कोई काम करूँगा,
मगर छुटकारा मिलता नहीं खयालों से,
दिए में तेल नहीं और बत्ती भी गुल है,
घर का कोना कोना तरसा है उजालों से,
दर्द-वो-गम ये जखम और सितम क्यूँ,
जवाब आया नहीं लौट कर सवालों से,
रिहाई कैसे मिलती इस कैद से मुझको,
गुम गयी चाबी यारों, खुद तालों से,
अचानक छू गया एहसास तेरे आने का,
पलटते ही मिले छूटी खुशबू तेरे बालों से.........

Saturday, April 28, 2012

आँखों का दिया बुझा मुझमे रात रख गई

निगाहों को नम करके जज़्बात रख गई,
छुपते-छुपाते दिल में सारी बात रख गई,
इस डर से कहीं सारे भेद खुल ना जाएँ,
आँखों का दिया बुझा मुझमे रात रख गई,
पहले जखम दिया बाद मरहम भी लगाया,
फिर जानबूझ कर जख्मो पर हाँथ रख गई,
कि साथ रह रही थी जिस छत के नीचे उसपर ,
बादलों से चुरा कर बरसात रख गई.....

जगह दिल के पास की जो मैंने खरोंच ली

जगह दिल के पास की जो मैंने खरोंच ली,
दिल ने जहन में तेरी तस्वीर सोंच ली,
खाली पड़ा दिल आज तुझसे भर लिया,
प्यासी थी निगाहें वो भी है सींच ली,
एहसास तेरा मेरी साँसों ने जब किया,
दिलकश तेरी अदा तन में दबोच ली,
 
यूँ दूरी मुझको तेरी ऐसे सता रही है,
जिस्म पर से चमड़ी यादों ने नोंच ली...

Thursday, April 26, 2012

खुदा रहम नहीं करता

खुदा रहम नहीं करता, मुझे ख़तम नहीं करता,
मुझको गम देने वाला, खुद गम नहीं करता,
मेरी मासूम नज़रों को घेर बदली ने रखा है,
धार अश्कों की, ज़रा भी कम नहीं करता,
बिखर के चूर हो गया, मैं सबसे दूर हो गया,
कोई मेरे दिल से अब संगम नहीं करता,
किसी के छलनी जिस्म पर कितने ही तीर मारो,
लफ्ज़ के खंज़र से ज्यादा कुछ जखम नहीं करता,
फूलों ने छू, मुझे पत्थर बना दिया, 
जलता सूरज भी जिस्म मेरा नरम नहीं करता.

यहीं कहीं खोया है दिल का खज़ाना

किसी को मिले तो मुझको बताना,
यहीं कहीं खोया है दिल का खज़ाना,
फूलों के पौधों पे काँटों का कब्ज़ा,
मुश्किलों की डगर में मेरा ठिकाना,
समंदर उठा कर, हूँ आँखों में लाया, 

अब मुझको है पलकों से नदियाँ बहाना,
कभी फुरसतों के
जो मिले दो पल तो,
सजाऊँ मैं फिर से उजड़ा फ़साना,
मुझको मिली है उलझन अजब सी,
किया पेश किसने ये मुझे नजराना....

बवाल हो गया

कह दी सच्चाई तो बवाल हो गया,
खड़ा पलभर में लाखों सवाल हो गया,
ईमानदारी पर लगाया लांछन बेईमानी नें,
लगता है अच्छाई का इन्तेकाल हो गया,
इस कदर हावी हो गयी है महंगाई,
अब तो सांस लेने में बुराहाल हो गया,
रास्ता रोकें खड़ी हैं मुश्किलें,
गरीब गरीबे से अमीर अमीरी से मालामाल हो गया,
लुटेरे आयें है देश लुटने के लिए,
चोर अपने
ही देश का लाल हो गया....

Wednesday, April 25, 2012

मेरी माँ के कर दवा हो गए

दुखों के इरादे हवा हो गए,
मेरी माँ के कर दवा हो गए,
नहीं दर्द का, ना ही घावों से डर था,
अब आँचल की छावों में मेरा घर था,
खुशियों के पल बढ सवा हो गए,
मेरी माँ के कर दवा हो गए,
कभी न चुभा मुझको जख्मों का बिस्तर,
जो माँ हाँथ फेरे तो रह जाते पिसकर,
गम के बदल जलकर लवा हो गए, 

 मेरी माँ के कर दवा हो गए.....

Monday, April 23, 2012

एहसास

बंधे पैरों से ऐसे धागे थे,
पहुंचे वहीँ जहाँ से भागे थे,
टेढ़ा - मेढ़ा, वो भूल भुलैया रस्ता था,
जीवन लगता है मेरा बहुत सस्ता था,
बंद आँखों के तले हम जागे थे,
बूढ़े घुटनों में रोज़ दर्द बढने लगा,
बैठकर खाट से जब भी उठने लगा,
एहसास बिमारिओं के जगने लागे थे,
नींद भी आँखों से आँख-मिचोली खेलें,
यादें बचपन की पास आके होली
खेलें,
आज लगता है कि कितने अभागे थे ,
जर्ज़र दीवारें हो गयी हैं हृदय की,
साँसे आभार कर रही हैं समय की,
दरिया मौत के बह रहे आगे थे...

Sunday, April 22, 2012

बीच सीने के खंजर उतार डाला

बीच सीने के खंजर उतार डाला,
दोस्ती ने एक दोस्त मार डाला,
धब्बे खून के पोंछते - पोंछते, 
बिखरा मेरा घर संवार डाला,
तन्हा दिवार पर लटकी तस्वीर पर,
हंसके
चढ़ा फूलों का हार डाला,
आखिर में बस एक बात यही बोली,
"अरुन" आज चुका तेरा उधार डाला..

Friday, April 20, 2012

बूढी जिंदगी में मुझे बच्चा रहने दो

बूढी जिंदगी में मुझे बच्चा रहने दो,
झूठी बंदगी में मुझे सच्चा
रहने दो,
लालच बढ़ता जाए बढती हुई उमर संग.
ऐसी उमर से मुझे कच्चा रहने दो,
जो सारे हैं गलत आज की महफ़िल में,
तो कम से कम मुझे तो अच्छा रहने दो,

फूलों के जख्म से सीना हुआ है छलनी

फूलों के जख्म से सीना हुआ है छलनी,
ऐसे में धार अब काँटों की नहीं चलनी,
चाहत का जहाँ मुक्कमल नहीं था होना,
लगता है जिंदगी साँसों से नहीं पलनी,
उल्फत में तोडके रिश्तों के सारे बंधन,
ये अधूरी दास्ताँ अब मुझको नहीं खलनी,
मुट्ठी में बांधकर कौन रेत रख सका,
कसते ही हांथो को ये रेत है फिसलनी,  
बेकार जीने की उम्मीद दिल में रखना,
तूफानी इस हवा में कश्ती नहीं संभलनी,
इंसानों की फितरत मौत से है मिलती-जुलती, 
जिस्म से जान भी है धोके से निकलनी.

नहीं पास कुछ शिवा दिल के फ़कीर हूँ

आँखों में आंशू और छलकने पे नीर हूँ,
नहीं पास कुछ शिवा दिल के फ़कीर हूँ,
हालत है खस्ता,हूँ तिनके से भी सस्ता,
मैं अपने ही हांथो की मिटी-२ लकीर हूँ,
गम की सांस लेता हूँ जखम के साथ लेता हूँ,
दुखों की है नहीं कमी, दर्द से अमीर हूँ,
नफरत की तस्वीर बना नज़रों के लिए,
मैं मेरे ही फ़साने की लुटी हुई जगीर हूँ.

चोरी हुआ यूँ दिल तन की दुकान से

चोरी हुआ यूँ दिल तन की दुकान से,
मुझको बुरा बनाया,  मेरी जुबान से,
 
शोर भी मचाया मांगी थी मदद भी ,
मगर कोई नहीं निकला अपने मकान से,
 
खायी है मैंने ठोकर हर रोज़ रौशनी में,
चलना सिखा दिया अंधेरों ने ध्यान से,
मैंने खिलाफ पाया मेरे ही मेरे दिल को,
तबियत बिगड़ गयी दिल के बयान से,
पलकें सोंच से मेरी जो ज़रा झपकी,
इतने में भर गया कोई मुझे निशान से,

Thursday, April 19, 2012

पत्थर बना दिया

छू के फूलों ने मुझे पत्थर बना दिया,
जिंदगी को मौत से बत्तर बना दिया,
खाके ठोकर जो गिरा, तो कलियों ने,
जख्मों का तन पे बिस्तर बना दिया,
दबाकर जालिम ने मुझे दर्द के नीचे,
गम के कपड़ों का अस्तर बना दिया,
शुरू में पूंछा था की प्यार में क्या मिलता है,
मुझे ही मेरे सवालों का उत्तर बना दिया,

काबिलियत नहीं मिलती

तमाम कोशिशों के बाद भी काबिलियत नहीं मिलती,
मुश्किलें मिलती हैं बहुत सहूलियत नहीं मिलती, 
जिंदगी की राहों में जिद्दो - जहत बहुत हैं,
कभी खुद से खुद की तबीयत नहीं मिलती,
नींद आती नहीं बुरे ख्वाबों के डर से,
कि इन ख्वाबों से मेरी नियत नहीं मिलती,
ऐसा बदला है तेरी मोहोब्बत ने मुझे,
मेरी तस्वीर से मेरी
असलियत नहीं मिलती,
दिल से कहता हूँ तुझे निकाल दे मुझसे,
मगर पागल दिल पर मुमानियत नहीं मिलती.

निहायत बत्तमीज़ हो

कभी शरीफ तो कभी निहायत बत्तमीज़ हो,
पागल मेरे दिल को फिर भी तुम अज़ीज़ हो,
आँखों में तेरी सूरत चाँद से भी खुबसूरत,
तुम्हे होंठों पर रखूं तो बेहद लज़ीज़ हो,
ओढ़ी है मैंने मन पर तेरे तन की चादर, 

मेरे दिल ने जो पहनी तुम वो कमीज़ हो,
जान से भी ज्यादा हिफाज़त तेरी करूँ,
साँसों से बढकर,तुम कीमत की चीज़ हो..